गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ श्वेता पूठिया की लघुकथा ----तरीका


     अपने तीनो दोस्तों के साथ घूमते हुए राज ने आईस्क्रीम की दुकान देखकर कहा"चलो आईस्क्रीम खायी जाये"।"हमारे पास पैसे नहीं है"कहकर वे आगे चल दिये। अरे पैसा कौन माँगता है, खानी हो तो बोलो"।
अरे खाने को कौन मना करेगा चलो खिलाओ" कहकर सब आईस्क्रीम की दुकान की ओर चले।राज दुकान वाले के पास जाकर कुछ बात करने के बाद तेज आवाज मे बोला "पत्ते तीन और बनाओ केसर वाले मलाई के साथ"। दुकानदार ने तेजी के साथ चार प्लेट लगाकर बोला "लीजिए और बताइये कि कैसी है?"।अपने दोस्तों के साथ बोला "थोड़ी मलाई और लगाओ तो स्वाद बढ़ जायेगा"।आईस्क्रीम खाकर राज चलने लगा दोस्तों के साथ तभी दुकान वाला बोला"साब तारीख कब है ,कितने लोग होगें? कल आकर बताता हूँ।"राज उसने पैसै क्यों नहीं माँगे और कौन सी तारीख पूछ रहा था"?
अरे छोड़ो यार वो तो मैने उससे कहा हमारे यहां शादी है और तुम्हारी आईस्क्रीम की तारीफ सुनी है"।
तो कब है शादी "
"कौन सी शादी किसकी शादी। वो तो तुम सबको आइसक्रीम खिलानी थी" कहकर राज कुटिलता से मुस्कुरा दिया।

  ✍️ डॉ श्वेता पूठिया
मुरादाबाद

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