गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार नृपेंद्र शर्मा सागर की कहानी -----सूझ-बूझ और साहस


जनवरी के महीना था कड़ाके की ठंड पड़ रही थी अभी सुबह के छः बज रहे थे सड़क पर अंधेरा फैला हुआ था।
सोनू रोज इसी समय ट्यूशन पढ़ने के लिए घर से दो किलोमीटर पैदल जाता है , सड़क पर इस समय इक्कादुक्का लोगो को छोड़कर लगभग सुनसान ही रहता है।

सोनू नोवीं कक्षा का होनहार और समझदार छात्र है,वह पढ़ने में जितना तेज़ है उतना ही समाजिक ।

सोनू किताबे बगल में दबाये, हाथों को पेंट की जेब में छिपाये तेज़ तेज़ चला जा रहा था, उसके दिमाग में आज पूछने बाले सवाल घूम रहे थे तभी एक आवाज से उसका ध्यान भंग हुआ।

ऐ लड़के!! अरे भाई थोड़ी मदद करना तो,,

उसने पलट कर देखा सामने साइड में एक आदमी एक वैन को धक्का लगाने की कोशिश कर रहा था जिसे कोहरे के कारण सोनू साफ नही देख पा रहा था।

सोनू सड़क का डिवाइडर पार करके दूसरी तरफ पहुंचा तो इसने देखा कि एक आदमी ड्राइविंग सीट पर बैठा है और एक आदमी वैन को धक्का लगाने का प्रयास कर रहा है।

भाई जरा हाथ लगबादो ठंड से गाड़ी बन्द पड़ गई , उस आदमी ने जोर लगाते हुए कहा।

सोनू ने भी गाड़ी में धक्का लगाना शुरू कर दिया लेकिन वह ये नही देख पाया कि वैन का पिछला दरवाजा खुला है और वह आदमी उसके पीछे था।
अचानक वैन स्टार्ट हो गई और जब तक सोनू कुछ समझ पाता वह आदमी सोनू को धक्का देकर वैन में बैठा कर खिड़की बन्द कर चुका था,,,
मतलब अपहरण,, को हो तुम लोग ??, सोनू ने चीखने की कोशिश की लेकिन तब तक उस आदमी ने सोनू की नाक पर रुमाल रख दिया और सोनू होश खो बैठा।
वह वैन सोनू को किडनैप करके कोहरे में गायब हो गयी और किसी को पता भी नहीं चला।

जब सोनू की आंख खुलीं तो उसने खुद को एक अंधेरी सीलन भरी कोठरी में पाया।
कोठरी में लगे एक मात्र रोशन दान से आती रोशनी से सोनू को अंदाज़ लगा कि शाम होने वाली है।
तभी उसे किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी ,,
सोनू ने देखा एक कोने में एक ओर लड़का सोनू की ही उम्र जितना पड़ा है और उठने की कोशिश कर रहा है।
सोनू ने उसे सहारा देकर उठाया और इशारे से चीखने को मना कर दिया।

इन दोनों का अपहरण किया गया है अंधेरे में ये बात दोनो को समझ आ गई थी ।
अब क्या करें ?? दूसरे लड़के ने घबराते हुए धीरे से कहा।

सोनू कोठरी के दरवाजे पर कान लगा कर सुनने लगा,,,

दरवाजे के सामने दो लोग हैं कुछ दूर, सोनू बोला।

तो क्या ये लोग हमें मार देंगे ,, या हमसे भीख,,?? दूसरा लड़का रोने लगा।

चुप!, सोनू कुछ सोचते हुए बोला,, भाग पायेगा बिना आवाज किये? सोनू ने इस से पूछा।

हां भाग लूँगा। उसने धीरे से जबाब दिया।

देख ये रोशन दान दीवार में कुछ सरिया लगाकर बना है और कोठरी के पीछे है इसकी ऊंचाई तक हम उछल कर आराम से पहुंच सकते हैं।
मैं इसकी बाकी सरिया भी उखाड़ देता हूँ तब तक अंधेरा भी बढ़ जाएगा और हम पीछे की तरफ से निकल भागेंगे।

सोनू उछल कर खिड़की तक पहुंच गया, मेरे पैरों को सहारा दे में सरिया निकलता हूँ सोनू ने उसे इशारा किया और वह सोनू को अपने कंधों पर संभाले खड़ा हो गया।

थोड़े ही प्रयास में सोनू ने तीनों सरिया उखाड़ दीं और ऊपर चढ़ गया ।
सोनू ने एक पैर लटकाकर उसे भी चढ़ने के इशारा किया और थोड़ी सी सूझ बूझ से दोनो बिना आवाज किये बाहर आ गए।

सोनू ने उसे एक सरिया देकर कहा इसे साथ रख काम आएगी और दूसरी खुद ने हाथ में कस कर पकड़ ली।

कुछ दूर धीरे धीरे छिप कर चलने के बाद दोनों ने दौड़ लगा दी।
वह देख चलती हुई लाइटें यानी वहाँ रोड है चल दौड़,, सोनू उसका हाथ पकड़कर दौड़ने लगा।

कुछ देर सड़क पर दौड़ने के बाद इन्हें पुलिस की गश्ती गाड़ी मिल गयी ।
सोनू ने सारी बात पुलिसकर्मियों को बताई और पुलिस के छापे में कोठरी के बाहर के दोनों पहरेदार पकड़े गए जो शराब पीकर धुत्त थे।
अगले दिन उनके बताने पर पुलिस ने पूरा बच्चा चोर गिरोह पकड़ लिया।
सोनू को उसकी सूझ-बूझ और साहस के लिए इनाम दिया गया।

✍️ नृपेंद्र शर्मा “सागर”
होलिका मन्दिर, जमनवाला ठाकुरद्वारा
मुरादाबाद - 244601
उत्तरप्रदेश, भारत
मोबाइल 90545548008

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