9:00 बज चुके थे ठीक 9:30 बजे स्टाफ बस जागृति विहार पहुंच जाती है मुझे सामान रखकर स्टाफ बस पकड़नी होगी
परंतु यह क्या..... जैसे ही चाबी के लिए मैंने सूटकेस में अपने लंच बॉक्स बैग को देखा वह गायब था तुरंत पड़ोसियों की सहायता से ताला तोड़ा रिक्शा वाले को पैसे मांग कर दिए किसी तरह विदा किया ....
मैं नौचंदी में जैसे ही ट्रेन में घुसा थाउस कंपार्टमेंट में सिर्फ एक हीआदमी और था।
मैं ऊपर की बर्थ पर लेटा था ठीक सामने वाली सीट पर एक व्यक्ति लेटा था... यह सब बड़ा अजीब सा लग रहा था
..... मुझे बाशरूमं जाना था परंतु डर रहाथा कोई सूटकेस ना ले जाए लिये ट्रेन चलने का इंतजार करता रहा जब ट्रेन की रफ्तार तेज हो गई मैं वॉशरूम गया
......... जैसे ही बॉशरूम से वापस आया तो देखा वह आदमी गायब था परंतु मेरा सूटकेस वहीं रखा था इसलिए निश्चिंत होकर वर्थ पर लेट गया.... फिर यह सब कैसे हो गया... उसने बड़ी सफाई से सूटकेस का लांक खोलकर उसमें से लंच बॉक्स बाला छोटा बैग निकाल लिया था*****एक महीने बाद बाजार में अचानक वह आदमी दिखाई दिया... उसके हाथ में सुंदर सा पर्स था मुझे देखते ही वह तेज़ दौड़ने लगा मुझे ध्यान आया अरे यह तो वही आदमी है जो मुझे ट्रेन में मिला था मैं भी तेजी से उसके पीछे दौड़ा.... दौड़ते दौड़ते हम दोनों मेन रोड पर आ गये तभी अचानक सामने से आती हुई गाड़ी से उसकी टक्कर हुई मैं वहीं रुक गया वह गाड़ी के नीचे आ चुका था उसके हाथ वाला पर्स दूर जा गिरा था ......
....मैंने जैसे ही पर्स उठाया एक उम्रदराज महिला हांफते हुए आकर मेरे पास रुकी वह तेज़ हांप रही थी ...महिला बोली बेटे ये वैंग मेरा है इसमें मेरी जीवन भर की पूंजी है ये मुझसे छीन कर लिये जा रहा था... मैंने मदद के लिए बहुत लोगों से गुहार लगाई ... पकड़ो ...पकड़ो मुझे लूट लिया..... कोई तो पकड़ो..परंतु किसी ने मदद नहीं की .....मैं बहुत दूर से इसके पीछे दौड़ रही थी.... तुम्हारा लाख लाख शुक्रिया..... मैं स्तब्ध खड़ा देख रहा था एक ओर वह व्यक्ति खून से लथपथ प्राण छोड़ चुका था दूसरी ओर वह महिला कृतज्ञता से मेरी ओर देख रही थी... काफी भीड़ जमा हो चुकी थी ...भीड़ को चीरते हुए मैं बाहर निकला ईश्वर की लीला के विषय में सोचता हुआ जा रहा था कि हे ऊपर वाले तेरे खेल निराले.. तेरी माया भी कितनी विचित्र है....
अशोक विद्रोही
8218825541
412 प्रकाश नगर, मुरादाबाद
हार्दिक शुभकामना
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