गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की कहानी ----- कोरोना और मैं


        कोरोना, कोरोना, कोरोना ....................तंग आ गई हूं मैं इसकी दहशत से। यह बड़बड़ाते हुए आज मैंने कोरोना से मिलने का दृढ़ संकल्प लिया। मुँह पर मास्क लगाकर और हाथों में दस्ताने पहन कर मैं निकल पड़ी कोरोना से मिलने। गलियों को पार करते हुए मैं मुख्य सड़क पर आ गई। जहां लॉक डाउन के कारण कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। कहाँ मिलेगा यह कोरोना वायरस ? शायद अस्पताल के आस पास क्योंकि वहीं उसके प्रहार से संक्रमित लोग जाते हैं। उन्हें देखने के लिए निश्चित रूप से वह वहीँ होगा। यह सोच कर मैं अस्पताल पहुंच गई। मैंने इधर उधर देखा परंतु मुझे कोरोना दिखाई नहीं दिया। मैं पूरे दिन इधर उधर भटकती रही कि कोरोना यहाँ मिलेगा, वहां मिलेगा, पर कोरोना कहीं नहीं मिला। धीरे धीरे सूर्य अस्त होने लगा, मैं बहुत थक गई थी इसलिए सड़क किनारे एक बैंच पर बैठ गई। मैं बहुत हताश थी कि पूरा दिन गुजर गया परंतु कोरोना से भेंट नहीं हो पाई। अचानक एक अजीब सा प्राणी जो इस दुनिया का नहीं दिखता था, मेरे सामने आ गया और बोला, 'बताओ क्या काम है तुम्हे मुझसे'। मैने उस अजीब प्राणी को देखा और घबराकर पूछा कि कौन हो तुम ? उस प्राणी ने कहा कि मैं वही हूँ, जिसे तुम सुबह से ढूंढ रही हो "कोरोना वायरस ।" इतना सुनते ही मेरे पैर कांपने लगे, किसी तरह मैंने अपनी इंद्रियों को वश में करके तुरन्त मास्क ठीक किया और उससे एक मीटर की दूरी बना ली। कुछ समय लगा मुझे स्थिर होने में। फिर उसने मुझसे पूछा कि क्यों ढूंढ रही हो मुझे। इस पर मैंने गुस्से में कहा कि तुम्हें शर्म नहीं आती, पूरे विश्व को परेशान करके रख दिया है तुमने। अच्छी खासी चलती दुनिया को रोक दिया है  कितने ही निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया है तुमने। आज तुम्हारी वजह से सब घर में कैद होकर रह गए हैं। आदमी आदमी से डरने लगा है। क्यों परेशान किया है तुमने हम सब को। क्या बिगाड़ा है हमने तुम्हारा जो तुमने हम सबका जीना मुश्किल कर दिया है। यह सुन कर वह वायरस जोर जोर से हँसने लगा। हा हा हा ...................मैंने गुस्सा होते हुए पूछा कि क्यों हँस रहे हो। इस पर कोरोना ने कहा कि बस इतने से ही परेशान हो गए, आज जो तुम भुगत रहे हो, तुम्हारे अभिमान का नतीजा है। यह धरती जैसी तुम्हारी थी वैसी ही अन्य जीवधारियों की भी, परन्तु तुमने अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए कितनी ही प्रजातियों को लुप्त कर दिया और कितनी ही प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर है।जो पेड़ पौधे तुम्हे जीवन देते हैं, तुम उनको ही काट देते हो। और क्या कहूँ मैं तुमसे। तुमने तो अपनी पवित्र पाविनी माँ समान गंगा को भी दूषित कर दिया, कभी अंधविश्वास के नाम पर तो कभी आध्यात्मिकता के नाम पर, इसको प्रदूषित करते रहते हो। बेजुबान जानवरों को अपने मनोरंजन के लिए कैद में रखते हो, आज जब तुम स्वयं कैद में हो तो महसूस करके देखो जरा इस पीड़ा को।
     कोरोना की इन बातों को सुनकर मेरी आँखें शर्म से झुक गई। मैंने हाथ जोड़ कर कोरोना से विनती की, कहा- अब हम ऐसा नहीं करेंगे, हमे इस बार माफ कर दो। तुमने हमारी आँखें खोल दी।
        मेरी आँखों मे पछतावे के आंसू देख कर कोरोना ने कहा कि यदि तुम प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़ छाड़ नहीं करोगे, उसे गंदा नही करोगे, वन्य प्राणियों से उनका रहने का स्थान नही छीनोगे ।उन्हें क़ैद में नही रखोगे तो मैं चला जाऊंगा। मैंने कहा , हम वादा करते हैं, हम वादा करते हैं, हम वादा करते हैं।
        अचानक मुझे लगा कि कोई मुझे जोर जोर से हिला रहा है, धीरे धीरे आवाज मेरे कानों तक पहुंच रही थी, मम्मी मम्मी, उठो उठो। मैं अचानक हड़बड़ाकर उठकर बैठ जाती हूं। क्या कोरोना और मैं स्वप्न में वार्तालाप कर रहे थे। बच्चे पूछ रहे थे कि क्या हुआ मम्मी। आप सोते हुए,हम वादा करते हैं, हम वादा करते हैं, क्यों चिल्ला रही थीं। मैने मुस्कुराकर बच्चों की तरफ देखा और कहा कि अब कोरोना हमेशा के लिए चला गया है, परन्तु इस वादे के साथ कि हम प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़ छाड़ नहीं करेंगे और पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखेंगे।इस धरती पर जितना अधिकार हमारा है उतना ही अन्य जीवधारियों का भी है।आओ बच्चों वादा करों।मम्मी हम आज से इस बात का ध्यान रखेंगे यह वादा करते है । मुझे उम्मीद है कि आप सब भी मेरे इस वादे को पूरा करने में अपना सहयोग देंगे।
 
  ✍️  प्रीति चौधरी
शिक्षिका
राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज
हसनपुर, जनपद अमरोहा, उ0 प्र0
मोबाइल फोन नंबर 9634395599

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