रविवार, 19 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी का गीत --- न तुमने देखा ,न हमने देखा कहाँ है ईश्वर,कहाँ खुदा है जो सच है उसको नहीं देखते है प्यार ईश्वर वही खुदा है।


न तुमने  देखा ,न  हमने  देखा
कहाँ है ईश्वर,कहाँ      खुदा है
जो सच है उसको नहीं  देखते
है  प्यार  ईश्वर   वही   खुदा है।
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यही   सिखातीं   हैं आयतें  भी
यही  सिखातीं  हैं सब  ऋचाएं
इसी  में रमती  है सृष्टि    सारी
इसी से महकी  हैं सब  दिशाएं
सही   ठिकाना   तुम्हें    बताने
कहाँ  है  ईश्वर , कहाँ  खुदा  है।
न तुमने देखा----------------

अगर विधाता पिता  है सबका
फिरभेद करने का अर्थ क्या है?
अलगअलग मज़हबोंके हक में
किताबें लिखने का फर्ज क्याहै?
तुम्हारे  कर्मों   का   साथ   देने
कहाँ  है  ईश्वर,  कहाँ   खुदा  है।
न तुमने देखा------------------

रचे   हैं  यदि  उसने   ग्रंथ   सारे
तो दिल से  किसने  उन्हें पढ़ा  है
बताओ हर पंक्तिका अर्थ किसने
समाज   हित  में  स्वयं   गढ़ा  है
तुम्हारे  लालच  का  भाव   पढ़ने
कहाँ   है   ईश्वर   कहाँ   खुदा  है।
न तुमने देखा--------------------

जिसे   चढ़ाते   हो   सोना - चांदी
क्या उसने आकर  कहा किसी से
तुम्हारे   पापों   का   अंत    होगा
बताओ   उसने   कहा   सभी   से
तुम्हारी   जड़ता   को  दूर   करने
कहाँ   है   ईश्वर, कहाँ   खुदा   है।
न तुमने देखा--------------------

प्यार   सभी   के   लिए   दुआ  है
सभी   दुखों   की  यही   दवा   है
बेमतलब  मत  लड़ो    किसी   से
जन्म   प्यार  के   लिए   हुआ   है
पाखंडों       से       दूर      हटाने
कहाँ   है  ईश्वर  कहाँ    खुदा   है।
न तुमने देखा--------------------

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            वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
            मुरादाबाद 244001
            उत्तर प्रदेश, भारत
            मोबाइल फोन ननंबर 9719275453

1 टिप्पणी:

  1. बेहतरीन और यथार्थ परक गीत
    काश हम ये बात समझ पाते

    डॉ पुनीत कुमार

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