शनिवार, 18 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार फक्कड़ मुरादाबादी का गीत---- घरवाली का रौब दिखाना जाने क्या क्या कहना । अब आगे क्या होगा भैया पूछ रही है बहना।। छज्जा सूना सूना लगता पड़ोसन के बिन । याद बहुत आएंगे भैया लुटे पिटे यह दिन...


याद बहुत आएंगे भैया लुटे पिटे यह दिन
घर में रहकर घरवालों से कटे कटे यह दिन
घरवाली का रौब दिखाना जाने क्या क्या कहना
अब आगे क्या होगा भैया पूछ रही है बहना
चौबीस घंटे खबर एक ही और लाशों की गिनती
सड़कों पर सन्नाटा गूंजे करे पुलिस से विनती
छज्जा सूना सूना लगता पड़ोसन के बिन
याद बहुत आएंगे भैया लुटे पिटे यह दिन...

बार-बार चेहरे को ढकना और हाथों को धोना
सारी दुनिया कोस रही है कैसा भला कोरोना
कोस रहे थे सभी चीन को कैसी करी शरारत
रामायण से शुरू हुआ दिन और रात महाभारत
दिन तो गुजरा इधर-उधर में राते तारे गिन गिन
याद बहुत आएंगे भैया लुटे पिटे यह दिन...

जो जैसा था वहीं रुका, रुका ना वक्त का पहिया  अपनी-अपनी जान बचाते क्या मैया क्या भैया
बुझे- बुझे से चेहरे दिखे चौपट हुए सब धंधे
जगह जगह पर पिटते दिखे आंखों वाले अंधे
दहशत में हर कोई घिरा था खुशहाली गई छिन
याद बहुत आएंगे भैया लुटे पिटे यह दिन...

जितने विकासशील देश थे देख रहे शमशान
खाली जगह नहीं दिखती ऐसे कब्रिस्तान
लाशों पर लाशें गिरती थी ऐसा हुआ धमाका
बड़े-बड़े दौलत वाले भी करते दिखे फांका
सारी दुनिया विस्मित हो गई देखकर ऐसा जिन्न
याद बहुत आएंगे भैया लुटे पिटे यह दिन...

चौदह दिन तक रहे अकेले नहीं काटते मच्छर
ऐसा रोग लगा मानव को भाग रहे सब डरकर
चमगादड़ भी नहीं दिखती, रहे जानवर भूखे
पीने वाले भी सच मानो फिरते सूखे-सूखे
देख रहे थे सभी जानवर हुआ आदमी भिन्न
याद बहुत आएंगे भैया लुटे पिटे यह दिन...

पति बेचारा वक्त का मारा मन ही मन झुंझलाता
और बच्चों का रौब दिखाना उसे तनिक ना भाता   लॉकडाउन में हुआ लॉक था आपस में थी दूरी
दिल के अरमां दिल में घुट गए ऐसी थी मजबूरी
हाथों को साबुन से धोते क्या लक्स क्या रिन
याद बहुत आएंगे भैया लुटे पिटे यह दिन...

 ✍️ फक्कड़ मुरादाबादी
 मोबाइल फोन नंबर - 94102-38638

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