मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की बाल कहानी------ जादुई दाने


चिंटू आठ साल का एक बहुत प्यारा सा
 बच्चा था। वह कक्षा दो में पढ़ता था,
 परंतु दिन भर शैतानी करना और कार्टून देखना उसे बहुत पसंद था।जब भी उसके मम्मी पापा उसे पढ़ने के लिये टोकते तो वह मुँह बनाकर एक ओर बैठ जाता था,ज्यादा ज़ोर देने पर थोड़ा बहुत बेमन से पढ़ता फिर जल्द ही टी.वी. देखने बैठ जाता था।डाँट फटकार और प्यार से समझाने पर भी उस पर कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था।उसका ट्यूशन भी लगवा दिया पर उसकी समझ में कुछ बात न आयी थी।धीरे धीरे परीक्षाएं नजदीक आ गयीं थीं। उसकी मम्मी मीनू और उसके पापा ,सुमित को  उसकी पढ़ाई को लेकर  बहुत चिंता होने लगी थी ।तब मीनू ने  एक तरकीब निकाली।
     अगले दिन जल्दी उठकर नहा धोकर पूजा पाठ करके उसने  कुछ चीनी के दाने मंत्र पढ़कर चिंटू को  दिये और कहा,"ये खा लो चिंटू। " ये क्या है मम्मी,?" चिंटू ने पूछा।"आप मन-मन में क्या बड़बड़ा रहीं थीं अभी ?"
"ये जादुई दाने हैं,इन्हें खाकर जो बच्चा लगातार रोज एक -एक घंटा सुबह शाम पढ़ाई करता है,वह क्लास में फर्स्ट आता है।"चिंटू की मम्मी ने गम्भीर भाव से कहा।
"अच्छा, ऐसा है तो मैं अभी खा लेता हूँ और पढ़कर देखता हूँ।"चिंटू ने आश्चर्य से कहा।
"पर हाँ....इन दानों को खाने के पश्चात
पूरे एक घंटे से पहले यदि पढ़ाई छोड़ दी तो  ये दाने असर नहीं करेंगें और जितना पढ़ा होगा वो भी भूल जाओगे।"
"अरे वाहहहहहह... ये तो मैं आज ही खा लेता हूँ और फिर देखता हूँ मेरे अलावा कोई और क्लास में कैसे फर्स्ट आता है।"
चिंटू ने अकड़ते हुऐ कहा।
" हाँ  पहले नहा तो लो...ये पवित्र दाने हैं...।"मुस्कुराती हुयी मीनू  बोली।
थोड़ी देर बाद चिंटू चीनी के दाने खाकर मीनू के निर्देशानुसार पढ़ने बैठ गया।पूरे एक घंटे बाद उठा और खेलने चला गया।शाम को भी उसने यही किया।यही क्रम रोज चलने लगा।धीरे धीरे परीक्षाएं भी सम्पन्न हो गयीं थीं।
आज चिंटू का रिज़ल्ट आना था।उसकी मम्मी घर के दरवाज़े पर चिंटू की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही थीं।आज चिंटू के पापा भी उसके साथ स्कूल गये थे।जैसे ही दरवाजे पर चिंटू के पापा की स्कूटी रुकी,चिंटू दौड़कर अपनी मम्मी से लिपट गया और खुशी से चहकता हुआ बोला,"मम्मी आपके चीनी के जादुई दानो ने तो कमाल ही कर दिया,देखिये मैं पूरी क्लास में फर्स्ट आया हूँ!!"
मीनू उसके सर पर प्यार से हाथ फेरती हुई अंदर घर में ले आयी और माथा चूमते हुऐ बोली, शाबाश बेटा!!बहुत अच्छे!पर बेटा ये कमाल तुम्हारी मेहनत का है चीनी के दानो का नहीं।"
"क्या मतलब?"
"मतलब यह कि तुमने रोज दो घंटा पढ़ाई की इसीलिए तुम क्लास मे फर्स्ट आये।"
"पर आपने तो कहा था कि...."
"हाँ कहा था,पर मैं तुम्हें यही बताना चाहती थी  कि बेटा...  सफलता का एक ही रास्ता है,और वह है मेहनत। वह दाने तो मैने डिब्बे से निकाल कर यों ही दे दिये थे ।तुम ऐसे दो घंटे पढ़ने को तैयार नहीं थे।"मम्मी हँसते हुऐ बोलीं।
"ओहहहहह मम्मी,!!...आप कितनी अच्छी हो ! अब से मैं रोज दो घंटे पढ़ूँगा।"चिंटू अपने हाथ में लिये रिज़ल्ट और ट्राफी की ओर देखते हुए बोला।
"अरे भई माँ बेटा बातें ही करते रहोगे क्या?आओ मुँह तो मीठा कर लो,....और हाँ चिंटू....ये मुँह मीठा चीनी के दानो से नहीं..स्पेशल लड्डुओं से होगा"कहकर चिंटू के पापा जोर से हँसे और चिंटू के मुँह में एक लड्डू रख दिया। आज चिंटू मेहनत के फल को समझ चुका था और मीनू के चीनी के जादुई दाने आज लड्डू बनकर पूरे मौहल्ले में बँट रहे थे।

✍️ मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

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