गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा ------ प्रतिफल


अपने अति व्यस्त समय में मुझे जो भी वक्त मिलता था मैं घर के गमलों में लगे छोटे पौधों की देखभाल में लगाती रही हूं ।यद्यपि  इसके लिये कभी किसी विशेष साधन की आवश्यक्ता नही पड़ी ।जैसे अपने बच्चों का होम वर्क कराना किचिन में खाना बनाना मेरे अपरिहार्य कामों में शामिल है बैसे ही पेड़ पौधों को दुलारना ।कुछ दिन पहले ही मैंने योंही गमले में टमाटर धनिया पुदीना और मिर्च लगा दी थी ।तभी अचानक दो तीन बाद कोरोना त्रासदी के लॉक डाउन घोषित हो जाने से मुझे घर में ही रहना पड़ा ।अब मुझे पहले से अधिक समय इन पौधों की देखभाल के लिये मिला । बीस इकीस दिन की मेहनत के  बाद मेरे छत के ऊपर
नीचे गमलो में सब ओर जो प्रकृति का सौंदर्य बिखरा ,वह आज से पहले नही दिखा। निःस्वार्थ की गई मेरी सेवा का फल मुझे किसी जीते जागते संसार मे मुझे मिला हो ,मुझे मालूम नही ,लेकिन इन नन्हें चेतन जगत के कृतज्ञ जनो ने मुझे प्रति फल में बहुत कुछ बो दिया जो और लोगों को नही मिल रहा था ।
काश ,हमारे आसपास के हमारी सेवाओं को लेने वाले भी यों ही हमें प्रतिफलित होते .......। यह सोचते हुये मेरे कपोल गीले हो गए ।

✍️  डॉ प्रीति हुंकार
मुरादाबाद 244001
मो 8126614625

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