बुधवार, 22 अप्रैल 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की बाल कहानी ----- नादान मोलू


   मोलू बंदर आज बहुत परेशान था   उसको समझ नहीं आ रहा कि  वह खुश कैसे  रहे? बह  आम के बाग में गया और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूद कूद कर  उछल कूद करने लगा. इससे बहुत सारी   शाखाएं और अमरुद टूटकर नीचे गिर कर रोने लगे.
​ सबको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मोलू को आखिर हो क्या गया है?
​ कई अमरुद तो बहुत छोटे छोटे थे जो और बड़े हो सकते थे परंतु  मोलू  की नादानी के कारण हो जमीन पर गिरे बिलख रहे थे.
​ उधर छोटू बाबू  और कालू बंदर मजे से अमरूद खा रहे थे पके पके  अमरूदों को भी आत्म संतोष हो रहा था.
​  मोलू की आंखें लाल हो रही थी गुस्से के मारे और चेहरा सुखा  सा  कोई रौनक नहीं थी चेहरे पर.
​  मोलू अक्सर बहुत गुस्सा करता था इससे उसके माता-पिता हमेशा दुखी रहते  थे की मोलू खुश क्यों नहीं रहता  और  बच्चों के साथ खेलता क्यों नहीं ?
​ उसकी गुस्से के कारण धीरे-धीरे उसके सभी मित्रों से दूर होते गए और  वह अकेला रह गया अब उसको बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था कोई भी उससे बात करने वाला नहीं था.
​ एक दिन वो   मोलू बंदर की मम्मी चंपा ने उसको अपने पास बैठाया और उसकी उदासी का कारण पूछा.
​   मोलूने उदास होते हुए कहा कि उससे कोई नहीं बोलता उसके सारे मित्र  उससे दूर रहते हैं .
​ मम्मी ने प्यार से  मोलू के सिर पर हाथ फेरा और समझाते हुए कहा कि उसको थोड़ा शांत रहना चाहिए अपने आसपास की चीजों से प्रेम करना चाहिए.
​ किसी को भी सताना नहीं चाहिए पेड़ पौधों को भी नहीं क्योंकि उनके भी दर्द होता है जब उनको हम बेरहमी से तोड़ते हैं तो वह तड़पते हैं.
​    मोनू अपनी मम्मी के बात सुन तो रहा था लेकिन ध्यान बिल्कुल नहीं दे रहा था.
​  थोड़ी देर बाद मम्मी अपने घर के काम करने  लगी और  मोलू ने टीवी चला कर टीवी देखना शुरू कर दिया.
​ लेकिन उसे टीवी देखना है बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था उसको अपने मित्रों के बहुत याद आ रही थी जो उससे बोलते नहीं थे.
​ उसने उठकर अपना मुंह धोया और शीशे में खुद को गौर से देखा उसके माथे की लकीरें गहरी हो रही थी क्योंकि वह बहुत गुस्सा करता था.
​ उसने अपने बाल बनाए और आंखों में काजल लगाया, फिर   वह  अपनी मम्मी के पास किचन में गया, मम्मी गीत गाते हुए खाना बना ​​ थी और पापा मुस्कुराते हुए उनकी रसोई में सहायता कर रहे थे.
​  मोलू को दोनों ने अनदेखा कर दिया क्योंकि वह किसी की बात तो मानता नहीं था हमेशा रोता चिल्लाता रहता था.
​ उसने मम्मी से मुस्कुराते हुए कहा कि क्या है उनकी कोई हेल्प कर सकता है.
​ मम्मी पापा दोनों को बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि उन्होंने पहली बार   मोनू का बदला हुआ रूप देखा था.
​" नहीं  मोलू तुम कुछ मत करो बाहर जाकर बैठ जाओ मैं सब कुछ कर लूंगी!"
​ मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा तो मोलू को एहसास हुआ कि हमें अपने सभी कार्य हंसते हुए ही करनी चाहिए.
​ कभी दूसरों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए और हमेशा खुश रहना चाहिए.
​ इसके बाद मोलू ने खुश रहना से रहना शुरू कर दिया. उसके सभी मित्र फिर से उसके साथ खेलने लगे और पेड़-पौधे भी उससे खुश रहने लगे.

​  ✍️  राशि सिंह
​ मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
​( अप्रकाशित एवं मौलिक बाल कहानी)

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