मौत का सामान
चीन के वुहान में
मेरे भारत देश में
कोरोना के वेष में
कौन शत्रु घुसआया है
महाकाल का साया है
सीधे सादे सच्चे हैं
हम तो छोटे बच्चे हैं
हम जो मन में ठाने है
कर के ही फिर माने हैं
शेरों के जो दांत गिनें
हम उन की संताने है
धूर्त चीन मक्कार देश
बस अपने को बचा रहा
महा विनाश का तांडव रच
सारे जग को नचा रहा
ये तो केवल झांकी है
और सैकड़ों बाकी हैं
जानी दुश्मन पक्के हैं
जो वुहान में रक्खे हैं
करने होंगे साफ इसे
कभी न करना माफ इसे
मानव यदि बचाना होगा
वायरस नष्ट कराना होगा
हम बच्चों की माने बात
फिर बाज़ी हो अपने हाथ
इसको सबक सिखाना है
नाकों चने चबाना है
कोई भी सामान नहीं
अब चीनी घर में लाना है
व्यापारिक राहों पर जल्दी
इसका रथ रुक जाएगा
भारत मां के चरणों में
ड्रैगन का सर झुक जाएगा
✍️ अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर
मुरादाबाद 244001
मोबाइल फोन नंबर 8218825541
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देख शरारत से भरी, बच्चों की मुस्कान।
बूढ़े दद्दू भी हुए, थोड़े से शैतान।।
हम बच्चे इस दौर के, रचने को तैयार।
जल-थल-नभ तीनों जगह, एक नया संसार।।
✍️ राजीव 'प्रखर'
डिप्टी गंज, मुरादाबाद
मो० 8941912642
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आलू जी की चढ़ी बारात,
बैंगन नाचे सारी रात ।
भिंडी रानी बनी बावर्ची
ढोल बजाती शिमला मिर्ची।
नींबू ,खीरा, सरसों ,पालक
सजे धजे सब सुंदर बालक।
इठलाते से लाल टमाटर
मेकअप करती मूली ,गाजर।
दुल्हन रानी हरी मटर जी,
करती कितनी चटर-पटर जी।
काशीफल पंडित जी आये,
तब जाकर फेरे पड़वाये ।
✍️ मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
मोबाइल नं. 8218467932
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एक बैल की जोड़ी लादो
मैं खेती करने जाऊंगा.
लकड़ी का एक हल बनवा दो
ढेरों अन्न उगाऊंगा.
ना जाने क्यों गाँव छोड़ के
शहरों को प्रस्थान किया.
स्वर्ण सम्पदा देने वाली
भूमि का अपमान किया
हरी भरी यह छोड़ धरोहर
मैं नहीं शहर को जाऊंगा.
लकड़ी का........
खुली हवा यह बाग बगीचे
मन को खूब लुभाते हैं.
दादा जी खेतों में जाकर
रोज बहुत थक जाते हैं.
छोड़ प्रदूषित जीवनचर्या
मैं गांवों में रह जाऊंगा.
जन जन की अब भूख मिटाने
मैं ढेरों अन्न उगाऊंगा.
लकड़ी का....
✍️ डॉ प्रीति हुंकार
मुरादाबाद 244001
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प्यार अंदर भरा हुआ पर दिखती सख़्त है मेरी माँ
ममता की छांव में उसकी बड़े हुए हम
हम भाई बहनो का अभिमान है मेरी माँ
कभी.........
कड़ी धूप में चलना सिखाया
कठिनाइयों से लड़ना सिखाया
बात ग़लत पर चपत लगाती
राह सच्ची पर चलना सिखाती है मेरी माँ
कभी........
उच्च शिक्षा प्राप्त किए वो
पर अहंकार से बहुत दूर वो
हर पल चुनौतियों का सामना कर
आत्मविश्वास से भरी दिखती है मेरी माँ
कभी..........
न कभी सजते सँवरते देखा
न व्यर्थ बातों में समय व्यतीत करते देखा
सादगी से भरी ममता की मूरत
पूरे दिन हमारी फ़िक्र में
दिन रात मेहनत करती दिखती है मेरी माँ
कभी.....
कभी डाँट कर हमें वो अच्छा बुरा समझाती है
ये जीवन अमूल्य है
हर रोज़ यह बताती है
पथ पर क़दम न डगमगाए कभी
हर राह पर मेरे साथ खड़ी दिखती है मेरी माँ
कभी......
कभी गुरु बन वह मुझे मेरा रास्ता सुझाती है
कभी सखी बन मेरी हर बात बिन कहे समझ जाती है
कभी ईश्वर का रूप धर हर दुविधा में रास्ता बन जाती है
साहस अंदर भरा हुआ
हर विपदा से दूर मुझे कर देती है मेरी माँ
कभी.......
✍️ प्रीति चौधरी
ज़िला -अमरोहा
मोबाइल-9634395599
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बच्चे तो बच्चे होते हैं
भोले-भाले दिल के सच्चे
धमा-चौकडी खूब मचाते
जब हँसते हैं लगते अच्छे
खेल-खिलौने, छीना-झपटी
हो बेकार ,कार है रपटी ।
इसका हँसना,उसका रोना
रोज़ चिढ़ाये कहकर नकटी
गुड़िया बहुत अभी है छोटी
नहीं चिड़ाओ कहकर मोटी
बंद सभी को घर में रहना !
बंद करो अब नल की टोटी।।
✍ जितेन्द्र कमल आनंद
रामपुर
उ प्र, भारत
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लोकडाउन में कर दिया , बच्चों ने हुड़दंग
करते बड़ी शरारतें, मम्मी पापा तंग
कोरोना ने कर दिया, सब बच्चों को पास
और छुट्टियों से बढ़ा, है मन में उल्लास
बच्चों के भी हाथ में, अब रहता है फोन
हुई पढ़ाई नेट से,अब टोकेगा कौन
मम्मी से बनवा रहे, रोज नये पकवान
पिज़्ज़ा आइसक्रीम की , घर में खुली दुकान
कैरम की बाजी कहीं, जमे ताश के रंग
बच्चे या बूढ़े सभी, बैठ रहे हैं संग
रहो घरों में बन्द सब, है सबसे अनुरोध
बच्चे भी संदेश दे, करा रहे हैं बोध
नहीं किसी भी पार्क में, अब बच्चों की फौज
घर के अंदर वो उड़ा, रहे मौज ही मौज
बालकनी से झाँक कर,नीचे देखें बाल
देख बड़े हैरान हैं, सन्नाटे का जाल
कोरोना में छत हुई, खुला हुआ मैदान
पहले रहती थीं बड़ी, कितनी ये सुनसान
बच्चों की फरमाइशें, नहीं रहीं अब आम
करने पड़ते अब उन्हें, घर के भी कुछ काम
✍️ डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
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"सुबह हुई भई सुबह हुई,
सूरज दादा आये द्वार।
छोड़ तुम्हें बढ़ जायेंगे,
मुन्ना देखो अबकी बार।"
मुन्ना बोला,"आया दादु!
पहले आँखें खोल तो लूँ।
प्यारी मम्मी व पापा को,
नमस्कार मैं बोल तो दूँ।"
फिर मंजन व शौच करूँगा,
चेहरा भी तो धोना है।
ठण्डे पानी से नहाना,
मेरे रोज का रोना है।
अच्छा दादु ये बतलाओ,
क्या रोज आप नहाते हो?
बिन नहाए सोने जैसी,
कहाँ से रंगत पाते हो?
पास आपके,है युक्ति जो,
मुझको भी वही बतलाना।
नित नहाने की झंझट से,
पिण्ड मेरा भी छुड़वाना।
✍️हेमा तिवारी भट्ट
मुरादाबाद 244001
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बात पते की हमें बताते,
सच्चाई की राह दिखाते,
उनसे ले लो थोड़ा ज्ञान,
दादा होते बड़े महान।
कन्धों पर वे हमें घुमाते,
आदर औ सद्भाव सिखाते,
बन जा तू उनका अभिमान,
दादा होते बड़े महान।
आज राह का कांटा मत बन,
तू ही कुछ तू सब कुछ मत बन,
गूगल न देता सब ज्ञान,
दादा होते बड़े महान।।
✍️ अभिषेक रुहेला
फत्तेहपुर विश्नोई,
मुरादाबाद 244504
उ०प्र०, भारत
सम्पर्क- +919756937872
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सदा चहकती काली चिड़िया
सचमुच बड़ी निराली चिड़िया
राम के घर से तिनका लाती
रहीम के घर नीड़ बनाती
माइकल के घर खाती दाना
दाना खाकर गाती गाना
मंदिर मस्जिद गिरिजा एक
सब धर्मो में बाते नेक
✍️ डॉ पुनीत कुमार
मुरादाबाद 244001
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दादी माँ तुम कहाँ गईं
पास मेरे फिर आओ ना |
अपने पास लिटा प्रेम से ,
मीठी लाेरी सुनाओ ना |
लाेरी सुनकर निंदिया रानी
चुपके से आ जाती है |
लेकर मुझे अपनी गाेद में,
परीलोक ले जाती है |
परीलाेक में घूम घूम कर
अब जी मेरा ललचाता है |
चाहूं निशिदिन वहीं पे रहना,
पर क्यूंकर वापिस आता है |
प्यारी प्यारी परियां आकर
चुपके से उड़ जाती हैं |
रंग बिरंगे सजे पंखाें से
परीलाेक तक जाती हैं |
✍🏻सीमा रानी
अमराेहा
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प्यारे प्यारे मुन्ना मुन्नी
क्या तुमको है इसका भान
जिस धरती पर हम रहते है
वो है प्यारा हिन्दुस्तान।
देखा होगा अभी आजकल
भेजा है हमने एक चन्द्रयान
वो चन्दा मामा के घर जाकर
देगा हमको उनके घर का ज्ञान।
अगर पढ़ोगे और लिखोगे
बनोगे एक दिन तुम विद्वान
भारत की तकदीर तुम्ही हो
कर्म करो और बनो महान।
देश हमारा विश्व गुरु हैं
चाहे धर्म हो या विज्ञान
आर्यभट्ट और रामकृष्ण ने
दिया विश्व को इतना ज्ञान।
मेरे प्यारे नन्हे मुन्ने बच्चों
रखना सदा देश की शान
हिम्मत करना आगे बढ़ना
कहना जय जवान जय किसान।
✍️ मंगलेश लता यादव
जिला पंचायत
मुरादाबाद 244001
मोबाइल फोन नंबर 9412840699.9045031789
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मास-पर्व के सीखो नाम।
प्रथम माह,जनवरी है आता,
संविधान की याद दिलाता।
छोटा सबसे फरवरी आये,
शीतलहर को तुरंत भगाये।
मार्च में है होली की मस्ती,
देखो कितनी खुश है बस्ती।
अप्रैल में बैसाखी आई,
रबी फसल की शुरू कटाई।
मास पांचवां मई कहलाये,
हर बच्चा नानी-घर जाये।
सबसे गरम महीना जून,
आओ चलें सब देहरादून।
जुलाई में खुल जाते स्कूल,
जून की छुट्टी जाओ भूल।
हर बच्चा हो जाता व्यस्त,
आता है जब माह अगस्त।
इंद्रधनुष देखो सतरंगा,
15 अगस्त फहराओ तिरंगा
अब आयेगा माह सितम्बर,
प्यारे लगते धरती-अम्बर।
लट्टू-फिरकी खूब नचाओ,
हिंदी-दिवस की धूम मचाओ।
अक्टूबर न भूलो भाई,
गांधी-जयंती,खाओ मिठाई।
फिर आयेगी दौज-दिवाली,
हर घर में होगी खुशहाली।
माह नवम्बर रेलमपेल,
बाल-दिवस पर खेलो खेल।
अंतिम माह दिसम्बर आता,
पूरे वर्ष की याद दिलाता।
जाड़े की होती शुरुआत,
खुशी मनायें दिन और रात।
क्रिसमस भी इस माह में आये,
ईसा मसीह की याद दिलाये।
बारह मास रखो तुम याद,
खेलो-कूदो उसके बाद।
✍️ अतुल कुमार शर्मा
निकट प्रेमशंकर वाटिका
सम्भल(उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9759285761,8273011742
एक और सराहनीय आयोजन के लिए सभी को हार्दिक बधाई।
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