बुधवार, 21 जुलाई 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी की कहानी ---भूत बंगला


शहर से दूर एक विशाल बंगला जो सदियों साल पुराना हो चुका था।जिसके चारों ओर तमाम कटीली झाड़ियां और घनी घास- फूस उग आने के कारण वह साफ- साफ नजर भी नहीं आता था।

 वैसे तो वह सरकारी डाक बंगला था।

     कुछ समय से उसमें ठहरने वाले कई अफसरों की अनायास मृत्यु हो जाने के कारण उसमें रुकने को कोई भी तैयार नहीं होता।होते-होते उसका नाम भूत बंगला पड़ गया।

      एक बार एक दिलेर फौजी अफसर ने उसमें ठहरने की इच्छा जताते हुए जिलाधिकारी से आज्ञा लेने का मन बनाया।जिलाधिकारी ने उस फौजी अफसर को उसके बारे में विस्तार से बताकर वहां न ठहरने की सलाह दी।परंतु फौजी ने उस बंगले के रहस्य को जानने का प्रण करते हुए अपना मंतव्य उजागर कर दिया।

     जिला अधिकारी ने कुछ मजदूर लगाकर उसकी सफाई करा दी।फौजी अफसर एक कमरे में बिस्तर लगाकर लेट गया।लेटते ही उसे नींद आ गई।रात्रि के ठीक बारह बजे कमरे के दरवाजे पर ठक,ठक की आवाज़ हुई।फौजी की आंख खुल गई।उसने आवाज़ लगाई कौन है,कौन है।कोई उत्तर न मिलने पर दिल में थोड़ी घबराहट लिए वह सो गया।थोड़ी सी आँख लगने पर वही ठक-ठक की दस्तक फिर हुई।फौजी उठा और दरवाजा खोकर देखा परंतु वहां कोई नज़र न आया मगर दूर किसी कोने से एक खौफनाक हंसी उसके कानों में अवश्य पड़ी।

    फौजी दिल पक्का करके हनुमान चालीसा पढ़ते हुए कमरे में आकर बैठ गया। पुनः हिम्मत बटोरते हुए वह ऊपर छत के एक कोने में छुपकर बैठ गया।और फिर से उसी दस्तस्क का इंतज़ार करने लगा।

    तभी उसने देखा एक सफेद सी आकृति दरवाज़े के समीप आकर रुकी और चारों ओर देखते हुए दरवाज़ा बजाने का प्रयास किया।जैसे ही उसका हाथ दरवाज़े तक पहुंचता,फौजी अफसर ने ऊपर से छलांग लगा दी।और उस सफेद पोश बुरी आत्मा को दबोचते हुए पूछा, बता तू कौन है और क्या चाहता है। फौजी ने उसके ऊपर पड़ी चादर को हटाया तो वह वहां का पुराना चौकीदार कल्लू निकला।

       फौजी अफसर ने उसे कमरे में लेजाकर पहले तो उसकी जमकर धुलाई की। फिर उसके मुंह से वह सत्य उगलवा लिया,जिसके बल पर कल्लू दहशत से मरने वाले अधिकारी का सारा सामान लेकर रफूचक्कर हो जाता।इसके पहले भी वह नौ लोगों को अपना शिकार बना चुका था। जिसके कारण ही उस बंगले को भूत बंगला कहा जाने लगा।

       फौजी अफसर ने कल्लू को साथ लेजाकर जिला अधिकारी के सम्मुख पेश करके उसके काले कारनामों का खुलासा  किया। जिलाधिकारी महोदय ने फौजी अफसर की बहादुरी को सलाम करते हुए प्रशासन से उक्त बंगला उन्हीं के नाम करने की शफारिश करते हुए,अपराधी कल्लू को जेल भिजवा दिया।

       इस प्रकार वह भूत बंगला सदा-सदा के लिए इस पैशाचिक नाम से मुक्त हुआ। फौजी अफसर ने यह प्रमाणित कर दिया कि हौसले में ही जीत छुपी होती है।

✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी", मुरादाबाद/उ,प्र,

                 

                  

                       

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