बुधवार, 21 जुलाई 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में मुंबई निवासी) प्रदीप गुप्ता की कविता---बुढ़ापे को नजदीक आने न दें , जवानी आसानी से जाने न दें


थोड़ी शोख़ियाँ 

थोड़ी मस्तियाँ 

थोड़ी तालियाँ 

थोड़ी गालियाँ 

थोड़ी शरारतें

थोड़ी शिकायतें 

थोड़ी अदावतें 

थोड़ी हरारतें 

बुढ़ापे को नजदीक आने न दें 

जवानी आसानी से जाने न दें 

सोलह शृंगार

नए से विचार 

थोड़ा नक़द 

थोड़ा उधार 

थोड़ा क़ायदा 

थोड़ा फ़ायदा 

थोड़ा वायदा

फैला रायता 

बुढ़ापे को हरदम कहें अलविदा 

जवानी की मस्ती रहेगी सदा 

थोड़ी आशिक़ी 

थोड़ी बेवफ़ाई 

थोड़ी दिलजोई

थोड़ी लड़ाई 

कभी घूमना 

कभी तान सोना 

कभी गपबाज़ी

कभी आँखें भिगोना 

करो ग़र बुढ़ापा फटकेगा नहीं 

सफ़र खूबसूरत अटकेगा नहीं 

कभी पेग अंग्रेज़ी 

कभी मीठी लस्सी 

कभी मस्त चखना 

कभी दारू कच्ची 

कभी खुल ठहाके 

कभी थोड़ी तन्हाई 

कभी महफ़िलें 

कभी प्रिय से जुदाई 

नकारात्मक सोच कभी आने न दें

दिल अपना किसी को दुखाने न दें 

कभी जंगलों में 

तो सागर किनारे 

कभी दोस्तों में 

कभी अपने सहारे 

कभी दोस्ती भी 

कभी दुश्मनी भी 

कभी आशनाई 

कभी दिल्लगी भी 

यह जज़्बा कभी कम होने न दें 

बुढ़ापे को हावी होने न दें

✍️ प्रदीप गुप्ता                                                    B-1006 Mantri Serene, Mantri Park, Film City Road , Mumbai 400065

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