शुक्रवार, 9 जुलाई 2021

मुरादाबाद की संस्था कार्तिकेय ने साहित्यकार वैशाली रस्तोगी को किया सम्मानित

मुरादाबाद की संस्था कार्तिकेय की ओर से गुरुवार 8 जुलाई 2021 को इंडोनेशिया सेआईं साहित्यकार वैशाली रस्तोगी एवं अपर जिलाधिकारी नगर आलोक कुमार वर्मा को सम्मानित किया गया ।

      इस अवसर पर वर्षा ऋतु के स्वागत में आयोजित काव्य संध्या में वैशाली रस्तोगी ने काव्य पाठ करते हुए कहा ---

वर्षा ऋतु आओ तुम्हारा स्वागत है

नभ से निकली हो तुम,

आओ,धरती पर तुम्हारा स्वागत है।

हर सावन में,सावन बरसता है

अबकी बिन सावन बरसात है।

न जाने कितनी अंखियां बरसी हैं,

अपने प्रिय विछोह में तड़पी है।

अबकी सावन ,तुम इस तरह आना 

पीर सबकी, तुम हर ले जाना।

बरखा रानी, तुम कुछ ऐसे बरसना, 

हर दिल को ठंडक दे जाना।

वर्षा ऋतु आओ ,तुम्हारा स्वागत है। 

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच  उन्होंने "माँ " को समर्पित रचना प्रस्तुत करते हुए कहा ---

कहने को माँ शब्द छोटा सा है 

ना मेरा सा है, ना तेरा सा है 

इसमें सम्पूर्ण सृष्टि का वास है 

आनन्द और उल्लास है 

अथाह ताकत और हिम्मत है 

ये प्रेम से भरी गागर है 

समस्त ज्ञान का भंडार है

माँ शब्द में छिपा खजाना है 

सर्दी में वह गरमाहट सा है 

गर्मी में वह शीतल बयार सा है 

बसंत में वह रंग बिरंगे फूलों सा है 

बरसात में वह रिमझिम बरखा सा है।

माँ शब्द में जीवन दर्शन है 

अंधेरे में वह रोशनी सा है 

पीड़ा में वह मलहम सा है 

रात में वह लोरी सा है 

सच में, माँ शब्द 

गागर में सागर सा है। 

 एक अन्य रचना प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा ----

जब ख्यालों में दुनिया बनती है,

एक दर्द सा दिल में होता है।

धड़कन में धड़कन होती है,

आँखों में  नशा सा होता है।

जब ख्यालों में दुनिया बनती है।

एक दर्द सा दिल में होता है। 

जब ख्वाबों में सपने बुनते है,

मन में उमंगे होती हैं।

आशाओं के मोती चमकते हैं,

दिल में सकूं सा होता है।

जब ख्वाबों में सपने बुनते हैं,

मन में उमंगे होती हैं।

जब हकीकत में हम आते हैं,

क्यूं रीते हाथ रह जाते है ?

वक्त गुजरता जाता है,

कुछ अधूरा सा रह जाता है.

जब हकीकत में हम आते हैं।

क्यूं रीते हाथ रह जाते हैं ? 

हल निकालें कुछ ऐसा

न कोई हो दुखी वैसा

हर पल मुस्कुराना हो।

हर श्वांस में शुक्राना हो।

   गोष्ठी में डॉ. संगीता महेश, दीपिका अग्रवाल, विपिन जैन, मनवी कोठीवाल, डॉ. नीलू सिंह, राजू टण्डन ने रचना प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि एडीएम सिटी आलोक कुमार वर्मा ने कार्यक्रम की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि पारिवारिक वातावरण में इतने सुंदर कार्यक्रम कम ही होते हैं।  संस्था के अध्यक्ष दीपक बाबू ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए हम आगे भी इसी प्रकार सामाजिक एवं साहित्यिक कार्यक्रम करते रहेंगे। 

  कार्यक्रम में गोपाल हरि गुप्ता, अभय पाण्डेय, अखिलेश अग्रवाल, गौरव गोयल, डॉ. मनोज रस्तोगी, शालिनी भारद्वाज, डॉ. रंजना मेहरोत्रा का सहयोग रहा।संचालन  डॉ. पंकज दर्पण अग्रवाल ने किया।   







































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