ज़िन्दगी के अनुभवों से जो लिया।
गूंथ गीतों में वही लौटा दिया।।
भावनाओं में सदा बहते रहे हैं हम।
दर्द जितना भी मिला सहते रहे हैं हम।
रूढ़ियों का खुल न पाया कोई ताला,
परिधियों में ही सदा रहते रहे हैं हम।
स्वाभिमानी एक जीवन है जिया।
हम न कोई चाँद पाना चाहते हैं।
हम न नभ को ही झुकाना चाहते हैं।
उड़ रहे आकाश में ऊंचे भले हम,
किन्तु धरती पर ठिकाना चाहते हैं।
भ्रांति का मीठा ज़हर हमने पिया।
अक्षरों ने शब्द को अमृत पिलाया।
शब्द के हर रूप ने हमको रुलाया।
भाव भी अनुभूति भी थी कल्पना भी,
किन्तु काग़ज़ लेखनी को मिल न पाया।
गीत को मेरे मिला है हाशिया
ज़िन्दगी के अनुभवों से जो लिया।
गूंथ गीतों में वही लौटा दिया।।
✍️ डॉ कृष्ण कुमार "बेदिल", "साई सुमरन", डी-115,सूर्या पैलेस,दिल्ली रोड, मेरठ-250002 मोब-9410093943, 8477996428 E-MAIL-kkrastogi73@gmail.com
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