मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति की ओर से 15 जुलाई 2021 को मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन श्री जंभेश्वर धर्मशाला में किया गया।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा ---
रूठे बदरा रे आओ,
रिमझिम रिमझिम बरसो।
विरहिन के मन टीस उठी है,
मेरे धन आंगन बरसो ।
मुख्य अतिथि के रूप में योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा ----
सादगी से सोचिए,जीना बहुत आसान है।
जीवन हजारों जन्म के पुण्य का वरदान है।।"
विशिष्ट अतिथि के रूप में रघुराज सिंह निश्चल ने कहा---
नहीं एक भी ऋतु है ऐसी
जिस के लिए अर्चना होती
एकमात्र ऋतु पावस ही है
जिसके लिए धरा भी रोती।
रामसिंह निशंक द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से आरम्भ गोष्ठी का संचालन करते हुए अशोक विद्रोही का स्वर था --
खेत हैं सूखे सूखे
पानी आंखों में भर आया है ।
वही पुराना ज़ख्म हृदय का
लो फिर से हरियाया है।।
राम सिंह निशंक ने कहा
आई न छाई अब तक कारी बदरिया।
सूखे हैं ताल सारे,सूखी तलैया।
कृपाल सिंह धीमान ने कहा--
हम पैर जमाना भूल गए
हम पेड़ लगाना भूल गए
डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा--
सुन रहे यह साल आदमखोर है।
हर तरफ चीख दहशत शोर है।।
मत कहो यह वायरस जहरीला बहुत
आदमी ही आजकल कमजोर है ।।
राजीव 'प्रखर का स्वर था ---
प्यारी कजरी साथ में,
यह रिमझिम बौछार।
दोनों मिलकर कर रहीं,
सावन का शृंगार।।
मनोज वर्मा मनु ने पढ़ा-
रिमझिम बरखाआयी
झूम ले मन मतवाले।।
इंदु रानी ने कहा-
धरा काशी की और
गंगा मां की धारा है।
गोष्ठी में रविन्द्र पाल सिंह, रमेश चंद्र गुप्ता,तुषार, शास्वत आदि ने भी भाग लिया। इस अवसर पर समिति के संरक्षक योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई जी के जन्मदिन पर उन्हें अंगवस्त्र पहना कर सम्मानित भी किया गया। डॉ मनोज रस्तोगी ने उन्हें बधाई देते हुए पुस्तक भेंट की। रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने आभार अभिव्यक्त किया।
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