एक शहर में दो सगे भाई थे।दोनों बहुत पढ़े-लिखे होने के साथ-साथ चतुर और चालाक भी थे ।हिसाब किताब में उनकी बुद्धिमत्ता के चर्चे दूर-दूर तक मशहूर थे। पाई-पाई का हिसाब रखते थे।पिताजी के रिटायर होते ही दोनों भाइयों ने बड़ी होशियारी से उन्हें समझा-बुझाकर शांति पूर्वक संपत्ति के दो बराबर हिस्से करवा लिए। कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं हुआ। एक हिस्से में पिताजी आ गए और दूसरे हिस्से में मां!
✍️ डॉ पुनीत कुमार, T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001, M 9837189600
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