मैं अंगारों पर चलूँ तुम, फूल पर चलते रहोगे ।
मैं गरल पीता रहूँ तुम, जलद से रमते रहोगे ।।
पी अंधेरा दीप जलकर,
तमस पथ में झलक भरते ।।
तपन शीतल पवन सहकर,
कमल मन की तपन हरते ।।
दे रहे उपहार पर तुम मुस्करा छलते रहोगे ।
मैं अँगारों पर चलूँ, तुम फूल पर चलते रहोगे ।।
स्नेह सिंचित श्रम-सुमन से,
वाटिका सुरभित बनाता ।
जेठ श्रावण-पूस में भी,
स्वेद भर भूतल सजाता ।।
घुन बना पिसता रहूँ तुम देव से पुजते रहोगे ।
मैं अंगारों पर चलूँ तुम, फूल पर चलते रहोगे ।।
शूल से कर्त्तव्य पथ को,
चमन सा मधुमय खिलाता ।
हृदय में पीड़ा संजोए.
रजत-पट पथ पर बिछाता ।।
धरा पर पीड़ित रहूँ तुम, चन्द्रिका पीते रहोगे ।
मैं अंगारों पर चलूँ तुम, फूल पर चलते रहोगे ।।
फूट की आँधी उड़े तो,
सुप्त भावों को जगाती ।
लूट-हिंसा-स्वार्थ-भय की,
बिजलियाँ पग-पग जलातीं ।।
ठोकरें सहता रहूँ तुम, योजना गढ़ते रहोगे ।
मैं अँगारों पर चलूँ तुम, फूल पर चलते रहोगे ।।
आँसुओं की गंग-यमुना,
मर्म सागर को सुनाती
स्नेह ममता की तरंगें,
वज्र मन झर झर बहाती ।।
हृदय में जलता रहूँ तुम,इन्दु से खिलते रहोगे ।
मैं अंगारों पर चलूँ तुम, फूल पर चलते रहोगे ।।
धरा पर विछता तिमिर सा,
भ्रमर गुन-गुन विजय गाते ।
गगन का आंगन न हँसता,
दर्द नीरव स्वर सुनाते ।।
पवन दूषित बिखरता तुम, कोष निज भरते रहोगे
मैं अंगारों पर चलूँ तुम, फूल पर चलते रहोगे ||
मैं गरल पीता रहूँ तुम , जलद से रमते रहोगे।।
✍️ ईश्वर चन्द्र गुप्त ईश
:::::::::प्रस्तुति::::::::
डॉ मनोज रस्तोगी, 8, जीलाल स्ट्रीट, मुरादाबाद 244001,उत्तर प्रदेश, भारत, मोबाइल फोन नम्बर 9456687822
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें