जगरानी के,और मेरी
भारत माता के पूत,
..तुम्हें शत बार नमन है....,
है पंडित! आज़ाद,
क्रांति के दूत,
..तुम्हे शत बार नमन है,,...
बिस्मिल,वीर भगत संग मिलकर
काकोरी से नींव हिला दी,
किस अदम्य साहस से तुमने
अंग्रेजों को धूल चटा दी,
जब तक जिए..
क्रांति प्रण धारा-
डिगे न भर एक सूत,
.तुम्हें शत बार नमन है,,...
है पंडित! आज़ाद,
क्रांति के दूत
तुम्हें शत बार नमन है....,,
उम्र पच्चीस बामनी सीना,
परमोजस्सवी, परम प्रवीना,
अंत समय तक जिए निकंटक
मुश्किल किया ब्रिटिश का जीना,
चंद्र नाम.. पर,
तेज़ अपरिमित-
पौरुष भरा अकूत,
..तुम्हें शत बार नमन है...,
है पंडित! आज़ाद,
क्रांति के दूत,
तुम्हें शत बार नमन है...,
✍️ मनोज वर्मा 'मनु ', मुरादाबाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें