शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की लघुकथा --..'आस्तीन का सांप '​


"देखो मैं अछूत हूँ ...तुम्हारे घरवाले मुझे कभी स्वीकारा  नहीं करेंगे l"अ  ने श नाम की लड़की से परेशान होते हुए कहा .

​"नहीं ...आपने मेरा कितना ख्याल रखा है बचपन से लेकर अब तक ...सब कुछ l"श ने रोकर उसके कांधे पर सिर लगाते हुए कहा 

​"वह तो ठीक है मगर ...तुम्हारा भाई और तुम्हारे पापा का वह चमचा मिश्रा क्या हमको जीने देगा ?"अ ने संदेह प्रकट किया l

​"हमारा परिवार ऐसा नहीं है ....तुम तो बचपन से पापा जी को जानते हो ...कितना विश्वास करते हैं तुम पर ?"श ने उसके चेहरे को मासूमियत से अपनी कोमल हथेलियों में भरते हुए कहा l

​"यह सच है कि हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं ...और तुम्हारे लिए तो मैं अपनी जान भी दे दूंगा l"

​"तो फिर परेशानी क्या है ...मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ ...ले चलो मुझे अपने साथ ...l"उसने उतावलेपन से कहा l

​"मैं तुमसे उम्र में दस साल बड़ा हूँ ...l"

​"तो क्या हुआ मैं तुमसे प्यार करती हूँ ...तुम जैसा कहोगे वैसा ही होगा l"

​उसकी तो वाछे खिल गयीं ...यह सुनकर कि कल तक जिस घर की चाकरी की ...लड़की के दिमाग को ऐसा धोया कि दामाद बनाने को आमादा है .

​इस सुनहरे मौके को भला वह कैसे हाथ से जाने देता ....ऊंची जाति वालों  को नीचा दिखाने का अद्भुत अवसर जो उसके हाथ लगा था .

​कुटिलता उसके चेहरे पर नाचने लगी ...."बात आई गई भी हो सकती है ...हो सकता सच में लड़की का बाप लड़की प्रेम के आगे नतमस्तक होकर उसे माँफ कर दे और उसको अपना दामाद स्वीकार कर ले ...नहीं नहीं ..यह तो ठीक नहीं होगा ...इससे तो उसकी अछूत आत्मा को शांति नहीं मिलेगी ...कुछ नया करते हैं l"अ ने मन ही मन सोचा l

​"मैं तुमसे शादी करूंगा ...मगर l"

​"मगर क्या ?"

​"तुमको एक काम करना होगा ?"

​"क्या ?"

​"अपने पापा और घरवालों के विरुद्ध एक वीडिओ बनाना होगा ....ताकि वे हमको नुकसान न पहुंचा पाएं ...दिखा दो सारी दुनियाँ को कि हम एक दूसरे को कितना प्यार करते हैं ?"उसने एक और तीर छोड़ा जो निशाने पर जा लगा , क्योंकि शिकार मूर्ख है ..नादान है ...अधीर है ...अपनों के खिलाफ ही खड़ा हो गया ...तोड़ने के लिए ...मारने के लिए ....समाज में सिर झुकाने के लिए .

​और फिर उन्हौने बाकायदा वीडिओ बनाकर वायरल कर दिया ....पिता भी अवाक ....समाज भी अवाक ...क्या सिला दिया उस शक्स ने जिसे बेटी की हिफाजत के लिए रखा था वही ....छी ...

​पूरी दुनियाँ को पता चल गया कि फलाने की बेटी भाग गई ...और उनको मरने के लिए छोड़ गई ...तड़पने के लिए छोड़ गई .

​बहुतेरे बापों के मुंह से निकल रहा है .....बिटिया न दीजो ....

​प्रेम त्याग का नाम है ...प्रेम महसूस किया जाने का नाम है ...एक एहसास है ...जिसे डंके की चोट पर नहीं ह्रदय की गहराइयों से महसूस करो ...प्रेम पाने का नहीं ....अपनों को दर्द देने का नहीं ....दर्द सहने का नाम है l

​✍️ राशि सिंह , मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश 


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