गुरुवार, 15 जुलाई 2021

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा) निवासी साहित्यकार रेखा रानी की लघुकथा ---- "जन्मदिन "

   


आज दिन भर नितिन उदास रहा। मम्मी के बार बार कहने पर भी उसने केक काटने से मना कर दिया छोटा भाई सचिन भी उससे कहते हुए ख़ुद को नहीं संभाल पा रहा था। पिछले वर्ष पापा ने सब कुछ कितने अच्छे से किया था।... प्लीज पापा आ जाओ..... कहते हुए फूट फूटकर रोने लगे दोनों भाई ,अब तो घर भर में करुण स्वर पसर गया था। ....प्लीज़ पापा आप एक बार तो आ जाओ। .....देखो आप नहीं आओगे तो मैं न तो केक काटूंगा और न ही खाना खाऊंगा।...... पता नहीं सुबकते सुबकते दोनों भाई एक दूसरे से लिपट कर जाने कब सो गए। .....मां की भी सुबकियाँ रुकने का नाम नहीं ले रही थीं। तभी एक आवाज़ सुनाई दी "अरे नितिन ! उठ चल, केक काट.... आवाज़ सुनते ही.... नितिन उठा देखा पापा पुलिस की वर्दी में मुस्कुरा रहे थे और उसका सिर सहला रहे थे। 

    नितिन उठा .......मोमबत्तियां जलाकर टेबल पर रखे हुए केक पर सजाकर फूंक मारकर केक काटते हुए बोला... "पापा अब मत जाना ।"

    मां आंसुओं को पोंछती हुई मुस्कुरा कर अपने लाल को लंबी उम्र की दुआएं देती रही।....

  सचिन यह सब देखकर हतप्रभ सा हो गया..... कि क्या पापा सितारों की दुनिया से वापस लौट आए हैं या सिर्फ़ एक सपना था या केवल अहसास था अपनों का ....

   ✍️  रेखा रानी, विजय नगर गजरौला, जनपद अमरोहा ,उत्तर प्रदेश।

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