एक दूसरे के खून के प्यासे बने दो ऐसे परिवारजो आपस में सगे चाचा-ताऊ की औलाद होते हुए भी आपस में एक दूसरे की सूरत तक देखना भी पसंद नहीं करते।
दोनों ओर के लोगों के हाथों में एक से एक भयानक हथियार देखकर मुहल्ले के लोगों के साथ-साथ वहां से गुजरने वाले हर एक व्यक्ति के मन में एक अजीब सा भय व्याप्त था।पता नहीं कब कोई अनहोनी हो जाए।
किसकी तरफ से कौन काल के गाल में समा जाए।इतना विस्फोटक माहौल देखकर कोई भी उनके पास जाकर उनसे इसका कारण जानने की हिम्मत तक नहीं कर जुटा पाता।
तभी एक बूढ़ा व्यक्ति जो फटे-पुराने कपड़े पहने था।पैरों में जूते भी न होने के कारण दोनों पैर बुरी तरह से घायल और ऊपर तक सूजे हुए थे। रूखा-रूखा चेहरा,बिखरे-बिखरे बाल,बुझी-बुझी सी आँखें,सूखी हुई काया किसी अस्थिपंजर से कम नहीं लग रही थी। ने पास जाकर उन दोनों क्रोधित परिवार के सदस्यों को शांत करते हुए पूछा, बेटा ऐसी क्या समस्या है जिसका परिणाम इतना भयंकर होने जा रहा है।
तभी दोनों परिवारों के सदस्य एक साथ बोल पड़े बाबा यह हमारी एक इंच जमीन पर जबरदस्ती कब्ज़ा करना चाहते हैं।जो हम इन्हें करने नहीं देंगे।चाहे कुछ भी क्यों न हो जाए।
तभी दूसरी तरफ के लोगों ने भी अपने कागजात दिखाते हुए कहा कि इन पर हम सबके नाम देखकर आप खुद ही फैसला करें बाबा,कि कौन सही और कौन ग़लत है।
बाबा ने मुस्कुराते हुए दोनों पक्षों से एक सवाल किया कि आप मुझे यह बताएं कि आप अपने परिवार के किस-किस सदस्य को खोना पसंद करेंगे।अपने बाप-दादा को,अपने भाइयों को,चाचा-ताऊ, या अपनी माँ,बहन,बेटियों के अलावा अन्य सगे रिश्तेदारों को।
अगर एक इंच ज़मीन का टुकड़ा आपकी शांति को भंग करके आपको मेरी तरह बेसहारा और भिखारी बना दे,क्या यह अच्छा लगेगा आपको,,,
मेरा भी बहुत सम्पन्न परिवार था।सभी में बहुत एका था।सब एक दूसरे पर जान छिड़कते थे।सब हमारे परिवार की एकता की मिसालें देते नहीं थकते थे। परन्तु
तभी मेरे परिवार में भी सिर्फ एक इंच ज़मीन के टुकड़े को लेकर ऐसा महाभारत हुआ कि मेरे सिवाय पूरा परिवार ही लालच की भेंट चढ़ गया।
आज मैं अकेला इस संसार में अपने दिन पूरे कर रहा हूँ।भीख मांग कर पेट भर लेता हूँ।कभी-कभी तो भूखे पेट ही सो जाता हूँ।हर समय अपने उन सुनहरे दिनों की शानदार यादों को
संजोते हुए केवल और केवल अपनी आंखों से आंसू बहा कर अपने मन को हल्का कर लेता हूँ।
ओ प्यारे बच्चो आपसी झगड़ों से कुछ हासिल नहीं होता।मिलती है तो सिर्फ बर्बादी की चुभन।
इसलिए आपस में गले मिलो और भयानक अपराध से बचो।इसी में समस्त परिवार का भला है।सभी ने बाबा की बातों पर अमल करते हुए अपने-अपने हथियार फेंक कर एक दूसरे को प्यार से गले लगाते हुए अनर्थ होने से बचा लिया। बाबा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आशीर्वाद देते हुए कहा। सभी का कल्याण हो।
✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी",मुरादाबाद/उ,प्र,
मोबाइल फोन नम्बर 9719275453
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