गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर की लघुकथा -- लाइन


"बड़ी मुसीबत है। इतनी देर हो गयी लाइन में लगे हुए, पता नहीं नंबर कितनी देर में आयेगा",
फॉर्म जमा करने के लिए लाइन में बहुत समय से खड़ा संजय बौखलाकर बुदबुदाया।
इसी बौखलाहट में उसने अपना सिर घुमाकर देखा कि उसके पीछे भी लाइन काफी दूर तक जा रही थी।
यह देखते ही संजय की बौखलाहट संतोष में बदलने लगी थी। अब वह आराम से खड़ा अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगा था।

✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

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