हमारे देश में पुराने जमाने में राज दरबारों में राजा के इर्द गिर्द चारण और भाट रहा करते थे , जिनका बुनियादी काम राजा की स्तुति और चरण वंदना होता था . वे राजा को रोज़ नए नए विशेषणों से नवाजते थे . राजा की वीरता , दयानतदारी और शौर्य के ऐसे ऐसे क़िस्से बना कर प्रस्तुत करते थे कि पूरा का पूरा दरबार तालियों से गूंजने लगता था . देखा जाए तो इस क़वायद का यही मूल उद्देश्य भी होता था .
एक नमूना देखिए ये चारण राजा को किस तरह खुश करते थे . एक दिन राजा लंच में बैंगन की सब्ज़ी खा कर आया था , पता नहीं ख़ानसामे ने बहुत ही घटिया तरीक़े से पकाई थी , राजा ने इस बारे में दरबार में चर्चा की . चारण फ़ौरन बोल उठा , साहब इसी लिए बैंगन को हमारे तरफ़ के गावों में बैगुन बोलते हैं . और साहब प्रकृति ने इसे एक दम बदसूरत काला कलूटा बनाया है . तालियाँ बजीं और चारण का दिन बन गया. इस घटना के कुछ महीने बाद ख़ानसामे ने फिर से बैंगन की सब्ज़ी बनाई , इस बार राजा को बहुत पसंद आयी . राजा ने इस बारे में दरबार में ज़िक्र किया . चारण दरबार में मौजूद था , उसने राजा से कहा ,’बैंगन की बात ही कुछ अलग है , प्रकृति ने इसे सब्ज़ियों का राजा बनाया है . हुज़ूर आपने गौर किया होगा कि इसके सिर पर सुंदर मुकुट भी होता है .’ इस बात पर दरबार में ख़ूब तालियाँ बजीं .
अचानक राजा को ख़्याल आया कि कुछ महीने तो यह बन्दा बैंगन को काला कलूटा और बैगुन बता रहा था . राजा ने जम के चारण की क्लास ली . लेकिन चारण ठहरे चिकने घड़े , कहने लगा ,’ साहब हम तो आपके चाकर हैं बैंगन के नहीं !’
धीरे धीरे राजवंश ख़त्म होते गए , जिसके कारण चारण भाट के अस्तित्व को ही संकट खड़ा हो गया , इन्होंने अपने आप को रि-इंवेंट किया और इनके नए अवतार धन कुबेरों और साहूकारों से जुड़ गए . अजेंडा वही का वही था बस लक्ष्य बदल गए . अब वे सेठ साहूकारों को महिमामंडित करने के लिए छंद, दोहे और कविताएँ भी लिखने लगे .
चलते चलते आपको एक नए गेम चेंजर के बारे बतायेंगे. जिस के कारण चारणों की संख्या अब लाखों करोड़ों में पहुँच गयी है . ये लोग पूरे सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं . वाट्स एप, फ़ेसबुक आदि पर आजकल तीन क़िस्म के लोग हैं . एक तो वो हैं जो अपने सहकर्मियों , रिश्तेदारों और मित्रों से ज़रूरी बातचीत करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं . दूसरी श्रेणी उनकी है जो अपने अपने आकाओं के महिमामंडन और उनके विरोधियों के खिलाफ ऐसी ऐसी पोस्ट तैयार करते हैं कि पढ़ के लगता है कि पुराने जमाने के चारण भाट अर्थहीन हैं , ये हिस्ट्री और जियोग्राफ़ी सभी कुछ बदलने की अकूत क्षमता रखते हैं . तीसरी श्रेणी ग़ज़ब की है , इनकी संख्या अब करोड़ों में है , इन लोगों के पास समय ही समय है दिमाग़ में काफ़ी सारा स्पेस ब्लैंक है , इनका काम सोशल मीडिया पर पहले से ही तैर रही तैयार पोस्ट अपने इष्ट मित्रों को उछालना है . यह सोशल मीडिया पोस्ट उछालना अब राष्ट्रीय खेल बन चुका है . कई बार तो पत्रकार भी सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर समाचार लगा देते हैं और बाद में सही तथ्य की ओर ध्यान दिलाए जाने के बाद माफ़ी माँग लेते हैं , कुछ तो इसकी ज़रूरत भी नहीं समझते हैं .
✍️ प्रदीप गुप्ता
B-1006 Mantri Serene
Mantri Park, Film City Road , Mumbai 400065
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