गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल की साहित्यकार डॉ अलका अग्रवाल की गजल -- जन्नत है घर में, तो घर से बाहर क्यों जायें ? जिंदगी है घर, तो मौत से मिलने क्यों जायें?


जन्नत है घर में, तो घर से बाहर क्यों जायें ?
जिंदगी है घर, तो मौत से मिलने क्यों जायें? 

हर चेहरे पर नकाब है, कहाँ छिपा हो कातिल
जहरीली हवा में सांसें गिनने क्यों जायें?

हक़ है तेरे प्यार पर, उनका भी जो जीते हैं संग
बेवजह अपनों के जीवन को दांव पर क्यों लगायें?

यूंही बीमारों से भर गई है दुनिया की महफ़िल
अब उसके कद्रदानों में नाम क्यों लिखायें?

लाखों शिकार कोरोना के, हम बना रहे चुटकुले
दुनिया बन रही शमशान, कुछ तो शर्म दिखायें!


✍️ डा. अलका अग्रवाल
एसोसिएट प्रोफेसर
अंग्रेजी विभाग
एन. के. बी. एम. जी. कालेज
चंदौसी , जिला सम्भल
उत्तर प्रदेश, भारत

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