"नहीमाँssssss....आज देखो न आसमान कितना स्वच्छ है, कहीं भी कोई ध्वनिप्रदूषण नही है, कोई धुआं नही है, इंसान तन-मन से कितने अनुशासित हो गए हैं, कोई हम पशु-पक्षियों को मारने की सोच भी नही रहा, आज जी भर के उड़ लेने दो ना माँ, दिल बहुत खुश है ये वातावरण देख के माँ, मैं नही आऊँगी"।
"अरे ये सुनती तो है नही,अब इस पागल को कौन समझाए के ये इन्सानी लोग हैं भला कब तक एसे रहने वाले हैं हम सब की जान तो तब तक तक ही सलामत है जब तक ये कोरोना.."।
✍️इन्दु रानी
वाह
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