गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा --- जिम्मेदार कौन


      आज स्कूल की छुट्टी जल्दी हो गई थी। माला बस में बैठकर घर वापिस आती थी। रोज की तरह आज भी सर्दी बहुत थी।माला  छुट्टी के बाद जल्दी ही बस में बैठ गई थी। थोड़ी देर बाद अपने गन्तव्य पर पहुंचने पर जब वह बस से उतरी तो उसने देखा कि एक बुजुर्ग सी महिला, जो कि ठीक ठाक से कपड़े पहने हुए थी, बहुत परेशान सी इधर उधर देख रही थी। माला को जब उस बुजुर्ग महिला ने देखा तो वह उसके पास आई, माला थोड़ा असहज हुई। वह महिला उसके पास आकर धीरे से बोली, “बेटा, मेरा पर्स चोरी हो गया है। मेरे पास घर जाने के लिए पैसे नही है।” माला ने सोचा कि ये नया तरीका है पैसे ऐंठने का। वह आगे बढ़ गई, परंतु कहीं न कहीं उसके मन मे यह बात आ रही थी कि कहीं वास्तव में तो उस महिला का पर्स चोरी नहीं हो गया। माला इसी सोच विचार में घर पहुंच गई। तथा फिर अपने रोजमर्रा के कार्य निपटाने में लग गई।
       सुबह जब वह तैयार होकर स्कूल के लिए निकली तो देखा कि बस स्टैंड के पास ही एक जगह बहुत भीड़ लगी थी, लोग आपस मे बात कर रहे थे..बेचारी ठण्ड को सहन नही कर पाई, सर्दी अंदर तक हड्डियों में घुस गई। माला भी थोड़ा डरते सकुचाते हुए उस तरफ जाने लगी। न जाने क्यों उसको सहसा ही कल की घटना याद आ गई कि कहीं वो बुजुर्ग महिला तो.....तभी भीड़ के बीच से अपना चेहरा निकाल कर देखा तो उसके होश उड़ गए, उसका रंग पीला पड़ गया, जैसे अचानक से उसका खून जम गया हो, जब सामने उसने उस महिला को सड़क पर पड़े देखा, क्योंकि वह वही महिला थी जिसने कल उससे मदद की गुहार की थी। दृश्य उसकी आँखों के सामने था एकदम। यह देखकर एकाएक माला की आंखें भर आयी और सोचने लगी कि उसकी इस हालत की जिम्मेदार कौन है..? कहीं वह खुद तो जिम्मेदार नहीं......? नही... !! नही.....!! आखिर जिम्मेदार कौन है.....??
                                      ✍️  प्रीति चौधरी
                                   गजरौला,अमरोहा
                                  मोबाइल  9634395599

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