सोमवार, 6 अप्रैल 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल निवासी साहित्यकार त्यागी अशोक कृष्णम की कविता ---दियों की लौ में कोरोना जलाना है ---------

 
मोहब्बतों के गुलाब,शांति के कबूतरों,
खून से लहूलुहान,एकता के चबूतरों।
उल्लूओं के वंशजों,भेड़ों बकरे-बकरियों,
बरसात में कंपकंपाती,टूटी फूटी छतरिओं।
थूको,जी भर कर थूको,फिर चाटो,
निर्वस्त्र घूमो,पत्थर फेंको,आफत काटो।
कोई मौका मत चूको,कोहराम मचाने का,
अपनी शैतानियत से इंसानियत को सताने का।
फिर देखना!
देश-दुनिया क्या,तीनों लोकों में,तुम्हारा ही राज चलेगा,
ऊपर वाला खाली बैठेगा,सिर धुनेगा,हाथ मलेगा।
महामारियों का जन्मदाता भी सोचेगा,गुमसुम हो,
सौ कोरोना से भी घातक बीमारी,तुम हो।
अरे भाई सुनो!
मैं भी अनजाने में,जाने क्या-क्या बढ़बढ़ाता हूँ?
कहां निकलता हूँ,कहां पहुंच जाता हूँ?
आज तो हमें दीवाली मनानी है,घर जगमगाना है,
दियों की लौ में कोरोना जलाना है।

***त्यागी अशोक कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर-9719059703

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