गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर की लघुकथा --- गधत्व


"हट हट ....चल चल चल... ."
आसमान पर काले घनघोर बादल घिर आये थे। खराब हो चुके मौसम के बीच, बाग में बेफ़िक्र घूम रहे अपने प्रिय गधों को घर के भीतर करने का प्रयास करते हुए हरिया लगातार चिल्ला रहा था। गधे भी किसी निराली मिट्टी के ही बने थे, भीतर जाने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
"हssssट .......चल......अंदर... हsssट...",
गधों की बेफ़िक्री से परेशान होकर बौखलाया हरिया अब डंडा लेकर उन पर पिल पड़ा था।  उसकी मेहनत रंग लाई और गधे खराब होते मौसम के बीच आखिरकार घर के भीतर चले गए।
हरिया के चेहरे पर अब संतोष की लकीरें उभर रही थीं क्योंकि, उसने अपने प्यारे गधों को खराब मौसम से बचाते हुए, सुरक्षित घर के भीतर कर लिया था।

***राजीव 'प्रखर'
डिप्टी गंज
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

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