मंगलवार, 6 जुलाई 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार नाज की ग़ज़ल ----रामचरितमानस, रामायण, भगवद्गीता, वेद, पुराण अभिनंदन उन पुरखों का जो ये जागीरें छोड़ गए


वादों की फ़ेहरिस्त दिखाई और तक़रीरें छोड़ गए 

वो सहरा में दरियाओं की कुछ तस्वीरें छोड़ गए


कच्ची नींदों से उकताए, अलसाए, झुँझलाए ख़्वाब 

आँखों की दहलीज़ पे आए, कुछ ताबीरें छोड़ गए 


रेगिस्तान में उठने वाले तेज़ बगूले क्या जानें

रेत के सीने पर कितनी ही वो तहरीरें छोड़ गए 


घर आए कुछ मेहमानों का ऐसा भी बर्ताव रहा 

दीवारों पर आड़ी-तिरछी चंद लकीरें छोड़ गए 


ज़िंदाबाद मुहब्बत, तेरे दीवाने भी ज़िंदाबाद 

ज़ात फ़ना कर बैठे अपनी और नज़ीरें छोड़ गए


रामचरितमानस, रामायण, भगवद्गीता, वेद, पुराण 

अभिनंदन उन पुरखों का जो ये जागीरें छोड़ गए

✍️डा. कृष्ण कुमार ' नाज़'

सी-130, हिमगिरि कालोनी, कांठ रोड, मुरादाबाद-244 001.

मोबाइल नंबर  99273 76877






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