बुधवार, 10 जून 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार इला सागर रस्तोगी की कहानी ------- पिता की परवरिश


"मिस्टर मुकेश आपका बेटा अंश सभी बच्चों से लड़ता है उन्हें बुरी तरह से मारता पीटता है। यह देखिए इस बच्चे के हाथ में कितनी चोट आई है...." मैडम इशिता ने घायल बच्चे का हाथ दिखाते हुए कहा।
मुकेश ने बच्चे के चोट देखते हुए कहा "वाकई में मैडम घाव तो गहरा है लेकिन विश्वास कीजिए अंश जानबूझकर कभी ऐसा नहीं करेगा। अवश्य ही किसी बात पर दोनों बच्चों में झगड़ा हुआ होगा वरना अंश ऐसे किसी को कभी भी चोट नहीं पहुंचा सकता ।"
मैडम ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया "जब आपसे अपना बच्चा संभाला नहीं जाता तो आप इसे हॉस्टल में क्यों नहीं छोड़ देते। वहां रहेगा तो कम से कम कुछ तो सीखेगा। केवल पढ़ाई में अव्वल अंक लाना ही सबकुछ नहीं होता डिसिपिलीन भी अत्यधिक आवश्यक है। आपसे अपना बच्चा नहीं संभाला जा रहा और आप दूसरे बच्चों पर झगड़ा करने का आरोप लगा रहे हैं। बिना माँ के पलने वाले बच्चे ऐसे ही होते है उनमें न भावनाएं होती हैं व न ही संस्कार। "
मुकेश ने मैडम की आखों से आंखें मिलाकर कहा "मैडम मेरा बच्चा मेरे लिए मेरा जीवन है, मैं इसे बोर्डिग स्कूल कभी नहीं भेजूंगा। इसकी माँ के जाने के बाद मैंने ढेरों रिश्ते आने पर भी दोबारा शादी नहीं करी क्योंकि मैं इसे कभी दुखी नहीं देख सकता। मैने इसकी परवरिश स्वयं की है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि बिना किसी कारण के मेरा अंश किसी को चोट नहीं पहुंचा सकता।
और आप यह देखिए अंश के गले में नाखून के जो निशान हैं क्या मैं आपसे उसका कारण जान सकता हूं?"
इस बात पर मैडम थोड़ा घबरा गई।
तभी मेज पर रखा फोन रिंग किया। दूसरी तरफ से प्रिंसिपल ऑफिस से चपरासी बोल रहा था। उसने इशिता मैडम, मुकेश एवं दोनों बच्चों को ऑफिस में बुलाया। सभी प्रिंसिपल ऑफिस में पहुंचे।
प्रिंसिपल मिस्टर द्विवेदी ने मैडम इशिता से कहा "आपके और मिस्टर मुकेश के मध्य हुआ वार्तालाप मैने कैमरे पर सुना तथा मुझे बहुत दुख हुआ कि आपने पेरेंट से इतने रुखे तरीके से बात करी यह सरासर डिसिपिलीन के खिलाफ है।"
मिस्टर मुकेश से क्षमायाचना करते हुए प्रिंसिपल सर ने कहा "मैं अपने स्टाफ के इस रुखे रवैये के लिए आपसे क्षमा याचना करता हूं। मैं समझ सकता हूं कि कोई भी बच्चा बिना कारण कभी कुछ गलत नहीं करता। और अंश तो हमारे स्कूल का सबसे होनहार एवं समझदार स्टूडेंट है मुझे लगता है कि हमें अंश से ही इस घटना का कारण पूछना चाहिए।"
जब प्रिंसिपल ने अंश से इस घटना का कारण पूछा तो पहले वह घबरा गया लेकिन फिर हिम्मत करके उत्तर दिया "आक्रोश और उसके दोस्तों ने मिलकर मुझे बोला कि मैं और मेरे पापा बहुत बुरे हैं इसीलिए मेरी मम्मी हमसे परेशान होकर हमें छोड़कर चली गई। मैंने कहा भी कि नहीं, मेरे पापा बहुत अच्छे है, मम्मी को बहुत सारे काम थे वो इसीलिए गईं। इतना कहते ही सभी ने मुझे घेर लिया और बोला कि मेरी मम्मी भगौड़ी है और मेरे पापा राक्षस हैं। मैंने मना भी किया कि न बोलें तो आक्रोश ने मेरा गला दबाया। मैं चिल्लाया तो बाकी सब बच्चे भाग गए। लेकिन आक्रोश रुका नहीं इसीलिए मैंने खुद को छुडाने के लिए उसे धक्का दिया और वो पीछे खड़ी मोटरबाइक से टकरा गया। बाइक उसपे गिर गई और उसका साइलेन्सर बहुत गर्म था । जब आक्रोश को चोट लगी और वो जोरों से रोने लगा तो मैं दौड़कर टीचर को बुला लाया।"
अंश की आखों से आंसुओं की धारा बह निकली और वो पापा से बोला "पापा मैंने कुछ नहीं किया मैंने किसी को चोट नहीं पहुंचाई। पापा मम्मी से कह दो न कि वापस आ जाए देखो सब मुझे कितना परेशान करते हैं। पापा मेरी चोट नहीं दिखी मैम को और उन्होंने मुझे पूरी क्लास के सामने डांटा और बहुत बहुत बुरा बोला किसी ने भी आक्रोश से कुछ नहीं कहा, किसी ने मेरी चोट पर दवाई भी नहीं लगाई बहुत दर्द हो रहा है पापा आक्रोश ने बहुत जोर से नाखून मारे हैं। पापा देखो कितना खून बह रहा है। पापा मम्मी को बुला लाओ न अगर वो साथ होती तो कोई ऐसा नहीं बोलता। पापा मैं इतना ही बुरा हूँ कि मम्मी मुझे छोड़कर चली गई। उनसे कह दो कि वापस आ जाए मैं कभी उन्हें परेशान नहीं करूंगा।"
अंश की बात सुनते सुनते ऑफिस में उपस्थित सभी लोगों की आंखें आंसुओं से भर गई। प्रिंसिपल सर ने इशिता मैडम की ओर प्रश्नसूचक नजरों से देखा। मैडम की आँखें तो खुद अपनी इस भारी भूल पर शर्म से झुक चुकी थी।
प्रिंसिपल सर ने दराज से फर्स्ट एड बॉक्स निकालकर अंश के चोट की मरहमपट्टी करते हुए कहा "नहीं बेटा तुम बहुत अच्छे और समझदार। और एक बात बताओ जब तुम्हारा दिल इतना अच्छा है और तुम्हारे पास इतने अच्छे पापा है तो तुम मम्मी को क्यों याद करते हो? तुम इतने प्यारे हो कि तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें छोड़कर जाकर बहुत बड़ी गलती की है। लेकिन तुम अपने सर को प्रॉमिस करो कि हमेशा ऐसे ही अच्छे बच्चे बनकर रहोगे, बहुत अच्छे नंबर भी लाओगे और लड़ाई भी नहीं करोगे।"
अंश ने उत्तर दिया "लेकिन सर मैं तो यह प्रॉमिस पहले ही पापा से कर चुका हूं कि मैं कभी भी लड़ाई नहीं करूंगा और हमेशा अच्छा बच्चा बन कर रहूंगा। आप कह रहे हो तो आपसे भी कर देता हूं।"
प्रिंसिपल सर ने अंश की पीठ थपथपाते हुए कहा "वेरी गुड बेटा तुम बहुत समझदार हो........." और उसे एक बड़ी सी चॉकलेट दी।
प्रिंसिपल सर ने मुकेश से टीचर के बेरुखी बर्ताव के लिए फिर से माफी मांगी और आश्वासन दिया आगे से ऐसा नहीं होगा। साथ ही हिम्मत बढ़ाते हुए यह भी कहा "आपका बच्चा पढ़ाई में बहुत अच्छा है साथ ही व्यवहारकुशल एवं समझदार भी है। आपने अपने बच्चे में बहुत अच्छे संस्कार गढ़े हैं। यह अवश्य ही एक दिन आपका नाम रोशन करेगा।"
प्रिंसिपल सर के मुंह से आश्वासनभरे शब्द सुन मुकेश को गर्व महसूस हुआ। उसके मन में ये विचार पनपने शुरू हो गए थे कि उसकी पत्नी मीना ने उसे तलाक दे अपने दोस्त अविनाश से पुर्नविवाह किया इसमें भी शायद उसी की गलती होगी। शायद उसी ने अपनी पत्नी का ध्यान ढ़ग से नही रखा होगा तभी वो अपने दूसरे बच्चे का अबारशन करा, ढ़ाई साल के अंश को और उसे दोनों को ही अकेला छोड़ गई। लेकिन अंश के द्वारा अपना पक्ष रखने तथा प्रिंसिपल सर द्वारा प्रशंसा एवं हौसलाअफजाई से उसे महसूस हुआ कि वो गलत नही है, जो वास्तविक रूप से गलत थी वो केवल मीना थी।

✍️ इला सागर रस्तोगी
मुरादाबाद

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