मंगलवार, 23 जून 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की लघुकथा ---कर्म ही पूजा


अवनि सात बजे कॉलिज जाने के लिये बाइक स्टार्ट करने लगी ।उसके बगल में रहने वाली मीना उसे पुकारा ,"अरे आज छुट्टी नहीं है ,इतना बड़ा त्योहार है आज "बढ़ मावस"। व्रत रखा है क्या ?
अवनि ने देरी की वजह से संकेत में न कहना चाहा,पर मीना ने व्यंग्य करके कहा ,पति की लंबी आयु के लिये रखा जाता है यह व्रत । पर तुम कहाँ इतना.........कर पाओगी ...पानी भी नही पिया जाता। अवनि चुप न रह सकी ,उसने भी उसी लहजे में कहा 'हाँ जानती हूँ। पर पति की उम्र व्रत करने से नही उसका सहयोग करने से बढ़ती है। मेरे पति निश्चय ही मेरे बिना व्रत किये ही दीर्घायु होंगे क्योंकि उनकी आधी से ज्यादा जिम्मेदारियां मैने अपने कंधों पर ले रखी हैं । कर्म ही मेरी पूजा है जिसको मैं तत्परता से कर रही हूं।"अवनि स्कूटी स्टार्ट करती उससे पहले ही वह ज्ञान बांटने  वाली अपनी राह चलती बनी।

✍️ डॉ प्रीति हुँकार
मुरादाबाद

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