लता ने कहा -"कैसी कविता हो गयी? 66 साल के हो गये पर लड़कों की तरह मोबाइल पर चिपके रहते हो ।"
"मैं भी अब आराम करूंगी जब मन हो खा लेना । आंखें लाल हो जाती हैं देखते-देखते। फिर कहते हैं कि चश्मे का नंबर बदलवाना है ।" -लता बुदबुदाते हुए रसोई से निकल गयी ।
"लो छोड़ दिया लिखना" अंजान ने कहकर मोबाइल को चार्जिंग पर लगा दिया । "अरे ! तुम मेरे भले की ही तो कहती हो । इससे मेरा समय कट जाता है और मेरा शौक भी पूरा हो जाता है ।"
लता बोली - "थाली ढ़की रखी है । खाना खाकर फिर चिपक जाना मोबाइल पर और रात को कहना - आई ड्रॉप कहां है?"
✍️ राम किशोर वर्मा
रामपुर
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