मंगलवार, 16 जून 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की कहानी ----- उधार का दर्द


  ....,,गोरू वाच्छी गोरू चुगावे धारे लगाओ,,! सुबह हुई नहीं कि  जगदीश की आवाज पूरे गांव में गूंजने लगती थी ...सभी की गाय बच्छियों को चराने के लिए वह पास की पहाड़ियों पर ले जाता था और .....
 दिन भर जंगल में चुगा चुगा कर शाम को लौटा कर ले आया करता था शाम को लौटने पर गाय बच्छियों के गले में बंधी घंटियों की आवाज से पता लग जाता था सभी कि पशु जंगल में पेट भर घास चर कर वापस आ गए हैं ....
     उस दिन जगदीश अपनी ईजा से चार रोटी बंधवा कर गाय, बकरियों ,बछड़े , बच्चियों को लेकर ऐसा गया  कि लौट कर ही नहीं आया.... परन्तु ... सबके पशु नियत समय पर ही वापस लौट कर आ  गये थे...  पूरे गांव में शोर मच गया ....? .... हां !...उसी दिन एक तेंदुए के पेट में  जगदीश का भाला लगा मिला  तेंदुआ खून से लथपथ  मरा पड़ा मिला था सभी ने सोच लिया कि तेंदुए का जोड़ा रहा होगा...दूसरा तेंदुआ ही उसे उठा कर ले गया  होगा.... नीचे सड़क पर जाने पर लोगों को बहुत सारा खून पड़ा मिला.... जगदीश की मां का रो-रोकर बुरा हाल था...,,चार रूखी रोटियां दीं . थीं.. अचार प्याज भी नहीं था,,..... आज  ...सुबह भूखा ही चला गया था !!...विलाप कर रही...थी !! बेचारी गरीब विधवा का इकलौता बच्चा कौन सहायता करे...? हे भगवान...तकदीर के सामने किसी का ज़ोर नहीं ...जयपाल पधान की चौपाल पर पंचायत बैठी ....भीड़ में चर्चा हो रही थी तरह  तरह की बातें बनाई जा रहीं थीं ,, दो तेंदुए रहे होंगे तेंदुआ ही उसे फाड़ कर खा गया,,! उसको ले गया ... क्योंकि वहां पर खूब सारा खून पड़ा था .. जगह जगह ख़ून की बूंदें पड़ी थी .... नीचे  रामनगर को सड़क  जाती थी.?.. तभी हरीश पांडे ने कहा कि जगदीश ने उससे ₹5000 कर्ज लिया था चुकाया नहीं जा रहा था इसीलिए शहर भाग गया है.....
       ‌  जगदीश की ईजा गंगा का एक ही बेटा था पास पैसे ना होने के कारण से और कोई काम धंधा नहीं सुझाई दिया तो गाय बकरियों को चराने का काम करने  ........ लगा . ..साल भर में फसल के समय सब लोग उसे आनाज और पैसे जिसकी जो श्रद्धा होती दे दिया करता था
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    .... धीरे धीरे 3 महीने गुजर गए  अचानक गांव में फिर हल्ला हुआ ,, जगदीश लौट आया! .....जगदीश लौट आया !..... जगदीश के घर भीड़ जमा हो गई हरीश भी पहुंचा हरीश ने कहा कहां थे तब जगदीश ने बताया तेंदुआ गाय बकरियों पर लौटते समय टूट पड़ा था वह तेंदुए से भिड़ गया और बुरी तरह जख्मी हो गया तेंदुए को उसने मार डाला गाय बकरियों को बचा लिया.... परन्तु उसका खुद का बहुत सा खून बह जाने से वह बेहोश हो गया आंख खुलीं तो वह अस्पताल में था .... तभी एक एंबुलेंस वहां से गुजरी और वही  उसे उठाकर ले गए रामनगर से  उसे दिल्ली भेज दिया था और वहीं के इलाज से उसकी जान बची ....... परन्तु उसका नाम बहादुर बच्चों में लिख लिया गया है 26 जनवरी को उसे सम्मानित किया जाएगा और इनाम भी दिया जाएगा और सरकार ने उसे भविष्य में नौकरी देने के लिए भी घोषणा की है फिलहाल उसे ₹10000 देकर घर पहुंचाया गया है
     जगदीश ने ईजा से ₹5000 लेकर हरीश पांडे को दिया ... जगदीश ने बताया जख्मी होने के दौरान मुझे सबसे ज्यादा चिंता तुम्हारे उधार की थी जिस काम के लिए पैसे लिए थे वह काम भी नहीं हुआ पैसे भी खर्च हो गए लो चाचा..... आपके पैसे !
           
 ✍️ अशोक विद्रोही
 412, प्रकाश नगर
मुरादाबाद 244001
 मो 82 188 25 541

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