मैं जब सब्जी लेने पहुंचा,हमारे पड़ोसी अशोक गुप्ता जी सब्जी ले रहे थे।मैं चुपचाप उनके पीछे खड़ा होकर अपनी बारी का इंतजार करने लगा।गुप्ता जी लगभग हर सब्जी के रेट में मोल भाव कर रहे थे।
---- सब्जी आपस में मिला मत देना।अलग अलग थैली में रखना।
इसी बीच उन्होंने एक गाजर उठा कर खानी शुरू कर दी थी।सब्जी वाले ने सब्जी पैक कर ,हिसाब जोड़ा --ये लीजिए,105 रुपए हुए आपके।
गुप्ता जी ने 100 रुपए का नोट उसको थमाया,फिर
विस्मय से बोले -- अरे,धनिया मिर्च तो तूने डाली ही नहीं।
क्या करे साब,इस समय दोनों चीज बहुत महंगी है आपको अलग से लेनी पड़ेगी।आपने 5 रुपए पहले ही कम दिए है।
*** कितने साल से सब्जी ले रहे है,अब तू धनिए के भी पैसे लेगा।
इतना कहा कर उन्होंने जबरदस्ती धनिया मिर्च ले लिया और जाने लगे तभी उनकी नजर मुझ पर पड़ी ।*----शर्माजी आप,चलिए आप भी सब्जी ले लीजिए , फिर साथ में चलते है।
मैंने सब्जी वाले को अपना थैला पकड़ाया ***
इसमें 1 किलो आलू,1 किलो प्याज़ और आधा किलो मटर डाल दो।और हां,10 रुपए की धनिया मिर्च भी डाल देना।
गुप्ता जी ने मुझे घूर कर देखा,जैसे मैंने कोई बहुत बड़ी गलती कर दी हो।सब्जी वाला भी कभी गुप्ता जी को और कभी मुझे देख रहा था।
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T -2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद - 244001
M - 9837189600
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