अंकपत्र की स्पर्धा में, बस्ते झूल रहे।
माली की चाहत की खातिर, मुरझा फूल रहे।
नहीं कहानी दादी की,ना; चूरन की पुड़िया।
अलमारी में गुमसुम बैठी; बिन ब्याही गुड़िया।
नैट-चैट गपशप से मुनिया; बिल्कुल 'कूल' रहे।
कहीं न दिखते ग्वाल-बाल अब; यमुना के तट पर।
लील रहे बचपन को कैसे, नैट औ'र कम्प्यूटर।
सारी दुनिया अँगुली पर है, बचपन भूल रहे।
कैसे लाए हामिद अपनी, दादी को चिमटा।
दिया स्वार्थ ने वृद्धाश्रम जब,अम्मा को सिमटा।
सम्बंधों पर खुदगर्जी की, चढ़ती धूल रहे।
महत्वाकांक्षाओं के गिरि से, बचपन हैं पिसते।
उच्च पदों के मैराथन में, प्रतिभागी मरते ।
कक्षा में 'पोजीशन' के भी ,चुभते शूल रहे।
✍️दीपक गोस्वामी 'चिराग'
बहजोई (सम्भल)
ईमेल deepakchirag.goswami@gmail.com
--------------------------------------
खा लेंगे इक रोटी कम पर,घर पर रहना ओ पापा!
आप बिना दर दर की ठोकर,घर पर रहना ओ पापा!
बिना काम घूमो न बाहर,कोरोना खतरा भारी,
पास हमारे बैठो आकर,घर पर रहना ओ पापा!
लॉकडाउन की हुई घोषणा,जरा विचारो तुम पापा,
कोरोना बन घूम रहा खर,घर पर रहना ओ पापा!
वक्त बड़ा क्रूर है मानो,छिपकर रहना ही होगा,
सरकारी इमदाद मिले घर,घर पर रहना ओ पापा!
जनहित में हर काज निहित हो,देश बचायेंगे हम सब,
कोरोना है बहुत ही शातिर,घर पर रहना ओ पापा!
कोरोना से जूझ रहे हैं,पुलिस,डॉक्टर अन्य सभी,
पार करेंगे बाधा को हर,घर पर रहना ओ पापा।
जठराग्नि व्याकुल है करती,पर हार नहीं मानूंगा मैं,
नवल' रोये बच्चा यह कहकर,घर पर रहना ओ पापा!
✍️नवल किशोर शर्मा 'नवल'
----------------------------
बचपन के बस्ते में छुपे
क़िस्मत के ख़ज़ाने थे।
कच्ची पेंसिल से लिखे
सफलता के फ़साने थे।
छोटे से उस बस्ते के अंदर
जो अनंत ज्ञान समाये थे।
जीवन जीने के सबक़ हम
उनसे ही सीख पाए थे।
सच्चाई और मेहनत के मोती
उसकी पुस्तक पर चमकते थे।
जिनकी रोशनी से हम अपनी
मंज़िल की तरफ़ बढ़ते थे।
आज करते है जो ज्ञान वर्षा
मेघ, उस बस्ते ने बनाए थे।
कहता बसता ,बाँटते रहॊ जग में,
ज्ञान जो ,सीखकर मुझसे आए थे।।
✍️ प्रीति चौधरी
शिक्षिका, राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज, हसनपुर, जनपद अमरोहा
--------------------- --
आओ दोस्तों पेड़ लगाएं,
चहु ओर हरियाली लाएं।
आओ दोस्तो पेड़------
सावन में फिर झूला झूले,
गीत खुशी के फिर से गाएं।
आओ दोस्तो पेड़------
चारो ओर महके फुलवारी,
चम्पा चमेली गुलाब उगाएं।
आओ दोस्तो पेड़-----
कूड़ा कचरा नही जलाएं।
वातावरण को स्वच्छ बनाएं
आओ दोस्तों पेड़-----
स्वच्छ जल हो स्वच्छ हवाएं,
ऐसा फिर माहौल बनाएं।
आओ दोस्तों पेड़------
पेड़ काटना जुर्म बड़ा हो,
ऐसा कुछ कानून बनाएं।
आओ दोस्तो पेड़--------
जैसे पानी हम पीते है,
ऐसे उनको रोज पिलाएं।
आओ दोस्तो पेड़-----
जैसे खाना हम खाते है,
ऐसे उनको खाद लगाएं।
आओ दोस्तो पेड़-----
पेड़ हमे देते है जीवन,
पेड़ो को ही दोस्त बनाएं।
आओ दोस्तो पेड़ -------
✍️ कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
सिरसी (सम्भल)
9456031926
---------------------------
मम्मी -मम्मी यह बतलाओ
कोरोना क्यों आया है?
मम्मी-मम्मी! यह बतलाओ,
कोरोना क्यों आया है?
सबने इसके भय से खुद को,
बन्द घरों में पाया है।
छुपा वस्त्र के पीछे मइया,
सुन्दर सा मुखडा़ मेरा।
नहीं खेलने जा सकता है।
माता ये लल्ला तेरा।
बैठ बैठ कर,घर के भीतर ,
मेरा मन घबराया है।
मम्मी-मम्मी यह बतलाओ,
कोरोना क्यों आया है?
अब स्कूल हुये बंद हमारे,
मित्रों से नाता टूटा।
हिल-मिल साथी खाते खाना।
अपना वो खाना छूटा।
मोबाइल पर करूँ पढा़ई,
मेरा सर चकराया है,
मम्मी-मम्मी मुझे बताओ,
कोरोना क्यों आया है?
सुन ले बेटा!माता बोली,
मनुज कर्म फल पाता है।
सृष्टि मात मनु, खूब सताया,
आज सताया जाता है।
विज्ञान और भौतिकता ने,
मानव को भरमाया है।
यह कोरोना मेरे बच्चे!
नर ने स्वयं बनाया है।
वर्चस्व बनाने को अपना,
मानव ने की शैतानी।
ईश्वर बनने की इच्छा है,
इसकी देखो! नादानी।
चीन देश ने की गद्दारी,
दुनिया में फैलाया है
यह कोरोना मेरे बच्चे!
नर ने स्वयं बनाया है।
✍️ रागिनी गर्ग
रामपुर
--------------------------------
एक बिल्ली ने चूहा पकड़ा
कसकर हाथों में था जकड़ा
चूहा भय से भरा हुआ था
ऐसा जानो मरा हुआ था
बिल्ली ने सोचा घर ले जाऊँ
बैठ मजे से इसको खाऊँ
पर घर पे थीं उसकी बहनें
आईं थीं कुछ दिन जो रहने
बिल्ली अब थोड़ा घबराई
कैसे बाँटे अपनी कमाई
घर आकर बोली सुनो बहना
आज हम सबको व्रत है रहना
ये देखो पंडित है आया
कहकर उसने चूहा दिखाया
अब चूहे की शामत आई
पर उसने एक जुगत लगाई
बोला अब सब हाथ को जोड़ो
ध्यान करो मोह - माया सब छोड़ो
जैसे ही बिल्लियाँ भक्ति में आईं
चूहे जी ने दौड़ लगाई ।।।
✍️ सीमा वर्मा
----------------------------------
बनकर मैं जांबाज सिपाही
अपने हिंदुस्तान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
आका जिनके आतंकी
शिविरों के बल पर ऐंठे थे
कुछ बाहर,कुछ अंदर
छुप कर आस्तीन में बैठे थे
सर्जिकल स्ट्राइक से भ्रम
टूटा पाकिस्तान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
गद्दारी का रोग हिंद को
बहुत पुराना भारी है
इसीलिए लंबे अरसे से
जंग अभी तक जारी है
पहले किस्सा खत्म करो
तुम अंदर के शैतान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
पूरे देश को बतला दो
जो भारत में रहना चाहे
उसके मुंह से कभी बुराई
देश की न होने पाये
करें सभी गुणगान हमेशा
भारत मां की शान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
पुलवामा में पापा तुम को
शत्रु ने जब छीन लिया
हर एक पल अपने सुख का
तब किस्मत ने था बीन लिया
शोले भड़क रहे हैं दिल में
मंजर है तूफान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
नारों से या बातों से जो
जहर हमेशा ही घोले
करे कलंकित मातृभूमि को
भारत की जय ना बोले
आगे बढ़कर शीश काट लो
ऐसे हर इंसान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
✍️ अशोक विद्रोही
412, प्रकाश नगर ,मुरादाबाद
मोबाइल फोन नंबर 8218825541
-----------------------------------
चिक-चिक करती पूंछ हिलाती
रोज़ गिलहरी आती है
खोज-खोज खाने की चीजें
तुरत उठा ले जाती है।
कुतर-कुतर कर सारा खाना
जल्दी - जल्दी खाती है
बड़े प्यार से बैठ के भोजन
करना हमें सिखाती है।
पत्तों के झुरमुट में छुपकर
आँख मूँद सो जाती है
बिल्ली, सांप, नेवले से वह
चौकन्नी हो जाती है।
हरी भरी सब्जी फल खाकर
सेहत रोज़ बनाती है
पेड़ों से फल कुतर-कुतर कर
नीचे खूब गिराती है।
गिरे बीज से फूटे अंकुर
देख - देख हर्षाती है
इसी तरह नित पेड़ उगाकर
पर्यावरण बचाती है।
खाली नहीं बैठती दिन भर
श्रम का साथ निभाती है
सक्रियता जीवन की पूंजी
सबको यह समझाती है।
नाज़ुक रेशों को ले जाकर
घर भी स्वयं बनाती है
साथ सुलाकर सब बच्चों को
जीवन का सुख पाती है।
बिस्कुट, रोटी, सेव, पपीता
आओ सब लेकर आएं
सुंदर धारीदार गिलहरी
के आगे रखकर आएं।
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद
9719275453
------------------ --
घर पर रहकर प्यारे बच्चों,
बोर नहीं अब हो ना तुम।
नित नई-नई मिठाई खाकर,
मन ही मन खुश हो ना तुम।
कभी जलेबी कभी रसगुल्ला,
कभी रसमलाई खुल्लम खुल्ला।
मीठी नई इमरती बालूशाही,
जी भर खाओ मिलकर भाई।
आलू टिक्की पानी पूरी,
इडली डोसा गरम कचोरी।
प्यारे मिलजुल खाओ तुम,
जी भर मौज मनाओ तुम।
लोक डाउन का पालन करना,
सभी सुरक्षित घर में रहना।
दो गज दूरी सब को समझाना,
बस याद रहे कोरोना हराना।
✍🏻सीमा रानी
अमरोहा
-------------------------------
बापू काम पे जाओ न
अच्छा भोजन लाओ न ।
चटनी खिचड़ी अब न भाय,
दाल सब्जियां लाओ न।
नहीं मिली साबुन की टिक्की
कैसे रोज नहायें हम।
दंत मंजन के बिना आजकल
मुख को कैसे छुपाएँ हम ।
नेकर भी बंदर ने फाड़ा,
नया हमें दिलवाओ न।
बापू काम पे .......
रिंकू टिंकू सीना गीता
रोज जलेवी खाते हैं ।
मेरी टूटी चप्पल देखके
बच्चे खूब चिढ़ाते हैं ।
पहले के जैसे तुम बापू
मां से चीले बनवाओ न ।
बापू काम पे.........
✍️ डॉ प्रीति हुंकार
मुरादाबाद
-------------------------------
करते हैं तुझसे प्रार्थना |
हे जगपिता......
1
मेरे देश मे सदभाव हो l
नवचेतना का राग हो l
करें राष्ट्र की आराधना l
हे जगपिता...........
2
मेरे देश मे सब स्वस्थ हों l
सब नवसृजन मे व्यस्त हों l
ज्योतिर्मई हो साधना l
हे जगपिता.........
3
संसार मे कहीं हम रहें l
तेरी नज़र मे हम रहें l
हमें दुख भँवर से तारना l
हे जगपिता..........
✍️ अमितोष शर्मा
------------------------------
आओ बच्चों तुम्हें सिखायें
पत्ते पे पत्ता
बेसन औ मसाला
संग चिपका
चलो पकाओ
पहले भाप फिर
तल के खाओ
नाम पतोड़
ये पात्रा रिकवँच
और तू जोड़
देखके आए
सबके मुँह पानी
सबको भाए
~ कंचन
आगरा
–----------------------------------
गोल गोल मोती सी आँखे
आँखों में है चमक भरी,
सरर- सरर कर दौड़ लगाती
गज़ब की फुर्ती भरी हुई ,
भोली -भाली चितवन से तुम
लगती हो बड़ी क्यूट सी ,
एक-एक दाना उठा-उठा
नन्हें पंजों में भर लेती ,
इधर-उधर सब देखभाल कर
अपने मुख तक ले जाती ,
-गिल्लू रानी आज सैर पर ,
लगती है बड़ी स्वीट सी
✍️मनोरमा शर्मा
जट बाजार
अमरोहा
--------------------------------
बिल्ली मौसी बड़ी सयानी
चूहे से दोस्ती की ठानी
चूहे से बोली बाहर आ!
बिल में से मुँह को मत दिखला
तेरे लिए चॉकलेट लायी
ले जल्दी से खा ले भाई
चॉकलेट तो खिलवाओगी
फिर तुम मुझको खा जाओगी
✍️ स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद
9456222230
माली की चाहत की खातिर, मुरझा फूल रहे।
नहीं कहानी दादी की,ना; चूरन की पुड़िया।
अलमारी में गुमसुम बैठी; बिन ब्याही गुड़िया।
नैट-चैट गपशप से मुनिया; बिल्कुल 'कूल' रहे।
कहीं न दिखते ग्वाल-बाल अब; यमुना के तट पर।
लील रहे बचपन को कैसे, नैट औ'र कम्प्यूटर।
सारी दुनिया अँगुली पर है, बचपन भूल रहे।
कैसे लाए हामिद अपनी, दादी को चिमटा।
दिया स्वार्थ ने वृद्धाश्रम जब,अम्मा को सिमटा।
सम्बंधों पर खुदगर्जी की, चढ़ती धूल रहे।
महत्वाकांक्षाओं के गिरि से, बचपन हैं पिसते।
उच्च पदों के मैराथन में, प्रतिभागी मरते ।
कक्षा में 'पोजीशन' के भी ,चुभते शूल रहे।
✍️दीपक गोस्वामी 'चिराग'
बहजोई (सम्भल)
ईमेल deepakchirag.goswami@gmail.com
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खा लेंगे इक रोटी कम पर,घर पर रहना ओ पापा!
आप बिना दर दर की ठोकर,घर पर रहना ओ पापा!
बिना काम घूमो न बाहर,कोरोना खतरा भारी,
पास हमारे बैठो आकर,घर पर रहना ओ पापा!
लॉकडाउन की हुई घोषणा,जरा विचारो तुम पापा,
कोरोना बन घूम रहा खर,घर पर रहना ओ पापा!
वक्त बड़ा क्रूर है मानो,छिपकर रहना ही होगा,
सरकारी इमदाद मिले घर,घर पर रहना ओ पापा!
जनहित में हर काज निहित हो,देश बचायेंगे हम सब,
कोरोना है बहुत ही शातिर,घर पर रहना ओ पापा!
कोरोना से जूझ रहे हैं,पुलिस,डॉक्टर अन्य सभी,
पार करेंगे बाधा को हर,घर पर रहना ओ पापा।
जठराग्नि व्याकुल है करती,पर हार नहीं मानूंगा मैं,
नवल' रोये बच्चा यह कहकर,घर पर रहना ओ पापा!
✍️नवल किशोर शर्मा 'नवल'
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बचपन के बस्ते में छुपे
क़िस्मत के ख़ज़ाने थे।
कच्ची पेंसिल से लिखे
सफलता के फ़साने थे।
छोटे से उस बस्ते के अंदर
जो अनंत ज्ञान समाये थे।
जीवन जीने के सबक़ हम
उनसे ही सीख पाए थे।
सच्चाई और मेहनत के मोती
उसकी पुस्तक पर चमकते थे।
जिनकी रोशनी से हम अपनी
मंज़िल की तरफ़ बढ़ते थे।
आज करते है जो ज्ञान वर्षा
मेघ, उस बस्ते ने बनाए थे।
कहता बसता ,बाँटते रहॊ जग में,
ज्ञान जो ,सीखकर मुझसे आए थे।।
✍️ प्रीति चौधरी
शिक्षिका, राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज, हसनपुर, जनपद अमरोहा
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आओ दोस्तों पेड़ लगाएं,
चहु ओर हरियाली लाएं।
आओ दोस्तो पेड़------
सावन में फिर झूला झूले,
गीत खुशी के फिर से गाएं।
आओ दोस्तो पेड़------
चारो ओर महके फुलवारी,
चम्पा चमेली गुलाब उगाएं।
आओ दोस्तो पेड़-----
कूड़ा कचरा नही जलाएं।
वातावरण को स्वच्छ बनाएं
आओ दोस्तों पेड़-----
स्वच्छ जल हो स्वच्छ हवाएं,
ऐसा फिर माहौल बनाएं।
आओ दोस्तों पेड़------
पेड़ काटना जुर्म बड़ा हो,
ऐसा कुछ कानून बनाएं।
आओ दोस्तो पेड़--------
जैसे पानी हम पीते है,
ऐसे उनको रोज पिलाएं।
आओ दोस्तो पेड़-----
जैसे खाना हम खाते है,
ऐसे उनको खाद लगाएं।
आओ दोस्तो पेड़-----
पेड़ हमे देते है जीवन,
पेड़ो को ही दोस्त बनाएं।
आओ दोस्तो पेड़ -------
✍️ कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
सिरसी (सम्भल)
9456031926
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मम्मी -मम्मी यह बतलाओ
कोरोना क्यों आया है?
मम्मी-मम्मी! यह बतलाओ,
कोरोना क्यों आया है?
सबने इसके भय से खुद को,
बन्द घरों में पाया है।
छुपा वस्त्र के पीछे मइया,
सुन्दर सा मुखडा़ मेरा।
नहीं खेलने जा सकता है।
माता ये लल्ला तेरा।
बैठ बैठ कर,घर के भीतर ,
मेरा मन घबराया है।
मम्मी-मम्मी यह बतलाओ,
कोरोना क्यों आया है?
अब स्कूल हुये बंद हमारे,
मित्रों से नाता टूटा।
हिल-मिल साथी खाते खाना।
अपना वो खाना छूटा।
मोबाइल पर करूँ पढा़ई,
मेरा सर चकराया है,
मम्मी-मम्मी मुझे बताओ,
कोरोना क्यों आया है?
सुन ले बेटा!माता बोली,
मनुज कर्म फल पाता है।
सृष्टि मात मनु, खूब सताया,
आज सताया जाता है।
विज्ञान और भौतिकता ने,
मानव को भरमाया है।
यह कोरोना मेरे बच्चे!
नर ने स्वयं बनाया है।
वर्चस्व बनाने को अपना,
मानव ने की शैतानी।
ईश्वर बनने की इच्छा है,
इसकी देखो! नादानी।
चीन देश ने की गद्दारी,
दुनिया में फैलाया है
यह कोरोना मेरे बच्चे!
नर ने स्वयं बनाया है।
✍️ रागिनी गर्ग
रामपुर
--------------------------------
एक बिल्ली ने चूहा पकड़ा
कसकर हाथों में था जकड़ा
चूहा भय से भरा हुआ था
ऐसा जानो मरा हुआ था
बिल्ली ने सोचा घर ले जाऊँ
बैठ मजे से इसको खाऊँ
पर घर पे थीं उसकी बहनें
आईं थीं कुछ दिन जो रहने
बिल्ली अब थोड़ा घबराई
कैसे बाँटे अपनी कमाई
घर आकर बोली सुनो बहना
आज हम सबको व्रत है रहना
ये देखो पंडित है आया
कहकर उसने चूहा दिखाया
अब चूहे की शामत आई
पर उसने एक जुगत लगाई
बोला अब सब हाथ को जोड़ो
ध्यान करो मोह - माया सब छोड़ो
जैसे ही बिल्लियाँ भक्ति में आईं
चूहे जी ने दौड़ लगाई ।।।
✍️ सीमा वर्मा
----------------------------------
बनकर मैं जांबाज सिपाही
अपने हिंदुस्तान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
आका जिनके आतंकी
शिविरों के बल पर ऐंठे थे
कुछ बाहर,कुछ अंदर
छुप कर आस्तीन में बैठे थे
सर्जिकल स्ट्राइक से भ्रम
टूटा पाकिस्तान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
गद्दारी का रोग हिंद को
बहुत पुराना भारी है
इसीलिए लंबे अरसे से
जंग अभी तक जारी है
पहले किस्सा खत्म करो
तुम अंदर के शैतान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
पूरे देश को बतला दो
जो भारत में रहना चाहे
उसके मुंह से कभी बुराई
देश की न होने पाये
करें सभी गुणगान हमेशा
भारत मां की शान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
पुलवामा में पापा तुम को
शत्रु ने जब छीन लिया
हर एक पल अपने सुख का
तब किस्मत ने था बीन लिया
शोले भड़क रहे हैं दिल में
मंजर है तूफान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
नारों से या बातों से जो
जहर हमेशा ही घोले
करे कलंकित मातृभूमि को
भारत की जय ना बोले
आगे बढ़कर शीश काट लो
ऐसे हर इंसान का
शत्रु से बदला लूं एक दिन
पापा के बलिदान का
✍️ अशोक विद्रोही
412, प्रकाश नगर ,मुरादाबाद
मोबाइल फोन नंबर 8218825541
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चिक-चिक करती पूंछ हिलाती
रोज़ गिलहरी आती है
खोज-खोज खाने की चीजें
तुरत उठा ले जाती है।
कुतर-कुतर कर सारा खाना
जल्दी - जल्दी खाती है
बड़े प्यार से बैठ के भोजन
करना हमें सिखाती है।
पत्तों के झुरमुट में छुपकर
आँख मूँद सो जाती है
बिल्ली, सांप, नेवले से वह
चौकन्नी हो जाती है।
हरी भरी सब्जी फल खाकर
सेहत रोज़ बनाती है
पेड़ों से फल कुतर-कुतर कर
नीचे खूब गिराती है।
गिरे बीज से फूटे अंकुर
देख - देख हर्षाती है
इसी तरह नित पेड़ उगाकर
पर्यावरण बचाती है।
खाली नहीं बैठती दिन भर
श्रम का साथ निभाती है
सक्रियता जीवन की पूंजी
सबको यह समझाती है।
नाज़ुक रेशों को ले जाकर
घर भी स्वयं बनाती है
साथ सुलाकर सब बच्चों को
जीवन का सुख पाती है।
बिस्कुट, रोटी, सेव, पपीता
आओ सब लेकर आएं
सुंदर धारीदार गिलहरी
के आगे रखकर आएं।
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद
9719275453
------------------ --
घर पर रहकर प्यारे बच्चों,
बोर नहीं अब हो ना तुम।
नित नई-नई मिठाई खाकर,
मन ही मन खुश हो ना तुम।
कभी जलेबी कभी रसगुल्ला,
कभी रसमलाई खुल्लम खुल्ला।
मीठी नई इमरती बालूशाही,
जी भर खाओ मिलकर भाई।
आलू टिक्की पानी पूरी,
इडली डोसा गरम कचोरी।
प्यारे मिलजुल खाओ तुम,
जी भर मौज मनाओ तुम।
लोक डाउन का पालन करना,
सभी सुरक्षित घर में रहना।
दो गज दूरी सब को समझाना,
बस याद रहे कोरोना हराना।
✍🏻सीमा रानी
अमरोहा
-------------------------------
बापू काम पे जाओ न
अच्छा भोजन लाओ न ।
चटनी खिचड़ी अब न भाय,
दाल सब्जियां लाओ न।
नहीं मिली साबुन की टिक्की
कैसे रोज नहायें हम।
दंत मंजन के बिना आजकल
मुख को कैसे छुपाएँ हम ।
नेकर भी बंदर ने फाड़ा,
नया हमें दिलवाओ न।
बापू काम पे .......
रिंकू टिंकू सीना गीता
रोज जलेवी खाते हैं ।
मेरी टूटी चप्पल देखके
बच्चे खूब चिढ़ाते हैं ।
पहले के जैसे तुम बापू
मां से चीले बनवाओ न ।
बापू काम पे.........
✍️ डॉ प्रीति हुंकार
मुरादाबाद
-------------------------------
करते हैं तुझसे प्रार्थना |
हे जगपिता......
1
मेरे देश मे सदभाव हो l
नवचेतना का राग हो l
करें राष्ट्र की आराधना l
हे जगपिता...........
2
मेरे देश मे सब स्वस्थ हों l
सब नवसृजन मे व्यस्त हों l
ज्योतिर्मई हो साधना l
हे जगपिता.........
3
संसार मे कहीं हम रहें l
तेरी नज़र मे हम रहें l
हमें दुख भँवर से तारना l
हे जगपिता..........
✍️ अमितोष शर्मा
------------------------------
पत्ते पे पत्ता
बेसन औ मसाला
संग चिपका
चलो पकाओ
पहले भाप फिर
तल के खाओ
नाम पतोड़
ये पात्रा रिकवँच
और तू जोड़
देखके आए
सबके मुँह पानी
सबको भाए
~ कंचन
आगरा
–----------------------------------
गोल गोल मोती सी आँखे
आँखों में है चमक भरी,
सरर- सरर कर दौड़ लगाती
गज़ब की फुर्ती भरी हुई ,
भोली -भाली चितवन से तुम
लगती हो बड़ी क्यूट सी ,
एक-एक दाना उठा-उठा
नन्हें पंजों में भर लेती ,
इधर-उधर सब देखभाल कर
अपने मुख तक ले जाती ,
-गिल्लू रानी आज सैर पर ,
लगती है बड़ी स्वीट सी
✍️मनोरमा शर्मा
जट बाजार
अमरोहा
--------------------------------
बिल्ली मौसी बड़ी सयानी
चूहे से दोस्ती की ठानी
चूहे से बोली बाहर आ!
बिल में से मुँह को मत दिखला
तेरे लिए चॉकलेट लायी
ले जल्दी से खा ले भाई
चॉकलेट तो खिलवाओगी
फिर तुम मुझको खा जाओगी
✍️ स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद
9456222230
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