मंगलवार, 16 जून 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल निवासी साहित्यकार कमाल जैदी वफा की कहानी ------ हाजरा बेगम

                           
हाजरा बेगम  के  घर आज सवेरे से ही काफी चहल पहल थी घर मे झड़ाई, पुछाई, धुलाई चल रही थी घर की स्त्रियां घर को व्यवस्थित करने में लगी थी तो पुरुष बाहर से आने वाले सामान को लाने में लगे थे  लगता था जैसे कोई वी वी आई पी आने वाले है हाजरा बेगम सबको निर्देश देकर काम करा रही थी और सभी उनके निर्देशो के पालन की स्वीकृति में सर हिला रहे थे हाजरा बेगम कह रही थी किसी भी चीज की कमी नही रहनी चाहिये आज सायमा के रिश्ते वाले आ रहे है उनपर अच्छा इम्प्रेशन पड़ना चाहिए उनकी हां में हां मिलाते हुए उनकी सहेली फरीदा बेगम कहने लगीं आखिर सायमा आपकी इकलौती बेटी है चार चार भाईयो की बहन है और फिर बाप की तरह उसके भाई भी कोई मामूली आदमी थोड़ी है एक डॉक्टर दूसरा इंजीनियर तीसरा प्रोफेसर और चौथा बड़ा ठेकेदार है घर मे नौकर चाकर सब है आखिर ऐसे घर की लड़की को कौन पसन्द नही करेगा  मैं तो कहूंगी पिछले महीने जो लड़के वाले सायमा को देखने आए थे उनकी मत मारी गई थी जो मना करके चले गये ऐसे घर तो बड़े नसीब वालो को मिलते है फरीदा बेगम की बात पर हाजरा बेगम ने      हाँ कहकर स्वीकृति में सिर     हिलाया थोड़ी देर में ही एक कार उनके बंगले के सामने रुकी जिसमे से दो पुरुष व दो स्त्रियां नीचे उतरे सबने बड़े तपाक से उनका स्वागत किया उन्हें सजेधजे ड्राईग रूम में बैठाया गया चाय नाश्ते के बाद फरीदा बेगम ने मेहमानों के सामने हाजरा बेगम व उनके घर वालो के कसीदे पढ़ने शुरू कर दिये हाजरा बेगम के शौहर की कितनी आमदनी है बेटे कितने रुतबे वाले है  समाज मे उनका कितना दबदबा है सायमा कितने ऐशो आराम में पली बढ़ी है एक एक कर फरीदा बेगम मेहमानों को बताती रही मेहमान चुपचाप सब सुनते रहे कुछ देर बाद सायमा भी ड्राइंग रूम में आ गई  जीन्स टॉप पहने सायमा ने हाय - हेलो से मेहमानों का अभिवादन किया आधुनिकता में डूबी सायमा पूरी तरह रईसजादी लग रही थी जबकि मेहमानों के साथ आई लड़की पूरी तरह शरीफजादी  लग रही थी  मेहमानों में से उम्र दराज महिला ने बड़ी शालीनता के साथ कहना शुरू किया मेरा नाम आसिया है और यह मेरी बेटी सफिया है मेरे बेटे की डॉक्टरी की पढ़ाई का यह आखरी साल है हम उसके लिये लड़की ढूंढ रहे है जो सुख-दुख में उसका साथ दे सके अपने हाथ से बना दो वक़्त का खाना अपने शौहर को खिला सके आसिया ने कुछेक खानों की रेसिपी सायमा से पूछी तो वो बगले झांकने लगी तभी तपाक से फरीदा बेगम बोली-सायमा अपने बाप की इकलौती बेटी है उसके घर नौकर चाकर है अल्लाह का दिया सब कुछ है उसे कभी किचिन में जाने की जरूरत ही नही पढ़ी बस माँ बाप उसे पढ़ा लिखाकर आला तालीम दिलाना चाहते है जो वो कर रही है फरीदा बेगम चुप हुई तो आसिया  ने कहना शुरू किया  हम मानते है आजकल आला तालीम जरूरी है लेकिन तालीम के साथ साथ लड़कियों को घर गृहस्थी में भी माहिर होना जरूरी है   हमे अपने बेटे के लिये बीवी चाहिये कोई रानी या महारानी नही जिनके नखरे उठाते उठाते हमारा बच्चा बूढा हो जाये फिर हमारे घर भी कोई तंगदस्ती नही है लेकिन हमने अपनी बेटियों को आला तालीम के साथ खाना पकाना सीना- पिरोना सब कुछ सिखाया है कहते हुए आसिया बेगम उठी और अपने साथ आये लोगो के  साथ गाड़ी में जा बैठी हाजरा बेगम ने उनकी ओर हूं कहते हुए मुंह बिसूर लिया फरीदा बेगम भी मेहमानों को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी। तभी हाजरा बेगम की बूढ़ी सास बोल पड़ी देख हाजरा, मै न कहती थी  बेटी पराया धन होती है यह शानोशौकत दिखाने के बजाय सायमा को आला तालीम के साथ साथ घर गृहस्थी के काम भी  सिखा ताकि ससुराल जाकर वो अपने घर को जन्नत बना सके।

✍️ कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
सिरसी (सम्भल)
9456031926

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