मंगलवार, 23 जून 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार प्रवीण राही की कहानी -----मापदंड


स्नेहा - मां देखना, गेट पर किसी ने घंटी बजाई है। मैं नहा कर आ रही हूं। मां - और कौन होगा, महारानी आई होंगी। कल आधे घंटे लेट थी, और आज एक घंटे । मां-  स्नेहा ,बेटा संभल के बाथरूम में जाना।स्नेहा - ठीक है मां। मां गेट खोलते ही,स्नेहा महारानी शशि आई है। शशि - नमस्ते आंटी, पर आंटी ने कोई जवाब नहीं दिया। आने दे  स्नेहा को वही तुझसे बात करेगी....
स्नेहा नहाकर जब बाहर आई। शशि-  दीदी नमस्ते । स्नेहा - नमस्ते शशि, कैसी है? और शशि हर दिन तू आधे घंटे  ज्यादा लेट होते जा रही है । शशि - ओ दीदी, आपको तो पता है ना मेरा पांचवा महीना चल रहा है,पैदल ज्यादा तेज नहीं चल पाती। इसलिए ज्यादा समय लग जाता है,और ऑटो वाले आने आने का 100र लेते है,सारी कमाई आने जाने में ही खर्च हो जाएगी।अच्छा ठीक है... मुझे ऑफिस जाना है, जल्दी खाना बना दे और हां बर्तन बाद में धोना....
स्नेहा - मां  आप शशि को ,राहुल के मेरे और अपने तीनों के कपड़े धोने को  दे दो...
मां- इस सप्ताह तो महारानी शशि ने एक बार भी कपड़े नहीं धोया,जबकि महारानी ने बोला था दो बार तो हर हप्ते कपड़े धो देंगी....। शशि - धो दूंगी दीदी,आंटी दे दो.....सारे कपड़े। दीदी एक बात कहूं....स्नेहा - हां बोल, बस कुछ भी बोल पर छुट्टी मत मांगना। तू तो दूसरी बार मां बन रहीं है पर मेरा पहला है। मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं चाहिए,और हा समय पर आ जाया कर। शशि - दीदी ,बस कल डॉक्टर को दिखाने जाना है ।अकेले ही जाऊंगी ....आपको पता है ना मेरे पति का पैर जब से ऐक्सिडेंट में कटा सारा काम मेरे ही माथे है।  कल 3:00 बजे दोपहर तक आ जाऊंगी ,दीदी । स्नेहा - देख , बार-बार बोलना सही नहीं लगता, तू नहीं आती है तो घर की पूरी व्यवस्था गड़बड़ हो जाती है ।तुझे पता है ना.. मेरा भी दूसरा महीना चल रहा है... ऐसा मत किया कर। और हां ...ज्यादा छुट्टी करेगी तो मैं , सुशीला और रीता  हम तीनों ही तेरी जगह किसी और को रख लेंगे... फिर मत मेरे पास आकर रोना, याद है ना तुझे दो साल पहले , जब तू मेरे पास आ कर रोने लगी थी... मेरे कहने पर ही उन्होंने भी तुझे दोबारा रखा था।
शशि - ना दीदी, ना ना ऐसा मत करना।।
मां - स्नेहा बेटा ,रीता का कॉल आ रहा है।
स्नेहा -  फोन देना मां। स्नेहा- हैलो ,रीता ... हैलो, बोल कैसी है.... काफी दिनों बाद कॉल किया
रीता - ठीक हूं बस व्यस्त थी,शशि को बोल देना तेरे पास से जल्दी आ जाएगी मेरे पास। एक बात बता....
स्नेहा - हां बोल
रीता - सुशीला बोल रही थी ,खुशखबरी है।
स्नेहा - हां यार, मैं आज तुझे जरूर बताती .... दूसरा महीना चल रहा है। छह-सात महीने में तू मौसी बन जाएगी। ऑफिस जा रही हूं, लेट हो रहा है रीता... बाद में बात करूंगी
रीता- अब ऑफिस क्यों जा रही है, पगली....
स्नेहा - बस आज ऑफिस जा रही हूं, ऑफिस वाले तो छह महीने की प्रेग्नेंसी पर छुट्टी दे रहे हैं। सरकार का नियम है, छह महीने की छुट्टी मिल सकती है प्रेग्नेंसी पर । पर बहन रीता मुझसे नहीं हो पाएगा..... और काम। दूसरा महीना है ,अब आराम चाहिए, बहुत मुश्किल है मां बनना। मैं अब कल से काम पर नहीं जाऊंगी।अच्छा बहन चल बाय,रखती हूं काल.....
रीता - बाय,स्नेहा,ध्यान रख अपना...।
शशि, रीता और स्नेहा दीदी बातों को सुनकर यह नहीं समझ पा रही थी की
ये लोग भी उसे औरत समझती हैं या नहीं...???

✍️ प्रवीण राही
मुरादाबाद 

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