शुक्रवार, 26 जून 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता -- --- वाह वाह क्या बात है


हमने एक वाट्स एप ग्रुप ज्वाइन किया
उसमे नियमित रूप से
अपनी रचनाएं भेजते रहे
संयम के साथ
बाकी सदस्यों की प्रतिक्रिया देखते रहे
कुछ सदस्यों की रचनाओं पर
जबरदस्त वाह वाह मिलती थी
हमारी रचनाओं पर किसी की
निगाह भी नहीं टिकती थी
ये बात हमको बहुत खलती थी
जब हमको कुछ समझ नहीं आया
हमने अपना दुखड़ा
चर्चित और प्रतिष्ठित,कवि मित्र को सुनाया
मित्र ने बताया
ये मत सोचो
तुम्हारी कविताओं में कुछ जान नहीं है
तुमको सफल होने की तकनीक का ज्ञान
नहीं है।
तुम्हे,अपने जैसे 5-6 कवियों का एक गुट बनाना है
एक दूसरे की रचनाओं पर
जम कर ताली बजाना है
वाह वाह क्या बात है
इस मंत्र को बार बार दोहराना है
समय समय पर
एक दूसरे का सम्मान करना है
नगद धनराशि,प्रशस्ति पत्र
और पुरस्कार का आदान प्रदान करना है
इससे तुम्हारी अलग पहचान बन जाएगी
समर्थकों की संख्या भी एकदम बढ़ जाएगी

हम अपने मित्र के,बताए मार्ग पर चलने लगे
वाह वाह क्या बात है
सुबह शाम जपने लगे
बहुत जल्द इसके सुखद परिणाम आ गए
हम सोशल मीडिया में छा गए
अख़बारों और पत्रिकाओं में छपने लगे
एक दिन तो कमाल हो गया
हमारी रचना
तकनीकी कारणों से लोड नहीं हो पाई
लेकिन वाह वाह क्या बात से
पूरा ग्रुप मालामाल हो गया
हमने मित्रो को टोका
पहले पूरी रचना पढ़ तो लेते
उसके बाद ही अपनी प्रतिक्रिया देते
मित्र बोले
कविता के बारे में
हम कहां कुछ जानते हैं
हम तो बस तुम्हारा नाम पहचानते है
क्योंकि रचना तुम्हारी है
उसको अच्छा बताना
हमारी नैतिक जिम्मेदारी है
आजकल काम नहीं नाम बिकता है
और यही वास्तविकता है

अपने मित्रों से
निरंतर मिलते सम्मान ने
हमको साहित्यिक जगत का
सम्मानित व्यक्तित्व और चर्चित ब्रांड
बना दिया है
अन्य संस्थाओं ने भी
हमारा बुला बुला कर सम्मान किया है
ये सब, वाह वाह क्या बात है
मंत्र की करामात है
वरना अपनी क्या औकात है
सम्मान में मिली,घमंड की चादरों से
हमारा पूरा अस्तित्व घिर गया है
ये अलग बात है
हमारी रचनाओं का स्तर
नेताओ के चरित्र सा गिर गया है
ये बाई प्रोडक्ट के रूप में
आधुनिकता की सौगात है
अपनी जमीन छोड़ कर
आकाश में उड़ने की शुरुआत है
वाह वाह क्या बात है
वाह वाह क्या बात है।

 ✍️डॉ पुनीत कुमार
T - 2/505
आकाश रेसीडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद - 244001
M- 9837189600

4 टिप्‍पणियां: