बुधवार, 24 जून 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार सीमा रानी की लघुकथा ----- बहू बेटी


            रमा की आंखों में खुशी का ठिकाना न था क्योंकि आज उसके इकलौते बेटे रवि की बहु विवाह बंधन में बंध कर रमा के घर आई थी। दो वर्ष पहले बेटी रिया की शादी के बाद जैसे घर सूना सूना हो गया था, बेटे के ऑफिस जाने के बाद शाम 5: 00 बजे तक तो घर ऐसे सूना हो जाता जैसे घर की आत्मा ही निकल गई हो। रमा कभी छत पर तो कभी खिड़की से सड़क पर निहार निहार कर ही अपना दिन पूरा करती थी।
                     पिछले 2 दिन से घर में काफी चहल-पहल थी क्योंकि रवि के विवाह उत्सव में मित्र व सगे संबंधी सभी एकत्रित थे। आज बहू घर आ गई तो मनोरमा को लग रहा था जैसे वह दिन में सपना देख रही हो पिछले 2 सालों से वह हर पल इसी दिन का इंतजार कर रही थी।
                      मेहमानों को विदा करने के बाद रमा को फुर्सत मिली तो वह अपने मन की बात करने अपनी नई नवेली बहू के पास आए बहू ने सासू मां के चरण स्पर्श किए तो रमा ने ढेर सारा आशीर्वाद दिया। रमा ने अपनी बहू नेहा से बड़े स्नेही भाव से कहा कि,"देखो बेटी तुम ही मेरी बेटी रिया हो एवं तुम ही मेरी बहू नेहा हो क्योंकि मेरी बेटी तो किसी दूसरे घर की लक्ष्मी बन चुकी है अब तुम ही मेरे घर की लक्ष्मी हो..............।" ऐसा कहकर रमा ने नेहा को अपने कलेजे से लगा लिया। रमा की इतनी स्नेह से भरी भावपूर्ण बातों को सुनकर नेहा की आंखें भर आई और वह रमा के गले से लिपट कर बोली मां जी मैं अपनी मां को तो मायके में ही छोड़ आई अब तो आप ही मेरी मां हो। यह सुनकर रमा का कलेजा भी सुखद अनुभूति से गदगद हो गया और उसने नेहा को अपने कलेजे से लगा लिया ।

  ✍🏻सीमा रानी
अमरोहा

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