सोमवार, 29 जून 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की रचना ----कवि सम्मेलन की असली रिपोर्ट


      कवि सम्मेलन दोपहर 3:00 बजे शुरू होना था । हमेशा की तरह एक घंटे बाद आयोजक पधारे ।उस समय स्थल पर कोई नहीं था । होता भी क्यों ? सबको मालूम था
कम से कम एक घंटा लेट आयोजक महोदय आते हैं ।
           फिर धीरे-धीरे डेढ़ घंटे बाद लोग उपस्थित होने लगे । लोग अर्थात वह कवि जिनको कविता पाठ करना था ।कुल मिलाकर 11 कवि आ गए और काव्य पाठ शुरू कर दिया गया। पहले एक कवि ने कविता पढ़ी ,लेकिन उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं था। कारण यह था कि उस समय कवि गण आ - जा रहे थे और सबका ध्यान एक दूसरे को नमस्कार करने में लगा हुआ था। कुछ लोग आपस में एक दूसरे का हाल-चाल भी पूछ रहे थे तथा कह रहे थे कि बहुत दिनों बाद मिलना हुआ ।
      पहला कवि जब कविता पाठ कर चुका तब दूसरा कवि आया । दूसरे कवि की तरफ लोगों का ध्यान जाना शुरू हुआ, लेकिन इसी बीच पहला कवि कमरे से उठ कर बाहर जाने लगा । कमरे में हलचल मच गई। तीन कवि उसके पीछे दौड़े ।उसको पकड़ कर वापस लाए। कहा" बाकी दस की कविताएं कौन सुनेगा , अगर सब लोग ऐसे ही जाने लगे ?"
    उसने कहा "मैं जा रहा हूँ। लेकिन हमेशा के लिए नहीं जा रहा हूँ। अभी 5 मिनट बाद लौट कर आऊंगा । मेरी कुछ शंका है।"
         सुनकर सब ने उसे छोड़ दिया। वह 5 मिनट बाद वापस आया और मन लगाकर कविता सुनने लगा । माहौल बड़ी मुश्किल से तीसरे कवि के साथ  जमा ।उसके बाद एक-एक करके दस कवियों ने अपनी कविताएं सुनाई।
        विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि यह बात पहले से तय थी कि सब लोग एक दूसरे की कविता शांतिपूर्वक तथा प्यार भरे माहौल में सुनेंगे और एक-दूसरे की प्रशंसा जी भर कर करेंगे । कई बार ऐसा भी हुआ कि किसी को झपकी आ गई  और वह काव्य- पाठ नहीं सुन पाया । लेकिन फिर जब वाह-वाह की आवाजों से उसकी नींद खुली तो उसने वाह-वाह करना शुरू कर दिया । इसे कहते हैं  धंधे में ईमानदारी। जो कवि काव्य-पाठ कर रहा था, उसे यह देखकर अच्छा नहीं लगा। लेकिन फिर भी जब आदमी वाह-वाह कर रहा है तो अच्छा लगता ही है। सबको मालूम है कि आधे से ज्यादा कवि एक दूसरे के साथ अच्छे संपर्क बनाने के कारण ही वाह-वाह करते हैं । वरना कौन किसकी कविताएं पढ़ता सुनता है  और किसको किसकी अच्छी लगती हैं?
         इसी तरह सब लोगों ने कविताएं पढ़ीं और कार्यक्रम परस्पर सौहार्द के वातावरण में संपन्न हुआ। सामूहिक फोटो खींचा गया । छह लोगों का सम्मान हुआ। इस बिंदु पर छह लोगों को बाकी छह लोगों ने सौ सौ रुपए का शाल ओढ़ाया और उनके सुखमय जीवन की कामना की ।
      इसी मीटिंग में यह भी तय हुआ कि इस बार जिन छह लोगों ने शाल ओढ़ाया है, अगली मीटिंग में उन छह.लोगों को शाल ओढ़ाया जाएगा तथा यह कार्य उन लोगों के कर- कमलों से संपन्न होगा ,जिन्होंने इस बार की मीटिंग में शाल ओढ़ा है । इसी के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

 ✍️रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
 मोबाइल  999761 5451

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