बुधवार, 10 जून 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार राशि सिंह की कहानी ----- .'अतृप्त मन'


​''जल्दी आओ बच्चो।"हरिसिहं ने अपने पोते रिशू और अवन्तिका को जोर से आवाज लगाई खुद गेट के बाहर बडी सी चमचमाती गाडी मे बैठे हुए थे।
​''अभी आये दादा जी ।" दोनो बच्चे एक साथ अन्दर से चिल्लाये ।
​आज पूरा परिवार गाँव जा रहा है ।बच्चों के  विद्यालय बंद हो गये थे इसलिये सब अपने गाँव जाने के लिये बहुत ही उत्सुक थे ।
​"लीजिये आ गए दादाजी ।"
​"अरे तुम्हारी मम्मी नही आई बेटा अभी -?"हरि सिंह ने दोनो से पूँछा।
​''पापा भी नही आये दादू अभी ।"अवन्तिका ने शरारत करते हुए कहा ।
​''हाँ जब तक तेरी माँ नही आयेगी तब तक वो कैसे आ जायेगा ?''दादा जी ने बनावटी गुस्सा करते हुए कहा।
​''जल्दी आओ बच्चो।"हरिसिहं ने अपने पोते रिशू और अवन्तिका को जोर से आवाज लगाई खुद गेट के बाहर बडी सी चमचमाती गाडी मे बैठे हुए थे।
​''अभी आये दादा जी ।" दोनो बच्चे एक साथ अन्दर से चिल्लाये ।
​आज पूरा परिवार गाँव जा रहा है ।बच्चों के  विद्यालय बंद हो गये थे इसलिये सब अपने गाँव जाने के लिये बहुत ही उत्सुक थे ।
​"लीजिये आ गए दादाजी ।"
​"अरे तुम्हारी मम्मी नही आई बेटा अभी -?"हरि सिंह ने दोनो से पूँछा।
​''पापा भी नही आये दादू अभी ।"अवन्तिका ने शरारत करते हुए कहा ।
​''हाँ जब तक तेरी माँ नही आयेगी तब तक वो कैसे आ जायेगा ?''दादा जी ने बनावटी गुस्सा करते हुए कहा।
​''हम आ गये पापा जी ।"हरि सिंह के बहू और बेटे दोनो गेट से बाहर निकलते हुए बोले ।
​''दादा जी दादी जी भी ऐसे ही देर लगाती थीं क्या तैयार होने मै ?''इस बार रिशू बोला ।
​''नही बेटा वो तो सुबह ही तैयार होकर बैठ जाती थी '।"हरी सिंह ने चहकते हुए कहा।
​सब गाड़ी में बैठ गए और हरि सिंह
​यादों में खो गए ।
​हरी सिंह को गाँव छोडे 45 साल हो गये ।जब बचपन मे वो गाँव मे रहते थे तो हमेशा शहरी ज़िंदगी के ही सपने देखते थे ।
​शहर आकर खूब पैसा कमाया बेटा भी खूब पढ -लिखकर अचछी जॉब मे चला गया शादी हो गयी ,परिवार पूरा हो गया ,परंतु मन त्रप्त नही हुआ ।
​शहर आकर गाँव की बहुत याद सताती रही ,हमेशा गाँव की हरियाली , वहाँ के पक्षी ,निस्वारत लोग याद आते रहे!अब जब भी मौका मिलता है ,तभी गाँव चले जाते हैं ।
​मानव मन भी बडा अजीब होता है ,हमारे पास जो नही होता हम उसकी कल्पना करते रहते हैं और उसे पाने के लिये पागल हो जाते हैं ,और जब वो वस्तु मिल जाती है तो पुरानी दुनियाँ की याद आने लगती है ।
​''दादा जी गाँव आ गया ''!रिशू खुशी से उछला ।
​''हाँ बेटा ।''हरी सिंह ने धीरे से आह भरते हुए
​कहा ।
​तभी गाँव के बहुत सारे बच्चों ने गाडी को आकर घेर लिया कोई ,हरि  सिंह भांप गये .
​बच्चों की अभिलाषा .कोई गाडी को  छू रहा था तो कोई दूर से ही बड़ी मासूमियत से देख रहा था .एक बच्चा दुसरे से कह रहा था की वह भी शहर जाकर खूब पैसे कमायेगा और फिर एक बड़ी सी गाडी खरीदेगा .
​​हरिसिंह ने अपने बहु बेटों और पोते पोतियों को घर जाने को कहा और उन बच्चों को गाडी में बैठकर घुमाने ले गए .बच्चे बहुत खुश हो रहे थे उनको खुश देखकर हरिसिंह को भी अपना बचपन याद आ गया जब उनके सपने भी गाँव छोड़कर शहर जाकर खूब सारे रूपये कमाने का ही था .मगर आज गाँव उन्हें अपनी तरफ खींच लाता है .

​✍️राशि सिंह
​मुरादाबाद ,उत्तर प्रदेश

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