बुधवार, 10 जून 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार प्रवीण राही की लघुकथा -------- रोटी


कुसुम और उनके पति मयंक का मानना है कि उनके जीवन में समृद्धि और शांति तब से ज्यादा शुरू हुई जब से उन्होंने रात में एक रोटी गली के कुत्ते को खिलाना शुरू किया । गली के उस कुत्ते का नाम उन्होंने टोनी रख दिया था।टोनी भी उनकी आवाज़ पहचानता था। कुसुम- मयंक के रोटी रखते ही और आवाज़ लगाते ही टोनी  भागकर आता और रोटी  उठा ले जाता। यह सिलसिला पिछले कई महीने से निरंतर चल रहा था ।
  एक रात कुसुम-मयंक के आवाज लगाने पर जब काफी देर तक टोनी नहीं आया तो उन्होंने रोटी गेट के बाहर रख दी और गेट बंद करके चले गए । उनके अंदर जाते ही उन्हें भौं भौं की आवाज सुनाई दी । वे समझ गए कि टोनी आ गया है ।
 अब  यह रोज की बात हो गई। वह रोटी गेट के बाहर रखकर टोनी को आवाज़ लगाते और गेट बंद करके चले जाते । उनके जाते ही भौं भौं की आवाज आती । रोज की तरह आज भी रात को जब वह रोटी रख रहे थे , तो एक सज्जन ने उन्हें आवाज़ लगाई और पास आकर कहा-  मैं आपके सामने  रहता हूं। आप अब रोटी यहां मत रखा कीजिये । आप की रोटी खाने वाला लड़का अब नहीं रहा.......  कल रात आपकी रखी रोटी  लेकर जैसे ही वह झूमता हुआ सड़क पार कर रहा था वैसे ही तेजी से आते एक ट्रक ने उसे टक्कर मार दी और उसने दमतोड़ दिया। यह सुनकर हतप्रभ मयंक और कुसुम उसका मुंह देखने लगे  । मयंक ने कहा - भाई साहब ,हम तो रोटी टोनी के लिए रखते थे । सज्जन ने कहा-  टोनी तो दस दिन पहले ही ऐक्सिडेंट में मर चुका है। कुसुम बोली -पर भाई साहब , कुत्ते की आवाज........!! उन सज्जन ने कहा-  कोई बड़ी बात नहीं बहन,पेट क्या नहीं कराता,कला या तो जरूरत से या शौक से उपजती है ....और .....यह तो बात रोटी की थी.....
   
 ✍️ प्रवीण राही
एनसी 102,रेलवे कॉलोनी
         मुरादाबाद, यूपी
  मो. (8860213526,8800206869)

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