मंगू आँगन में पड़ी टूटी चारपाई पर बैठा मोबाइल चला रहा था .टिकटॉक के वीडिओज़ देखकर हंस रहा था मन ही मन .शहर जाकर उसने पिछली दफा सबसे पहले यह मोबाइल ही तो खरीदा था .कमाई से थोड़ा थोड़ा बचाकर .
चारो बच्चे भाग भागकर आँगन में ऊधम
मचा रहे थे .
"उसकी पत्नी कुंता चूल्हे में आग जलाने के लिए कभी कागज़ रखती तो कभी सूखी घास मगर आग जलने का नाम नहीं ले रही थी .
आँखों से धुएं के कारण तो कुछ मन के कारण आंसू निकल रहे थे .
उसकी आँखों के आगे दो माह पहले की जिंदगी तैरने लगी .
"शहर में कम से काम ई आग धुंआ से तौ खेलनो नाय पड़तौ I"
वह हौले से बड़बड़ाई .
"क्यों बड़बड़ा रही है ...?"
"कित्ती देर है गई जो आग नाय पजर रही
है I"वह गुस्से में फूकनी एक तरफ पटककर आँखें मलते हुए बोली .
"अम्मा तोसे कित्ती फेरे कई सिलेंडर ले लिए पर तूने लायो ही नाय ...अब देख कुंता कित्ती परेशान है रही है ?"
"हाँ लल्ला सिलेंडर तो आयो मगर मैंने सौ रुपया ज्यादा ले के गगन को बेच दियो ...मैं तो घास फूस जलाय के अपने लायक रोटी बनाय ही लेती अब हमें का पतों हो तुम्हारी मेहरुआ शहर की है गई हैं ?"
"आज चलो जइयो प्रधान के पास ...मनरेगा में काम मिल रहो है I"अम्मा ने खांसते हुए कहा .
"अरे अम्मा हम पे नाय होयगी खुदाई ...शहर में हम चादरें बुनते बो भी मशीन से ...I"
"तो खाओगे का .?अब यहां तो चददरें नाय बन रही हैं ...फाब्डो और खुरपा पकड़ लियो I"अम्मा ने मुँह बनाते हुए कहा .
"अब तो साल भर तक तो कम से कम गाँव में रहने ही पड़ेI"
"कुंता देख नयो वीडिओ आयो है टिक टॉक पे I"
"कहाँ है जी ..."कुंता चूल्हा छोड़कर
दौड़ी I"
"जा डिबिया से पेट नाय भरेगो काम काज देख बाहर जायके I"अम्मा ने फिर से मुँह बनाते हुए कहा I
"अम्मा पहले तो तुम ऐसे नाय करती जब कभो कभार हम गाँव आते ?"उसने चिढ़ते हुए कहा I
"पहले हरे हरे लोट जो लाबते I"कुंता ने हथेली से रोटी पीटते हुए कहा ऐसा लग रहा था की गुस्से में रोटी के भी ज्यादा चोट लग रही थी .
"लल्ला जो बीमारी का पतों कब तक रहेगी ..तब तक सब भूखे तो नाय रह
सकत I"
अम्मा ने अपनत्व और प्रेम से बेटे का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा .
"का बहुरिया ...का बोलत हो हम लोटन के भूखे हैं ..री नाय ...कछु काम धंधो करे तब ही तो रोटी मिलेगी ...दो बीघे जमीन से पेट भरेगो का ?"
"अम्मा सच ही तो कह रही है I"उसने धीरे से कहा और खेलते हुए बच्चों की तरफ एक नजर डालकर वह गमछा लेकर निकल गया काम की तलाश में
✍️ राशि सिंह
मुरादाबाद
मंगू आँगन में पड़ी टूटी चारपाई पर बैठा मोबाइल चला रहा था .टिकटॉक के वीडिओज़ देखकर हंस रहा था मन ही मन .शहर जाकर उसने पिछली दफा सबसे पहले यह मोबाइल ही तो खरीदा था .कमाई से थोड़ा थोड़ा बचाकर .
चारो बच्चे भाग भागकर आँगन में ऊधम
मचा रहे थे .
"उसकी पत्नी कुंता चूल्हे में आग जलाने के लिए कभी कागज़ रखती तो कभी सूखी घास मगर आग जलने का नाम नहीं ले रही थी .
आँखों से धुएं के कारण तो कुछ मन के कारण आंसू निकल रहे थे .
उसकी आँखों के आगे दो माह पहले की जिंदगी तैरने लगी .
"शहर में कम से काम ई आग धुंआ से तौ खेलनो नाय पड़तौ I"
वह हौले से बड़बड़ाई .
"क्यों बड़बड़ा रही है ...?"
"कित्ती देर है गई जो आग नाय पजर रही
है I"वह गुस्से में फूकनी एक तरफ पटककर आँखें मलते हुए बोली .
"अम्मा तोसे कित्ती फेरे कई सिलेंडर ले लिए पर तूने लायो ही नाय ...अब देख कुंता कित्ती परेशान है रही है ?"
"हाँ लल्ला सिलेंडर तो आयो मगर मैंने सौ रुपया ज्यादा ले के गगन को बेच दियो ...मैं तो घास फूस जलाय के अपने लायक रोटी बनाय ही लेती अब हमें का पतों हो तुम्हारी मेहरुआ शहर की है गई हैं ?"
"आज चलो जइयो प्रधान के पास ...मनरेगा में काम मिल रहो है I"अम्मा ने खांसते हुए कहा .
"अरे अम्मा हम पे नाय होयगी खुदाई ...शहर में हम चादरें बुनते बो भी मशीन से ...I"
"तो खाओगे का .?अब यहां तो चददरें नाय बन रही हैं ...फाब्डो और खुरपा पकड़ लियो I"अम्मा ने मुँह बनाते हुए कहा .
"अब तो साल भर तक तो कम से कम गाँव में रहने ही पड़ेI"
"कुंता देख नयो वीडिओ आयो है टिक टॉक पे I"
"कहाँ है जी ..."कुंता चूल्हा छोड़कर
दौड़ी I"
"जा डिबिया से पेट नाय भरेगो काम काज देख बाहर जायके I"अम्मा ने फिर से मुँह बनाते हुए कहा I
"अम्मा पहले तो तुम ऐसे नाय करती जब कभो कभार हम गाँव आते ?"उसने चिढ़ते हुए कहा I
"पहले हरे हरे लोट जो लाबते I"कुंता ने हथेली से रोटी पीटते हुए कहा ऐसा लग रहा था की गुस्से में रोटी के भी ज्यादा चोट लग रही थी .
"लल्ला जो बीमारी का पतों कब तक रहेगी ..तब तक सब भूखे तो नाय रह
सकत I"
अम्मा ने अपनत्व और प्रेम से बेटे का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा .
"का बहुरिया ...का बोलत हो हम लोटन के भूखे हैं ..री नाय ...कछु काम धंधो करे तब ही तो रोटी मिलेगी ...दो बीघे जमीन से पेट भरेगो का ?"
"अम्मा सच ही तो कह रही है I"उसने धीरे से कहा और खेलते हुए बच्चों की तरफ एक नजर डालकर वह गमछा लेकर निकल गया काम की तलाश में
✍️ राशि सिंह
मुरादाबाद
सुन्दर कहानी।
जवाब देंहटाएं