बुधवार, 10 जून 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की लघुकथा ----- सत्संग


चंदो की चाची मंद गति से अपने घर की ओर जा रही थी।उनके चेहरे पर संतोष और पछतावे के मिले जुले भाव थे।घर के पास पहुंची तो देखा - गीता की मां अपनी गाय को पानी पिला रही थी ।उसने पूछा - ए चाची, कहां से आ रही हो,
अरे,तुझे नहीं पता,बहुत पहुंचे हुए गुरु जी आए हुए है,प्रेम बाग़ में उनका सत्संग चल रहा है ।आज वही चली गई थी।बहुत अच्छी व्यवस्था है।इतना बड़ा पंडाल आज तक गांव में नहीं लगा।देसी घी की पूरी सब्जी भी मिल रही है,साथ में गरम गरम हलवा भी।पूरी सब्जी तो बहुत ही बढ़िया है।मैंने तो आज 6 पूरी खा ली। परशाद तो जितना मिल जाए उतना कम है।
गुरु जी ने क्या बताया -- गीता की मां ने पूछा
अरे,वो कहां सुन पाई।पूरी सब्जी की लाइन बहुत लंबी थी,2  घंटे लग गए, मैं वहीं से चली आई।वैसे इतनी भीड़ जा रही है, तो अच्छा ही बता रहे होंगे।
मै कल फिर जाऊंगी,आज हलवा ख़तम हो गया था,और तू तो जाने ही है,हलवा मुझे कितना अच्छा लगता है।
तुम भी मेरे साथ चलना,घर गृहस्थी के काम तो चलते ही रहेंगे,थोड़ा धरम का लाभ भी उठाना चाहिए।
पूरी और हलवे की तारीफ सुन,गीता की मां के मुंह में भी पानी आने लगा था।दोनों ने मिलकर जयकारा लगाया -- गुरु जी की जय हो।

 ✍️ डॉ पुनीत कुमार
T -2/505
आकाश रेसीडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद - 244001
M - 9837189600

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें