रामलाल ने अपनी तीन बीघा जमीन बेचकर बेटे सोहनलाल को नामी यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने शहर भेजा था कि बेटा इंजीनियर बनकर उसका नाम रोशन करेगा और अपना जीवन अच्छे से बिताएगा । सोहन ने भी पिता की इच्छा पूरी करते हुए पढ़ाई की और इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर ली जिसे हासिल किये उसे एक वर्ष से अधिक का समय हो गया था अब वह डिग्री लेकर जॉब की तलाश में सारे सारे दिन इधर से उधर जूते घिस रहा था मंगलवार को भी दिन भर का थका मांदा सोहन रात को अपने छोटे से कमरे में आकर सो गया बुधवार की सुबह उठा तो इस उम्मीद के साथ के शायद आज उसकी मेहनत सफल हो जाये। फ्रेश होकर वह चौराहे की ओर चल दिया गुप्ता न्यूज एजंसी से उसने अखबार खरीदा और तेज कदमो से कमरे पर लौट आया। टूटी हुई कुर्सी पर बैठकर वह अखबार के पन्ने पलटने लगा और अखबार के वर्गीकृत विज्ञापन वाले पेज पर वह एक एक विज्ञापन पढ़ने लगा लेकिन उसके मतलब का कोई विज्ञापन उसे नज़र नही आया अंत में नीचे छपे विज्ञापन पर उसकी निगाह पड़ी 'आवश्यकता है इंजीनियर्स की' उसकी आँखे खुशी से चमक उठी .वह गौर से विज्ञापन पढ़ने लगा विज्ञापन में मांगी गई शैक्षिक व प्रशिक्षण योग्यता पर वह खरा उतरता था लेकिन अगले ही पल उसे झटका सा लगा विज्ञापन में नीचे लिखा था 'अनुभव दो वर्ष ' जिसे पढ़कर उसके होंठ भिंच गये गुस्से से उसने बंद किया मुक्का 'ओफ्फो' कहकर सामने पड़ी मेज पर दे मारा और उसके होंठ बुदबुदाने लगे अब इन नीति नियंताओ को कौन बताये के जब बेरोज़गारों को जॉब ही नही मिलेगी तो वे अनुभव कहाँ से लायेंगे मायूसी के साथ उसने आँखे बंद की और कुर्सी की पीठ से सर लगाकर कुर्सी दीवार से टिका दी.
✍️कमाल ज़ैदी 'वफ़ा' सिरसी (संभल)
9456031926
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