बरखा, तेरे रंग निराले
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काली काली मस्त बदरिया,
आसमान में छाई है।
अपनी झोली में भर कर वो ,
ढेरों खुशियां लाई है ।।
बच्चों की इक टोली देखो,
निकल घरों से आई है ।
गली-गली छत आंगन सबने,
मिल कर धूम मचाई है ।।
बरखा की रिमझिम ने सब में ,
हरियाली फैलाई है।
खेतों औ खलिहानों में भी,
लौट खुशी अब आई है।।
तेज हवा ने लाचारों की,
धड़कन बहुत बढ़ाई है।
छोटी सी उनकी कुटिया पे,
आफत सी लहराई है ।।
कहीं कहीं खुश हो मेघा ने,
खुशहाली बरसाई है।
वहीं कहीं क्रोधित होने पर,
विकट तबाही आई है।।
✍️ डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद
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सुनो मास्क पहनो दूल्हे जी
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चूहे जी बारात संग ले
शादी करने आए ,
सिर पर साफा ,सेहरा लंबा
मंद मंद मुस्काए
चुहिया आई थी चूहे को
पहनाने वरमाला ,
बिना मास्क पहने चूहे को
देखा तो कह डाला
सुनो मास्क पहनो दूल्हे जी
फिर शादी में आना ,
सभी बराती जाँचे परखे
सिर्फ नेगेटिव लाना
बेचारा खिसियाकर चूहा
बोला मैं पछताया,
मास्क लगाना बहुत जरूरी
समझ मुझे यह आया।।
✍️ रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर(उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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जामुन का पेड़
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ठीक हमारे घर के आगे
जामुन का इक पेड़ लगा है
काले काले बड़े बड़े से
गुच्छों से वो खूब लदा है
ललचाई नज़रों से देखे
हर कोई आता जाता है
इसके गुच्छे देख देखकर
मुँह में पानी भर आता है
मन मसोस कर रह जाते हम
तोड़ नहीं इनको पाते हैं
लेकिन बच्चे उछल उछल कर
इनपर पत्थर बरसाते हैं
रूप रंग में काली दिखती
खाने में पर मीठी लगती
इसके ही गूदे गुठली से
दवा रोग की देखो बनती
देकर ये ऑक्सीजन अपनी
हमको स्वस्थ बनाता है
हरा भरा ये पेड़ हमारा
घर का द्वार सजाता है
✍️ डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद
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दादा जी बंदूक दिला दो
मैं सीमा पर जाऊंगा
जिसने सैनिक मारे अपने
नानी याद दिलाऊंगा
छल करके जो लड़ता रण में
वीर नहीं वो कहलाता
काट शीश बैरी के रण में
खोलूंगा मैं भी खाता
दादाजी बोले बेटा तुम
अभी बहुत ही छोटे हो
करो अभी तुम तैयारी ही
मन में क्यों तुम रोते हो
जाना होगा सीमा पर गर
मैं पहले ही जाऊंगा
देश की खातिर जिया सदा हूं
उस पर ही मर जाऊंगा
अभी पिता तेरा सीमा पर
खड़ा हुआ सीना ताने
देश का सैनिक मर जायेगा
इंच नहीं हट कर जाने
भारत माता की खातिर सुन
हर बच्चा मर जायेगा
लेकिन चीन भले कुछ कर ले
इंच नहीं बढ़ पायेगा।
✍️ नवल किशोर शर्मा 'नवल'
बिलारी मुरादाबाद
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नेक काज में करो न देर,
जंगल का राजा है शेर।
कितनी सुंदर प्यारी भोर,
पक्षी राज कहलाये मोर।
समय से करना अपना काम,
फलों का राजा मीठा आम।
इंद्र धनुष है रंग बिरंगा
राष्ट्र ध्वज का रूप तिरंगा।
जय जवान और जय किसान
मेरा प्यारा देश महान।।
✍️मीनाक्षी ठाकुर
मुरादाबाद
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भालू दादा नेता बनकर
जब जंगल को धाए
जंगल के सारे जीवों ने
तोरण द्वार सजाए।
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उतर कार से भालू दादा
शीघ्र मंच पर आए
कहकर जिंदाबाद सभी ने
नारे खूब लगाए
इतना स्वागत पाकर दादा
मन ही मन मुस्काए।
भालू दादा---------------
सबकी तरफ देख नेताजी
इतना लगे बताने
थोड़ा सब्र रखो बदलूँगा
सारे नियम पुराने
साफ हवा भोजन पानी के
सपने खूब दिखाए।
भालू दादा----------------
जमकर खाई दूध मलाई
खाई मीठी रबड़ी
फल खाने को चुहिया रानी
आकर सब पर अकड़ी
चुहिया रानी को समझाने
सभी जानवर आए।
भालू दादा-----------------
निर्भय होकर सब जंगल में
इधर - उधर घूमेंगे
एक दूसरे के हाथों को
बढ़-चढ़ कर चूमेंगे
साफ - सफाई रखने के भी
अद्भुत मंत्र सुझाए।
भालू दादा----------------
जंगल के राजा को पर यह
बात समझ ना आई
मेरे जीतेजी भालू को
किसने जीत दिलाई
खैर चाहता है तो भालू
तुरत सामने आए।
भालू दादा-----------------
देख रंग में भंग सभी ने
सरपट दौड़ लगाई
सर्वश्रेष्ठ ही बचा रहेगा
बात समझ में आई
भालू दादा भारी मन से
इस्तीफा दे आए
भालू दादा-----------------
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
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अम्मा देखो आसमान मे,
काले काले बादल छाये।
कुछ बरसेगे कुछ गरजेंगे,
कुछ यूंं ही इठलाये।।अम्मा...
रिमझिम रिमझिम करती बूंदे,
धरती के भी मन को भाये।।अम्मा...
वर्षा के इस शीतल जल से
पौधे भी हर्षाये
हमको भी जाने दो मैय्या
हम भी भीगना चाहे।।।अम्मा.....
✍️ डा श्वेता पूठिया
मुरादाबाद
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तिर तिर तिर तिर चले पवन
प्रफुल्लित ,करती तन मन
ना इसकी है ना उसकी
ये है बच्चोंं हम सबकी
खिल खिल खिल खिल खिलता फूल
हम जिसे देख गम जाते भूल
ना इसका है ना उसका
ये है बच्चोंं ,हम सबका
झर झर झर झर झरना बहता
प्यार बहाओ ,बस येे कहता
ना इसका है ना उसका
ये है बच्चोंं हम सबका
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T-2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी के पीछे
मुरादाबाद - 244001
M - 9837189600
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छोटा सा इक गाँव था
उसमें चार सयाने थे
बड़े - बड़े उनके कद थे
सबके जाने - माने थे
सबकी खोज खबर वो रखते
कहते - कहते कभी ना थकते
पढ़कर आगे बढ़ना सीखो
बुरी संगत से डरना सीखो
आस - पास की रखो सफाई
पड़ो बीमार तो लो दवाई
मेल मिलाप की बेल सजाओ
गाँव में अपनापा लाओ
घर की बेटी जरूर पढ़ाओ
हर घर में एक पेड़ लगाओ
सब उनकी बातों को सुनते
मन ही मन में सब कुछ गुनते
चार सयानों की बातों को
पूरे गाँव ने मिलकर माना
बेटियों को विद्यालय भेजा
सबने पढ़ने का मोल था जाना
कूड़ा - करकट सब था हटाया
गाँव में रखी सबने सफाई
हरे-भरे पेड़ों - पौधों से
घर-घर में हरियाली छाई ।।।
✍️सीमा वर्मा
बुद्धि विहार
मुरादाबाद
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पंछी तुम मुझको भातें हो,
आऊं तो क्यों उड़ जाते हो ?
रंग बिरंगे पंख तुम्हारे
पंछी तुम हो प्यारे प्यारे
गौरैया ,बुलबुल और तोता
तुम्हें देख मन हर्षित होता
कोयल, काक, कबूतर,खंजन
बोली से करके मनोरंजन
दाना पानी खा जाते हो
आऊं तो क्यों उड़ जाते हो?
दबे पांव छत पर हो आते
मगर घोंसले दूर बनाते
अंडे देते, उनको सेते
चूजों को फिर भोजन देते
देखभाल में कमी न आये
बच्चों को उड़ना सिखलायें
मुझसे काहे शर्माते हो ?
आऊं तो क्यों उड़ जाते हो?
ये संसार तुम्हारी थाती
सीमाएं भी रोक न पातीं
मैं भी एक छोटा सा बच्चा
तन का कोमल मन का सच्चा
अपने दल में मुझे मिला लो
मुझको भी उड़ना सिखला दो
साथ नहीं क्यों ले जाते हो?
आऊं तो क्यों उड़ जाते हो ?
खुले गगन की सैर करूंगा
नहीं किसी से बैर करूंगा
ऊंचाई से डर न होगा
सारा जग मेरा घर होगा
मित्र जगत के बच्चे होंगे
फिर दिन कितने अच्छे होंगे
मुझको फिर क्यों तरसाते हो !
आऊं तो क्यों उड़ जाते हो?
✍️ अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर मुरादाबाद
82 188 25 541
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जीवन का आधार है शिक्षा
सब धर्मों का सार है शिक्षा।
भाग्य बड़े से मिल पाता जो
बालक को उपहार है शिक्षा ।
घाटा कभी न होता जिसमें
एसा इक व्यापार है शिक्षा ।
यज्ञ में समिधा होना पड़ता
वो पावन आचार है शिक्षा ।
जीवन में तुम भुला न देना।
गुरुवर का उपकार है शिक्षा ।
बच्चों को भेजो विद्यालय।
बालक का अधिकार है शिक्षा।
✍️ दीपक गोस्वामी चिराग
बहजोई
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*सूर्यग्रहण*
मम्मी सबको समझायी थी
ग्रहण सूर्य का बतलायी थी ।
सुबह-सबेरे उठना होगा
नहान-खाना करना होगा ।
ग्रहण पड़े मत खाना-पीना
दान भले कुछ भी कर दीना ।
बाहर भी तुम कब जा सकते
सूर्य देखने से सब बचते ।
राहू-केतू बहुत सताते
निगल सूर्य को है जो जाते ।
मम्मी यों समझातीं हमको
कीर्तन ही बस करना सबको ।
नंँगी आंँख से जो देखेगा
नैनन ज्योति वही खो देगा ।
मम्मी की बातें सब मानीं
उन्हें बतायी असल कहानी ।
बीच में जब चंँदा आ जाता
सूर्य नहीं पृथ्वी पर आता ।
तेज धूप जब भी होती है
दिन में तब संध्या लगती है ।
यह कारण है सूर्य ग्रहण का
असर बहुत होता पर इसका ।
✍️ राम किशोर वर्मा
रामपुर
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*रिमझिम बारिश*
रिमझिम बारिश जब जब आती।
मायशा रानी फिर खुश हो जाती।
घर से बाहर निकल खूब नहाती।
झूम झूम के सुरीले गीत है गाती।
पानी से राह लबालब हो जाती।
धमा चौकड़ी वो उसमें मचाती।
वो कागज की एक नाव बनाती।
इधर उधर से एक चींटा लाती।
नाव का उसको मल्लाह बनाती।
फिर तेज धार में नाव बहाती।
देख के फिर मन्द मन्द मुस्काती।
जैसे ख्वाहिश जब पूरी हो जाती।
चीख चीख कर सबको बताती।
इस काम में उसको मस्ती छाती।
ज़ोर की बारिश जब जब आती।
है बार बार इसको वो दोहराती।
✍️ मरग़ूब हुसैन अमरोही
दानिशमन्दान, अमरोहा
मोबाइल-9412587622
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माँ मेरी गुड़िया रानी
हो गयी है अब सयानी
अच्छा सा एक गुडडा ढूँढो
गुड़िया अब पड़ेगी ब्याहनी
कैसा गुडडा हो गुड़िया का
बात पड़ेगी मुझको समझानी
रूप रंग में सुंदर हो
पैसे की हो न जिसे तंगी
नौकर चाकर हो घर में
मोटर गाड़ी की जो करें सवारी
बात सब गुड़िया की माने
गुड़िया बने उस घर की रानी
ना बेटी गुड़िया का तेरी
गुड़डा ऐसा ढूँढूँगी
प्यार बेशुमार जो करेगा उसको
जानता हो रोटी ,मेहनत की कमानी।
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला ,अमरोहा
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देश उपवन की नई कोपल ,
सुमन पल्लव सुगंधों,,,
अपने उपवन की सुगंध
उपवन से तुम खोने ना देना ।।
आधुनिक बनना मगर इस
आधुनिकता से कभी भी
सभ्यताओ संस्कारों की
बलि चढ़ने न देना ।।
जिंदगी के रास्तों पर
जीत भी है हार भी है।
दृढ़ करो मन को कि तुमको
ये सभी स्वीकार ही हैं
ये है जीवन सिर्फ इसमें
जीत का रास्ता नहीं है ।
हार के बिन अनुभवों का
रंग कभी चढ़ता नहीं है।।
कितना पा लो पुराने
मित्र तुम खोने ना देना।
आधुनिक बनना मगर इस
आधुनिकता से कभी भी
सभ्यताओं संस्कारों की बली चढ़ने न देना।।
धन बड़े होने की परिभाषा
नहीं ,है सिर्फ साधन
सोच करनी है बड़ी बस
और बड़ा करना है ये मन
ऊंंचा उठना ठीक है पर पांव
धरती पर ही रखना ।
दूरी दुष्कर्मों से लेकिन
प्रेम मन में अमर रखना।
बनना पहले एक इंसा ,
बाद उसके कुछ भी बनना
अपने अंदर से कभी
इंसानियत खोने न देना ।।
आधुनिक बनना मगर इस
आधुनिकता से कभी भी
सभ्यताओं संस्कारों की बली चढ़ने न देना।।
देश उपवन की नई कोपल
सुमन पल्लव सुगंधो,
अपने उपवन की सुगंध
उपवन से कभी खोने न देना।।
✍️ निवेदिता सक्सेना
आशियाना
मुरादाबाद
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*सेहत*
सेहत है अनमोल खजाना
इसको तुम कभी नही खोना
सफाई का तुम रखना ख्याल
रोगों से बचायें हर हाल
रोज खाओं ताजे फल-सब्जी
इन्ही से होती सेहत अच्छी
खेलों-कूदो करो व्यायाम
हाथ जोड़कर करो प्रणाम
स्वस्थ शरीर तेज दिमाग
इनसे होता सही विकास
✍️ स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद
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वर्षा रानी
वर्षा रानी, वर्षा रानी,
अबकि न करना मनमानी।
कोरोना ने बहुत सताया,
अभी तलक न टीका आया।
कितने ही तूफान है आये,
हिम्मत से पार हमने पाये।
साथ न लाना बाढ़ का पानी,
वर्षा रानी वर्षा रानी।
शालाये सब बंद पड़ी है,
कैसी मुसीबत दर पा खड़ी है।
तुम्ही भगा दो कोरोना को
खूब सज़ा दो कोरोना को
दवा मिलाकर छिड़को पानी,
वर्षा रानी, वर्षा रानी।
✍️ कमाल ज़ैदी 'वफ़ा'
सिरसी (सम्भल)
9456031926
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सीमा रानी, अमरोहा |
सराहनीय
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