आलू ले लो, बैंगन ले लो, टमाटर ले लो, आवाज सुनकर गौरी तुरंत मास्क मुँह पर चढ़ाते हुए गेट पर आई और आवाज लगायी, सुनो भैया सब्जी वालो, जरा सब्जी हमें भी दे देना।
हाँ हाँ आया बीबी जी। आज तो सुबह से बोहनी भी नहीं हुई है। कहिए क्या दूँ, शकील बोला।
क्यों झूठ बोल रहे हो, जब सुबह से घूम रहे हो तो बोहनी क्यों न हुई होगी, अब तुम भी झूठ बोलने लगे।
नहीं बीबीजी, झूठ क्यों बोलूँगा, आप तो मुझे बरसों से जानती हैं। यहाँ पूरी कालोनी वाले मुझसे ही सब्जी लेते थे। आज सब मेरा मजहब देखकर मना कर रहे हैं। अब तो ऐसा लग रहा है कि सब्जियों का भी धर्म अलग अलग हो गया है।
क्या बताएं बीबीजी सत्तर दिन के लॉकडाउन में तो एक दिन ठेला नहीं लगा पाये। घर में राशन पानी तक की किल्लत हो गयी, जैसे तैसे बच्चों को रूखी सूखी रोटी दे पाये। अब ठेला लेकर निकले हैं तो हमसे कोई सब्जी नहीं खरीद रहा। अब हम क्या करें, कहाँ जायें, कहते कहते शकील रुँआसा हो गया।
इधर उन दोनों की बातें सुनकर आस पड़ोस की कुछ औरतें भी सड़क पर झाँकने लगीं थीं।
शकील की बात सुनकर गौरी को पिछले दिनों की थूकने वाली बातें याद आ गयीं,अभी वो सब्जी वाले को मना करती, तभी शकील फिर बोला बीबीजी, घर में जितने पैसे थे सब इकट्ठे करके सुबह सुबह मंडी से ये सोचकर सब्जी लेकर चले थे कि सब सब्जी बिक जायेगी तो सौ डेढ़ सौ रुपये कमा लेंगे और बच्चों को ढंग से खिला देंगे, लेकिन अब तो लग रहा है ये पैसे भी डूब जायेंगे और रात को सब्जियां फेंकनी पड़ेंगी। आखिर हमारा क्या कसूर है। हमने तो कालोनी में सबका बुरे वक्त में साथ दिया। आज हमारे साथ कोई नहीं है।
उसकी बात सुनकर गौरी को एकाएक ध्यान आ गया। एक दिन स्कूल से लौटते हुए उसका बबलू साइकिल से गिर गया था, तब यही शकील उसे उठाकर डाक्टर के यहाँ ले गया था और मरहमपट्टी करवाकर घर तक लाया था, और साइकिल भी पहुँचा कर गया था।
तुरंत वह बोल पड़ी : अरे अरे शकील ऐसा मत सोचो। चलो दो किलो आलू, दे दो, और मटर, टमाटर, लौकी, बैंगन, पालक, प्याज सब दे दो।
शकील ने फटाफट सब्जियां तोलकर बाल्टी में डाल दीं।
कितने पैसे हुए।
जी बीबीजी दो सौ दस हो गये।
गौरी ने उसे पाँच सौ का नोट दिया।
अभी वह वापस करने को रुपये निकाल ही रहा था कि गौरी बोली, अरे अभी बाकी पैसे भी तुम रख लो, घर के लिये राशन आदि खरीद लेना, और हाँ कल से इधर गली में जरूर आना। तुम पर भरोसा है, तुम ताजी सब्जी लाते हो, और दाम भी सस्ते लगाते हो, मैं तो तुमसे ही सब्जी लूँगी, गौरी ने ये बात जोर से कही ताकि आसपास की सभी औरतें सुन लें।
बीबीजी आप बड़ी दयालु हो, अल्लाह आप पर नेमतें बरसाये। कहता हुआ शकील ठेला लेकर चल दिया।
✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG - 69
रामगंगा विहार,
मुरादाबाद 244001
मोबाइल नं. 9456641400
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