चिड़िया रानी दावत खाने
मिलकर दोनों साथ चलेंगे
कालीकोयल का न्योता भी
दिल से ही स्वीकार करेंगे।
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वहाँ मिलेंगे तोता - मैना
बुलबुल बत्तखऔरकबूतर
डैक बजेगा डांस करेंगे
सारे पक्षी उछल उछलकर
मोटी मुर्गी के बतलाओ
कैसे करके पैर हिलेंगे।
चिड़िया रानी-------------
मोर सजीले पंख खोलकर
सुंदर - सुंदर डांस करेगा
पूरे मन से दौड़ - दौड़कर
सबके दिल में जोश भरेगा
चलो हाथ में हाथ डालकर
हम भी तो थोड़ा मटकेंगे।
चिड़िया रानी-------------
चिड़िया बोली नहीं जानते
बाहर कोरोना फैला है
दूरी रखकर बातें करना
देखो नहले पर दहला है
दोनों हाथों को साबुन से
मल-मल कर दोनों धोएंगे।
चिड़िया रानी-------------
कौए राजा काँव-काँव कर
खुशी-खुशी सबसे बोलेंगे
दूध, जलेबी और मिठाई
का ढक्कन भी खुद खोलेंगे
लेकिन हमतो ठंडाई को
केवल बाय - बाय बोलेंगे।
चिड़िया रानी-------------
समय कीमती होता है यह
समझो प्यारी चिड़िया रानी
जो भी करना है कर डालो
जल्दी ओढ़ो चूनर धानी
समय बीतने पर दावत में
बोलो फिर हम क्या पाएंगे।
चिड़िया रानी-------------
✍️ वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
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होतीं सच्ची मित्र किताबें।
जीवन की हैं चित्र किताबें ।
ये मन में खुशबू भर देतीं ।
भांति-भांति की इत्र किताबें।
'चंद्रकांता-संतति' जैसी।
होतीं बड़ी विचित्र किताबें।
नीति-रीति जीवन की बाँचें।
'पंचतंत्र' सी मित्र किताबें।
बच्चों को प्यारी लगती हैं।
'कामिक्स' सी सचित्र किताबें।
यदि 'राघव' हैं विद्यामंदिर ।
तो समझो 'सौमित्र' किताबें ।
"मंगल भवन अमंगल हारी"
'मानस' सरिस पवित्र किताबें ।
✍️ दीपक गोस्वामी 'चिराग'
बहजोई (सम्भल)
9548812618
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एक बार ये हुआ ग़ज़ब
बच्चों अंडा चील का
गिरा मुर्ग़ी के अण्डॊ पर
मुर्ग़ियों के साथ पला बढ़ा
वो माँ मुर्ग़ी को कहता था
ख़ुद को समझ मुर्ग़ी ही
दाने उन संग चुगता था
जितना मुर्ग़ी उड़ती थी
वो भी उतना उड़ता था
देख गगन में एक पक्षी
अचम्भित वो होता था
दूर गगन में उड़ना उसका
मन को बहुत भाता था
काश मैं भी उड़ पाऊँ इतना
ख़्याल उसे आता था
पर अज्ञानता से डरा हुआ
वो हिम्मत जुटा न पाता था
पूछा एक दिन माँ से अपनी
बतलाओ माँ आज मुझे
उस पक्षी का नाम
उड़ता जो दूर गगन में
फैला अपने पंख पसार
बेटा राजा वो आकाश का
चील है उसका नाम
उसके जितना ऊँचा उड़ना
नही है हमारा काम
चींल के उस बच्चे ने
बात मुर्ग़ी की मान ली
न उड़ पायगा वो कभी
ये सच्चाई ही जान ली
पूरा जीवन मुर्ग़ी बन
उसने व्यतीत कर दिया
जान पाया कभी न ख़ुद को
सीमाओं से बंध गया
देखो था जो राजा आकाश
मुर्ग़ी जीवन उसे मिल गया
इसलिए बच्चों
बात मान दूसरों की
जो ख़ुद को तुम कम आँकोगे
फिर छिपी शक्ति अंदर जो
उसे कैसे तुम पहचानोगे
तुम छू सकते हो नभ को भी
बस अपने अंदर तुम झाँको
बंधन तोड़ो सीमाओं के
आगे बस तुम बढ़ते जाओ
इस जीवन में कुछ नहीं असम्भव
ये बात ख़ुद को समझाओ
छूना है तुम्हें नभ को एक दिन
बस तैयारी में तुम जुट जाओ
बस तैयारी में तुम जुट जाओ
✍️ प्रीति चौधरी(शिक्षिका)
राजकीय बालिका इण्टर कालेज हसनपुर
ज़िला अमरोहा
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बेटा जागो सुबह हो गई।
सूरज ने किरणें बिखराईं।
चहचहा रहीं मुँडेर पर चिडियाँ।
बच्चों की टोली घर आई।
पूछ रहे बेटा सब तुमको।
कहाँ छिपा है पिंटू भाई ?
डांट रहे हैं पापा बाहर,
जल्दी जागो शामत आई।
कितनी सुंदर हवा बह रही,
फूल रही सरसों और राई।
कोयल कूक रही पेड़ों पर,
चारों ओर दिखे तरुणाई।
बेटा उठकर जल्दी नहा लो।
बहिन तुम्हारी नहाकर आई।
लाल जाग जाओ अब जल्दी,
वरना करनी पड़े पिटाई
✍️ नवल किशोर शर्मा 'नवल'
बिलारी, मुरादाबाद
मो0 नं0 - 9758280028
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हाथी दादा तुम कितने प्यारे,
सूंड हिलाते मन बहलाते,
सुन्दर सुन्दर दांत तुम्हारे,
चमकीले औ कितने प्यारे।
चार पैर पर चलते ऐसे
जैसे खम्भे हिलते घूमे
प्यारी छोटी पूंछ हिलाकर
बच्चों को तुम खूब हो हँसाते।
केला गन्ना भाता तुमको
शान्त मधुर स्वाभाव तुम्हारा,
रंग भलेही काला काला,
बच्चों के तुम प्यारे राजा
हाथी दादा हाथी दादा।।
✍️ डा.श्वेता पूठिया
मुरादाबाद
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ए फार एप्पल बी फार बॉल,
सर ने बताया दुनिया गोल।
सी फार कैट डी फार डॉग,
फिट रहना हो करना योग।
ई फार एग एफ फार फैन,
बन जाओ तुम जेंटलमैन।
जी फार गन एच फार हैट,
कसरत से कम कर लो फैट।
आई फार इंक जे फार जग,
दूध पियो तुम भरकर मग।
के फार काइट एल फार लान,
सदा बड़ो का रखना मान।
एम फार मंकी एन फार नेक्स्ट,
पढ़ लिखकर बन जाओ बैस्ट।
ओ फार आउल पी फार पैरट,
सोना अच्छा चौबिस कैरेट ।
क्यू फार कुईन आर फार राइट,
टाई न बांधो ज्यादा टाइट।
एस फार सन टी फार टाइगर,
शाम से पहले पहुँचो घर ।
यू फार अंब्रेला वी फार वैन ,
बात बड़ो की माने ज़ैन।
डब्लू फार वाच एक्स से एक्सरे,
सोच समझकर ही निर्णय करें।
वाई फार याक ज़ेड फार ज़ू ,
कभी न बनना अकड़ फू ।
✍️ कमाल ज़ैदी" वफ़ा"
सिरसी (सम्भल)
9456031926
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मम्मी की अब गोदी छोड़ो
इधर उधर आंगन में दौड़ो
राह देखते दीदी भैया
खेलों उन संग दिल ना तोड़ो
खा रहे हो बाबा खाना
चुपके चुपके उन तक जाना
जो पसंद हो वहीं उठा कर
कुर्सी के नीचे छुप जाना
सो रही हो बुआ तुम्हारी
चाहते हो यदि उन्हें उठाना
बिस्तर कर देना बस गीला
कौने में छिप के मुस्काना
ध्यान रखो ये बात हमारी
मम्मी जब ना सुने तुम्हारी
व्यर्थ है रोना चिल्लाना
गन्दी कर दो उनकी साड़ी
मम्मी कर दें यदि पिटाई
रोके ना जब रुके रुलाई
पापा से कर दो शिकायत
बिल्कुल भी ना करो ढिलाई
पापा यदि गुस्सा हो जाएं
कहीं नहीं जब हो सुनवाई
खुली दादी दादा की कचहरी
मैं तैयार देने को गवाही
✍️डॉ पुनीत कुमार
T -2/505
आकाश रेजिडेंसी
मधुबनी पार्क के पीछे
मुरादाबाद 244001
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प्यारे बच्चों सुनो ध्यान से
गलत काम ना करना तुम |
चाहे कितनी दौलत आए ,
अभिमान द्वेष न करना तुम|
दौलत आती-जाती माया ,
माेह इसके न पड़ना तुम |
माता पिता है रूप प्रभु के ,
मान व सेवा करना तुम |
बड़े बुजुर्ग हैं जीवित ईश्वर,
सदा स्नेह प्रेम से रहना तुम |
मीठी वाणी बोल बोल कर,
दिल में सबके रहना तुम|
घर आए जो अतिथि रूप में,
सम्मान प्रेम पूर्वक करना तुम|
राष्ट्रप्रेम है कर्तव्य हमारा ,
राष्ट्र प्रेमी है बन रहना तुम |
माँ, माटी और भाई बहन का,
मित्र ,सखा बन रहना तुम |
प्यारे बच्चों सुनाें ध्यान से
गलत काम न करना तुम |
✍🏻सीमा रानी
अमराेहा
7536800712
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बच्चे तो बच्चे होते हैं
भोले-भाले दिल के सच्चे
धमा-चौकडी खूब मचाते
जब हँसते हैं लगते अच्छे
खेल-खिलौने, छीना-झपटी
हो बेकार कार है रपटी ।
इसका हँसना, उसका रोना
रोज चिढ़ाये कहकर चपटी
गुड़िया बहुत अभी है छोटी
नहीं चिढ़ाओ कहकर मोटी
बंद सभी को घर में रहना ।
बंद करो अब नल की टोटी ।
✍जितेन्द्र कमल आनंद रामपुर उ प्र भारत
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प्यारे सोनू सुनो तुम
संतुष्ट होना सीखो तुम।
तभी सफल हो सकोगे
संतुष्टि जब सीख सकोगे।
संतुष्ट माने प्रसन्न रहना
जो है उसमें सुखी रहना।
न देखो मोनू के खिलौने दस
तुम पे भी तो छः है न ।
सोचो उस रिंकू का जिसपर
नहीं खिलौना एक भी ।
फिर भी देखो खेलता कैसे
वह टूटे बर्तनों से ही ।
दे सको तो दे दो उसको
एक खिलौना अपना ही ।
तुम पर तब भी होंगे पाँच
खेलेगा वह भी खुशी खुशी।
✍️ इला सागर रस्तोगी
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश
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छोटे बच्चों की मजबूरी
मोबाइल है बहुत जरूरी ।
मोबाइल वह देखत जाती
तभी दूध है वह पी पाती ।
इसे देख तब खाना-पीना
जीवन ही बस इससे जीना ।
पढ़ना-लिखना यही सिखाता
खेल-कूद भी यह बतलाता ।
पर्दे पर अंँगुली चलती है
ढ़ूंढ़ यू-ट्यूब तब खुलती हैं ।
ट्विंकल -ट्विंकल जब सुनती है
एक्शन भी वह तब बुनती है ।
कलर की पहिचान भी सीखी
मोबाइल है सखी-सरीखी ।
मोबाइल है दुनिया सारी
सेहत पर पड़ता है भारी ।
✍️राम किशोर वर्मा
रामपुर
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***बच्चों की प्रार्थना***
हिंद देश के बच्चे हम
मन के सारे सच्चे हम
हाथ जोड़ कर गाते हैं
तुम से टेर लगाते हैं
हे प्रभु! विनती सुन लो ना
एक वरदान हमें दो ना!!
खत्म करो अब कोरोना !
खत्म करो अब कोरोना!!
सर्दी खांसी जुकाम लिये
मृत्यु का पैगाम लिये
दिन दिन बढ़ता जाता है
खत्म न होने पाता है
करो कोई जादू टोना।
पड़े न अपनो को खोना
खत्म करो अब कोरोना!
खत्म करो अब कोरोना!!
द्वारे द्वारे मौत खड़ी
विपदा है ये बहुत बड़ी
घर घर में कोहराम मचा
इस संकट से राम बचा
भूले सब जगना- सोना
दुखी विश्व का हर कोना
खत्म करो अब कोरोना
खत्म करो अब कोरोना
✍️ अशोक विद्रोही
82 188 25 541
412 प्रकाश नगर मुरादाबाद
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आओ सुबह की सैर करें
गुटर-गुटर गूँ ,गूँ गूँ गूँ ,
बड़े शान्त और सन्तोषी
वार्ड मैम्बर बने हुए ,
ओंकार का नाद सुनाते
प्राणायाम में लगे हुए ,
ध्यानमग्न हो खुशी जताते
देखो कैसे नाच रहे हैं ,
थोड़े में ही खुश हो जाते
साधु विचार हैं मुखिया जी ,
कब्बू जी आज सैर पर ।।
✍️ मनोरमा शर्मा
अमरोहा
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झाड़ू रानी सुबह को उठकर,
घर को स्वच्छ बनाती है ।
खोज खोजकर सारा कूड़ा,
बाहर को ले जाती है ।
यों तो यह निर्जीव वस्तु है ,
पर सीख बड़ी दे जाती है ।
आस पास हम रखें सफाई ,
सबको पाठ पढ़ाती है ।
नित्य मलिनता रोग की जड़ है ,
हमको यह समझाती है ।
एक और सुन्दर सा पाठ ,
झाड़ू से हम सीखें मित्र ।
ताकतवर वो ही कहलाते ,
जो रहते हरदम एकत्र ।
✍️ डॉ प्रीति हुँकार
मुरादाबाद
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कठिन घड़ी है प्यारे बच्चो,
होना नहीं उदास।
माना बन्धन बीमारी ने,
सब पर बहुत लगाये।
बीत गया है अरसा तुमको,
मिलकर शोर मचाये।
तन से रहकर दूर-दूर भी,
मन से रहना पास।
कठिन घड़ी है प्यारे बच्चो,
होना नहीं उदास।
तोड़ निराशा का यह घेरा,
खुद को और तराशो।
एक सुहाना कल लाने को,
सपने नये तलाशो।
अपने घर-परिवार-देश की,
तुम हो उजली आस।
कठिन घड़ी है प्यारे बच्चो,
होना नहीं उदास।
✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद
:::::::प्रस्तुति::::::::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822
सभी को हार्दिक बधाई।
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