चीज विदेशी छोड़ के भाई ,
देशी घर में लाओ रे ।
धोखेबाज पड़ोसी को अब,
मिलके मजा चखाओ रे ।
स्वदेशी अपनाओ रे ,स्वदेशी अपनाओ रे ।
ब्रांडेड का चक्कर छोड़ो ,
देशी को अपनाना है ।
लोकल को वोकल करके ही,
भारत भव्य बनाना है ।
स्वावलंबन का पथ अपनाओ,
करके कुछ दिखलाओ रे ।
स्वदेशी अपनाओ रे ,स्वदेशी अपनाओ रे ।
कचरा जिसने देश का अपने ,
भारत में भिजवाया है ।
इसकी चीजें नही खरीदें ,
सबको मिल समझाया है ।
माल हमारा लूट रहा जो ,
उसको आज भगाओ रे ।
स्वदेशी अपनाओ रे ,स्वदेशी अपनाओ रे।
लेकर प्रतिभा देश की अपने ,
देश का मिलकर करें उत्थान।
ड्रेगन हमसे तभी डरेगा ,
डूबेगा उसका दिनमान ।
देश के हित को खुद भी समझो ,
औरों को समझाओ रे ।
स्वदेशी अपनाओ रे ,स्वदेशी अपनाओ रे ।
✍️ डॉ प्रीति हुँकार
मुरादाबाद
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