मंगलवार, 2 जून 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ अजय अनुपम के 10 मुक्तकों पर "मुरादाबाद लिटरेरी क्लब " द्वारा ऑनलाइन साहित्यिक चर्चा------


 वाट्स एप पर संचालित समूह 'मुरादाबाद लिटरेरी क्लब' द्वारा  'एक दिन एक साहित्यकार' की श्रृंखला के अन्तर्गत 31 मई/01 जून 2020 को वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय अनुपम के मुक्तकों पर ऑन लाइन साहित्यिक चर्चा की गई । सबसे पहले डॉ. अजय अनुपम द्वारा निम्न 10 मुक्तक पटल पर प्रस्तुत किए गए-

*(१)*
भव्यता भव्य हो गई होगी
दृश्यता श्रव्य हो गई  होगी
वे झुके नयन जब उठे होंगे
दृष्टि वक्तव्य हो गई  होगी।

*(२)*
स्वप्न  सोये  जगाती मिलीं
चित्र धुंधले सजाती मिलीं
गीत  रचरूप  यौवन  गये
झुर्रियां  गुनगुनाती मिलीं।

*(३)*
सांस  जब अपनी  बिरानी हो गई
हर चुभन बढ़ कर  कहानी हो गई
दर्द  कुछ ऐसा  चढ़ा दहलीज़  पर
उम्र  दो  पल  में  सयानी  हो  गई।

*(४)*
फूल से झर गयी पर चहेती रही
रूप रस से  भरी नाव खेती रही
धन्य  है  धर्म  सन्निष्ठिता  पंखुरी
धूल में  मिल गई गंध  देती रही।

*(५)*
दृष्टि   गहराइयों   तक   उतरने   लगी
सांस   से  मदभरी   गंध  झरने   लगी
आयु मधुमास के द्वार  पर  क्या चढ़ी
देह   परछाइयों   तक   संवरने  लगी।

*(६)*
जो अधर के लिए  मौनव्रत लिख गई
सत्य  को मान  लूं स्वप्नवत लिख गई
हृदय  के   पृष्ठ   पर   वर्जनाओं  भरी
दृष्टि वह प्यार का भागवत लिख गई।

*(७)*
देह   इसकी   गर्म   सांसों  से   ढली  होगी
गंध   इसमें  भाव   सुमनों   से  पली  होगी
पुलक, शीत, प्रदाह, मादकता भरी जिसमें
ये  हवा  निश्चय  तुम्हें   छूकर  चली  होगी।

*(८)*
ज्ञान  की  अज्ञान  से   होती  न  भरपाई
जानती अनुचित-उचित  कब उम्र बौराई
रूप है मन की प्रकाशित भावना का रंग
रूप  का  मानक न श्यामलता न गोराई।

*(९)*
भाव  से  मन  को  लुभाता  है
दुसह    पीड़ाएं    जगाता   है
विरह की देता व्यथा, फिर भी
प्यार  सुख का  जन्मदाता  है।

*(१०)*
राह  कांटों  भरी   थी  सहल  हो  गई
कामना  भी  कुटी  से  महल  हो  गई
मैं   झिझकता  रहा  बात  कैसे  करूं
आज  उनकी तरफ़ से  पहल हो गई।
   
       इन मुक्तकों पर चर्चा प्रारंभ करते हुए प्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने कहा कि "शिक्षाविद इतिहासविद और प्राच्य शास्त्र से नए-नए पहलुओं की तलाश करने वाले साहित्यकार डॉ अजय अनुपम के यहां प्रस्तुत सारे मुक्तक सौंदर्य और आकर्षण को अभिव्यक्ति देते हैं"।
    विख्यात व्यंग्य कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि "प्रस्तुत मुक्तकों वे सभी बारीक काम हैं जो मुक्तकों में होने चाहिएं। यह मुक्तक कसौटी पर पूरे उतरते हैं"।
     सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार डॉ कृष्ण कुमार नाज़ ने कहा कि "अनुपम जी के मुक्तकों में भाषा का गाम्भीर्य और कहन का सलीका पाया जाता है जो उनके उत्तम विचारों को उत्कृष्टता की सीमा तक ले जाता है"।          शायर डॉ मुजाहिद फराज़ ने कहा कि "डॉ अनुपम जी के मुक्तक श्रृंगार रस की मुंह बोलती तस्वीर हैं।"
     डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा कि "डॉ अनुपम जी के प्रस्तुत मुक्तकों में उनका सौंदर्य बोध और रागात्मक अनुभूति स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है"।
    कवि शिशुपाल मधुकर ने कहा कि "यहां प्रस्तुत अनुपम जी के समस्त मुक्तक शिल्प की दृष्टि से उत्तम है भाव पक्ष श्रृंगार प्रधान है"।
    नवगीतकवि योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा कि "अनुपम जी के मुक्तकों में परिपक्व अनुभूति और सबल अभिव्यक्ति की सुगंध की उपस्थिति को स्पष्टतः महसूस किया जा सकता है।"।
    डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन ने कहा कि "डॉ अजय अनुपम के मुक्तक छंदानुक्रम में व्यवस्थित शब्द मात्र नहीं हैं बल्कि उनकी गहन साहित्य साधना का परिणाम हैं"।
    ग़ज़लकार राहुल शर्मा ने कहा कि "अनुपम जी के मुक्तकों की भाषा शैली अत्यंत उच्च कोटि की है"।        अंकित गुप्ता अंक ने कहा कि "डॉ अजय अनुपम के यहां मुक्तकों की संक्षिप्त क्यारी में जो विस्तृत और व्यापक विचारों और भावों की खुशबू पिरोयी गई है वह निश्चित ही सराहनीय है"।
    चर्चित रचनाकार राजीव प्रखर ने कहा कि " अनुपम जी ने संयोग एवं वियोग श्रृंगार दोनों को ही मुक्तकों में सफलतापूर्वक उभारा है"।
    डॉ अज़ीमउल हसन ने कहा कि "अनुपम जी के मुक्तकों में मनुष्य की सुंदरता को परिभाषित करने का अंदाज निराला व अनुपम है"।
    मनोज मनु ने कहा कि "दादा अजय अनुपम के मुक्तकों में मुक्तकों की सभी खूबियां बड़ी संजीदगी से पाई जाती हैं"।
    युवा शायर फरहत अली खान ने कहा कि " अनुपम जी ने जिस सलीके से मुक्तकों का हक निभाया है, रचनाकारों में ऐसी इमानदारी और कुशलता कम कम ही मिलती है"।
   मयंक शर्मा ने कहा कि "डॉ अनुपम जी के मुक्तकों के मर्म तक पहुंचने के लिए समझ के सोपानों पर चढ़ने की आवश्यकता है"।
     वरिष्ठ कवि श्रीकृष्ण शुक्ल ने कहा कि "डॉ अनुपम जी के मुक्तकों की भाषा सरल वह सुग्राह्य है। कथ्य स्पष्ट व सार्थक है"।
   चर्चित कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट ने कहा कि "सिद्ध मुक्तक लिखने के लिए रचनाकार को आदरणीय अनुपम जी के समान अध्ययनशील, शास्त्रों का ज्ञाता, अनुभवी व विशाल दृष्टि वाला होना चाहिए"।
    चर्चित शायरा मोनिका मासूम ने कहा कि "आदरणीय अनुपम जी के सभी मुक्तक सिंगार के लेखन में उनकी कलम की कुशलता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं"।
   कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर ने कहा कि "डॉ अनुपम जी के मुक्तकों में दार्शनिकता सुंदरता रचनाधर्मिता शालीनता व सरलता बड़ी खूबसूरती से बुनी गई है"।      ग्रुप एडमिन एवं संचालक जिया ज़मीर ने कहा कि "डॉ अजय अनुपम जी मुक्तकों में जितने शालीन जितने स्पष्ट और जितने रचे बसे हैं, ऐसे मुक्तक कवि मुश्किल से देखने को मिलते हैं"।

::::::::प्रस्तुति::::::::
✍️ज़िया ज़मीर
ग्रुप एडमिन
मुरादाबाद लिटरेरी क्लब
मो०8755681225

2 टिप्‍पणियां:

  1. अगर आपने अभी तक इस ब्लॉग को फॉलो नहीं किया है तो तुरंत इस ब्लॉग को फॉलो भी कीजिये । इसके लिए ब्लॉग के दाहिने ओर फॉलोवर्स में फोटोज के नीचे नीले रंग से लिखे फॉलो पर क्लिक कीजिए ,एक पेज खुलेगा इस पर नारंगी रंग से लिखे फॉलो पर क्लिक कर दीजिए ।

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    1. हमने तो ब्लॉग जनवरी में फालो किया था।
      बहुत अच्छा कार्य किया है आपने।
      इस पर सारी रचनाएं व कार्यक्रम ऑन रिकॉर्ड रहते हैं।

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